छात्रों में राष्ट्रद्रोह का जहर भर रहे वामपंथी
जागरण संवाददाता, आगरा: जेएनयू समेत देश के तमाम विश्वविद्यालयों में जड़ जमाए बैठे वामपंथी संगठनों ने छात्रों की पौध को बिगाड़ कर रख दिया है। राष्ट्रवाद की जगह उनके मन मस्तिष्क में ¨हसा और राष्ट्रद्रोह का जहर भरा जा रहा है। परिणाम है कि कन्हैया कुमार और उमर खालिद जैसे छात्र नेता उभर रहे हैं। जो अफजल गुरु और याकूब मेमन जैसे आतंकियों की फांसी का विरोध करते हैं और देश को बांटने की बात करते हैं। यह विचार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने व्यक्त किए।
जागरण संवाददाता, आगरा: जेएनयू समेत देश के तमाम विश्वविद्यालयों में जड़ जमाए बैठे वामपंथी संगठनों ने छात्रों की पौध को बिगाड़ कर रख दिया है। राष्ट्रवाद की जगह उनके मन मस्तिष्क में ¨हसा और राष्ट्रद्रोह का जहर भरा जा रहा है। परिणाम है कि कन्हैया कुमार और उमर खालिद जैसे छात्र नेता उभर रहे हैं। जो अफजल गुरु और याकूब मेमन जैसे आतंकियों की फांसी का विरोध करते हैं और देश को बांटने की बात करते हैं। यह विचार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने व्यक्त किए।
श्रीनिवास केंद्रीय ¨हदी संस्थान में शनिवार को आयोजित अभाविप की दो दिवसीय अखिल भारतीय राज्य विश्वविद्यालय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वामपंथ जहां ताकत में आता है तो देश में राष्ट्रद्रोही शक्तियां सिर उठाने लगती हैं। नक्सली ¨हसा का दौर तेज हो जाता है।
महाराष्ट्र एबीवीपी के पदाधिकारी सागर शिंदे ने शहरी नक्सलवाद का छद्मरूप विषय पर कहा कि जेएनयू में साम्यवाद लंबे समय से जड़ जमाए बैठा है। वहां हमारी संस्कृति पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। वामपंथी विचार ¨हसा और विघटन के रास्ते पर ले जाता है। केरल और त्रिपुरा में ¨हसा उन्हीं की देन थी। उन्होंने वामपंथ की कार्यप्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि ये श्रमिक, मजदूर और शहरी लोगों, आदिवासी महिलाओं को जोड़कर संगठन खड़ा करते हैं। तीन स्तर वाम आर्मी, फ्रंट ऑर्गनाइजेशन, ट्राइबल यूथ पर काम करते हैं। इनमें से कुछ 'जय मूल निवासी' का नारा देते हैं तो वामसेफ के जुड़े संगठन 'जय भीम' का नारा देते हैं। विवि स्तर पर भी यह संगठन जाति युद्ध भड़काना चाहते हैं। रोहित वेमुला जैसे प्रकरण भी इसी योजना का हिस्सा था। इनसे वैचारिक युद्ध को तर्क से जीतना होगा। कई विश्वविद्यालयों में एससी-एसटी सेल के नाम से अध्ययन केंद्र हैं। यहां तक हमें पहुंच बनानी होगी। तभी ऐसे तत्वों के प्रहार को विफल किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर जातियों में बांधे होनहार
कार्यशाला में नेहरू मॉडल, लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति, शिक्षा की डिग्री पर चर्चा कर इन्हें अनुपयोगी करार दिया। कहा, देश के होनहार बेटों को कुछ संगठन सोशल मीडिया पर जातियों के होनहार बताकर पेश कर रहे हैं।
एबीवीपी के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री श्रीनिवास ने कहा डिग्री के नाम पर युवा कुछ नहीं कमा सकते। विश्वविद्यालयों में सर्वागीण विकास करने वाली शिक्षा प्रदान की जाए। देश के कुछ विश्वविद्यालयों में अभी भारत तेरे टुकड़े होंगे..जैसे शब्द सुनाई दे रहे हैं।
-एबीवीपी 500 विश्वविद्यालयों तक पहुंचा
गांवों में भारत बसता है, एबीवीपी को पैशन, पर्पज, प्लेटफार्म जैसे फार्मूला पर काम करना होगा। राज्य विश्वविद्यालयों के समान राज्य विश्वविद्यालयों को फंड मिलना चाहिए। अभी हमारा संगठन 500 विश्वविद्यालय तक पहुंचा है, अभी तीन सौ विश्वविद्यालयों तक और पहुंचना है।
-जोश में होश न खोएं
नारे लगाने के दौरान कार्यकर्ता जोश में होश न खोएं। 25 मार्च से देशभर में जल संरक्षण और संवर्धन के लिए गांव-गांव तालाबों की देखरेख करने को ग्रामीणों को जागरूक करने को अभियान चलाया जाएगा। इस सत्र को केंद्रीय ¨हदी संस्थान के निदेशक डॉ.नंदकिशोर पांडेय ने भी संबोधित किया।
-ये रहे मौजूद
अखिल भारतीय राज्य विश्वविद्यालय प्रमुख श्रीहरि बोरिकर, उप्र राज्य विश्वविद्यालय प्रमुख प्रवीन गुंजन, प्रदेश अध्यक्ष डॉ.प्रभास्कर राय भी मौजूद रहे। कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के 70 विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।