सरकार, न स्वच्छ हुआ शहर और न बने गरीबों के आवास
आगरा: दावे तो बड़े-बड़े थे, लेकिन जमीन पर एक भी उतर न सका। फिर वह चाहे ओडीएफ हो या फिर उज्ज्वला, प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना सहित अन्य।
जागरण संवाददाता, आगरा: दावे तो बड़े-बड़े थे, लेकिन जमीन पर एक भी उतर न सका। फिर वह चाहे ओडीएफ हो या फिर उज्ज्वला, प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना सहित अन्य। उज्ज्वला योजना में गरीब खोजे नहीं मिल रहे हैं, जबकि शहरी आवास योजना में अभी तक एक भी आवास नहीं बना है। सिर्फ जमीन चिन्हित की गई है। यही हाल खुले में शौच मुक्ति (ओडीएफ) का भी है। सभी ग्राम पंचायतों को अभी तक ओडीएफ घोषित नहीं किया जा सका है। यही नहीं, जन-धन योजना में जितनी तेजी से लाखों खाते खुले, लेकिन इनमें से बहुत से अभी निष्क्रिय ही पड़े हैं।
स्वच्छ भारत मिशन : नगर निगम द्वारा शहर को स्वच्छ बनाने के लिए हर माह करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अभी तक शहर को जिस तरीके से स्वच्छ रखा जाना चाहिए। वह संभव नहीं हो सका है। यही वजह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण-2018 में टॉप टेन शहरों में आगरा का नाम शामिल नहीं हुआ है। वर्ष 2017 में आगरा देश में 264वें स्थान पर था।
मशीनों से नहीं होती सफाई : नगर निगम के पास आधा दर्जन के करीब सफाई की मशीनें हैं, लेकिन अधिकांश मशीनों का ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
भूल गए संकल्प : स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र, राज्य सरकार के सभी कार्यालयों, अर्द्ध सरकारी कार्यालयों में 100 घंटे की सफाई का संकल्प दिलाया गया था, लेकिन अफसरों व कर्मचारियों ने संकल्प को भुला दिया है।
कागजों में खत्म, हकीकत में चल रहे शुल्क शौचालय : नगर निगम में 100 वार्ड हैं। मंटोला, ढोलीखार सहित अन्य क्षेत्रों में अभी भी शुल्क शौचालय चल रहे हैं। इन्हें बंद कराने के कई प्रस्ताव तैयार हुए। यह अलग बात है कि निगम के दस्तावेजों में यह भी खत्म हो गए हैं।
प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना : आगरा शहर में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर दस हजार आवास बनने थे। एडीए को दो हजार आवास अलग से बनाने थे। बिल्डरों ने रुचि नहीं ली। सिर्फ ओपी चेंस ग्रुप ने एक हजार आवासों को बनाने का प्रस्ताव दिया। एडीए ने अभी तक जमीन ही चिन्हित की है। इस योजना में अभी तक एक भी आवास नहीं बना है।