Agra Lockdown Update Day 7: शिक्षक व विद्यार्थियो के नाम कुलपति की पाती। कहा सुरक्षित रहें और CoronaVirus पर शोध की बनाएं योजना
डॉ आंबेडकर विवि के कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तन ने दी लॉकडाउन में सुरक्षित सकरात्मक और रचनात्मक रहने की प्रेरणा।
आगरा, जागरण संवाददाता। डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल ने शिक्षकों और विद्यार्थियों के नाम पत्र लिखा है। बेहद आशापूर्ण और कोरोना वायरस से रचनात्मकता के साथ कैसे लड़ा जाए इस पर अपने विचार साझा किये हैं। उन्होंने पत्र में कोराना वायरस के परिप्रेक्ष्य में शोध करने की सलाह भी दी है।
प्रिय शिक्षक साथियों एवं विद्यार्थियो!
आज हमारा देश ही नही वरन् पूरा विश्व Covid 19 नामक विषाणु के कारण महामारी से जूझ रहा है। चीन से शुरू हुई इस विषाणुजनित महामारी ने अमेरिका, यूरोप सहित लगभग पूरे विश्व को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। जिसके कारण वैश्विक स्तर पर व्यापक जनहानि तथा धनहानि लगातार जारी है। अमेरिका, इटली, और स्पेन जैसे विकसित और उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं वाले देश भी इस महामारी के सामने विवश नज़र आ रहे हैं। भारत में भी यह महामारी लगातार फैल रही है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने समय रहते 21 दिन का देशव्यापी बंद करके देश को व्यापक जनहानि से बचाने का प्रयास किया है जो कि भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए सार्थक और उचित है।
इस कोरोना वायरस के प्रकोप का शिकार देश के पूरे शिक्षण संस्थान भी हुए हैं। देश के प्राथमिक विद्यालयों से लेकर विश्वविद्यालयों को भी फिलहाल 14 अप्रैल तक के लिए बन्द किया गया है। इस दौरान शिक्षको ,विद्यार्थियों और कर्मचारियों को घर पर ही रहने के लिए कहा जा रहा है जिससे कोरोना से आपके व आपके परिवार के प्राणों की रक्षा की जा सके। कहते हैं कि जान है तो जहान है। इसीलिए आप सभी लोगों से भी आग्रह है कि आप सभी लोग भी अपने अपने घरों में रहते हुए शासन प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पूर्णतः पालन करें और जानलेवा कोरोना से अपने तथा परिवार की रक्षा करें।
हमारे आस पास अगर हमारे शारीरिक, आर्थिक सहयोग की कही आवश्यकता हो तो हमे यथाशक्ति अवश्य करना चाहिए। मानवता की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
इस दौरान घरों में रहते हुए आपको बोरियत का भी अनुभव हो रहा होगा जो कि स्वाभाविक है। परन्तु हम अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रखते हुए चुनौतियों के इन क्षणों को भी उपयोगी अवसर बना सकते हैं। हमें उन नाविकों से सीखना चाहिए जो विशाल समुद्र में कई बार हवा की प्रतिकूलता के बाद भी अपने पाल को व्यवस्थित करने के कारण अपने गंतव्य तक पहुँच पाता है। इसी तरह हम भी लाक डाउन को एक अवसर समझते हुए इसका उपयोग अपने कौशल में वृद्धि के लिए कर सकते हैं। आज इन्टरनेट के माध्यम से हम महापुरुषों व वैज्ञानिकों की जीवनी अथवा अच्छा साहित्य पढ़कर इस समय का सार्थक उपयोग कर सकते हैं। इससे हमारे जीवन में रचनात्मकता आती है और जीवन की चुनौतियों का सामना करनें में मदद मिलती है। आप अपनी फिटनेस पर ध्यान देने के साथ साथ परिवार को ज्यादा समय देकर सम्बंधों को और मजबूत बना सकते हैं।
हमारे यहाँ गुरु शिष्य की बहुत उन्नत और अनूठी परम्परा रही है। मैं अपने शिक्षक साथियों का आह्वान करता हूँ कि वे विद्यार्थियों से फोन, ई मेल, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से ही घर पर सुरक्षित रहते हुए विद्यार्थियों से लगातार संवाद बनाये रखें और उन्हें निराशा में जाने से बचाये।पाठ्यक्रम से समबन्धित छात्रों की चिन्ताओ को दूर करें।
मै अपने शिक्षक साथियों से यह भी आग्रह करता हूँ कि वे घरों में सुरक्षित रहकर और आवश्यकतानुसार समाज सेवा करते हुए कोरोना के परिप्रेक्ष्य में अपने विषय से सबंधित शोध प्रबंध की योजना बनायें। शोध भी ऐसा होना चाहिए जिसका प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष लाभ सीधे समाज और देश को मिले। पर्यावरण संरक्षण, ई कामर्स, मेडिकल, फार्मेसी, नर्सिंग, राजनीति, अर्थव्यवस्था, पर्यटन, सामाजिक व्यवस्था सहित जीवन के लगभग सभी पहलुओं को कोरोना ने प्रभावित किया है इसीलिए इन सभी विषयों पर सार्थक शोध करके हम देश के लिए भविष्य की रणनीति बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं।
विश्वास रखिये यह महामारी भी अस्थायी है और हम लोग संयम और आत्मानुशासन से शीघ्र ही इस पर विजय पा लेंगे और देश एक अल्प विराम के बाद फिर से आगे बढेगा और हम सब इसके साक्षी ही नही वरन सहभागी भी बनेंगे।
आप व आपके परिवार की मंगल कामनाओ सहित
आपका शुभेच्छु
प्रोफेसर अशोक मित्तल