इसलिए होती है मिंट्टी के गणेश जी की स्थापना
आगरा: गणेश चर्तुथी पर भगवान गणेश की स्थापना की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि उनकी मिंट्टी की प्रतिमा क्यों स्थापित की जाती है।
आगरा: गणेश चर्तुथी पर भगवान गणेश की स्थापना की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि उनकी मिंट्टी की प्रतिमा ही क्यों स्थापित की जाती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है।
ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की। लेखन उनके वश में नहीं था। उन्होंने गणेशजी की आराधना की। सहमति एक शर्त पर मिली कि उनके हाथ रुकने नहीं चाहिए। वेदव्यास जी ने बोलना शुरू किया और गणेशजी ने लिखना। लगातार लेखन से गणेश जी के शरीर का ताप बढ़ा, तो महर्षि ने शरीर पर मिट्टी का लेप लगाकर भाद्र शुक्ल चतुर्थी को उनकी पूजा की। मिट्टी का लेप सूखने पर गणेशजी का शरीर अकड़ने लगा और शरीर का ताप बढ़ने से मिट्टी झड़ने लगी, तो वेदव्यास जी ने उन्हें पानी में डाल दिया। कार्य 10 दिन चला और अनंत चतुर्दशी को पूरा हुआ। तभी से गणेश जी को घर में बैठाने की प्रथा शुरू हुई।
ऐसी मूर्ति की हो स्थापना
गणेश जी की ऐसी मूर्ति घर लानी चाहिए, जो शास्त्रानुसार सही हो। मूर्ति में जनेऊ, रंग, सूंड, वाहन, अस्त्र-शस्त्र, हाथों की संख्या और आकृति आदि को ध्यान में रखना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
1- गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति घर लानी चाहिए या खुद मिट्टी से बनानी चाहिए। प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) या अन्य केमिकल से बनी मूर्तियों की पूजा नहीं करनी चाहिए। 2- सफेद मदार की जड़ और धातुओं में सोने, चांदी या तांबे की मूर्ति की पूजा कर सकते हैं।
3 - बैठे हुए गणेश जी की प्रतिमा शुभ होती है।
4 - गणेश जी को वक्रतुंड कहते हैं। इसलिए उनकी सूंड बांई ओर मुड़ी होनी चाहिए।
5 - जिस मूर्ति में गणेश जी के कंधे पर नाग रूप में जनेऊ न हो। ऐसे मूर्ति न लें।
6 - बिना गणेश जी के वाहन की मूर्ति भी नहीं लेनी चाहिए।
7 - मूर्ति के ललाट पर चंद्रमा बना होना चाहिए।
8 - हाथों में पाश और अंकुश दोनों हो।