सॉफ्टवेयर इंजीनियर की राह में बाधा नहीं बने औसत नंबर
आगरा: किसान परिवार का बेटा बोर्ड परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बाद भी अपने लक्ष्य से नहीं डिगा। उसने ग्रामीणों से कहा था कि वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनेगा और बनकर दिखाया।
जागरण संवाददाता, आगरा: जगनेर क्षेत्र के गांव सरैंधी के किसान परिवार का बेटा बोर्ड परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बाद भी अपने लक्ष्य से नहीं डिगा। उसने गांव वालों की धारणाओं को भी बदल दिया। उसने ग्रामीणों से कहा था कि वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनेगा और बनकर दिखाया। आज युवक पूना में एससेनचर कंपनी में तैनात है और आठ लाख रुपये सालाना उसका पैकेज है। जबकि वह हाईस्कूल और इंटरमीडिएट तक औसत छात्र था।
जगनेर के पास स्थित सरैंदी गांव के किसान रामवीर शर्मा का पुत्र हिमालय शर्मा शुरू से ही सॉफ्टवेयर बनना चाहता था, हालांकि उसकी बैकग्राउंड किसान परिवार से होने की वजह से उसकी राह आसान नहीं थी। हाईस्कूल में उसे 65 और इंटर में 67 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे। लेकिन वह ग्रामीणों के तानों से मायूस नहीं हुआ। गाजियाबाद से बी-टैक की। इसमें 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। इसके बाद वह कंपनियों में नौकरी करने लगा। तब ग्रामीणों पता चला कि हिमालय ने जो कहा करके दिखा दिया है। उसके लक्ष्य की राह में कम अंक बाधा नहीं बन सके।
हिमालय शर्मा ने बताया कि मैं मध्यम किसान परिवार से हूं। मेरे लिए बी-टैक करना आसान नहीं था। लेकिन मुझे हर हाल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना था तो बी-टैक तो करनी थी। परिजनों ने भी पूरा सहयोग किया था। लेकिन मेरे मन में कभी कम नंबरों का कोई मलाल नहीं रहा। क्योंकि आज के जमाने में प्रवेश परीक्षा होती है। इसमें शामिल होने के लिए महज औसत नंबर होने चाहिए। सरकारी नौकरियों में परीक्षा होती है, ज्यादा नंबर तब कोई मायने नहीं रखते हैं। अंकों से अधिक नॉलेज उपयोगी है।