Agra Lockdown Update Day 6: रात 12.30 बजे ISBT आगरा का आंखों देखा हाल
तमाम इंतजामों के बाद भी सड़क पर है आधा भारत। आईएसबीटी पर जमीन पर लोग सोने को मजबूर।
आगरा, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर राज्य सरकार ने तमाम प्रबंध कर दिए। जिला प्रशासन ने सैंकड़ों बस चला दीं। तमाम ट्रक, प्राइवेट बसें भी चल रही हैं। यहां तक कि सेना भी मदद को आगे आ गई लेकिन हालात सुधरने की जगह लगातार बिगड़ ही रहे हैं। हाईवे पर पैदल चलते लोगों की लंबी कतारें हालात की विकटता को दर्शा रही हैं। प्रशासन की व्यवस्थाओं को जानने के लिए जागरण की टीम ने आईएसबीटी का आधी रात हो हाल देखा।
रविवार रात साढ़े 12 बजे का वक्त। घरों में जिस वक्त लोग गहरी नींद में थे उस वक्त सैंकड़ों लोग आईएसबीटी तक मीलों लंबा पैदल ही सफर तय करके पहुंच रहे थे। आस थी कि यहां से अपने घर जाने का साधन मिलेगा। बसें रवाना हो रही थीं। 200 से अधिक बसें प्रशासन ने प्रवासी लोगों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए यहां से संचालित की हुई हैं। उनसे किसी तरह का कोई शुल्क भी नहीं लिया जा रहा लेकिन हालात ऐसे हैं कि बसों की संख्या सैंकड़ों में है तो इसमें सवार होने वाले हजारों की संख्या में लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। बस की कमी के कारण लोग जमीन पर सोने के लिए मजबूर हैं। उनके लिए कोरोना वायरस के संक्रमण से ज्यादा गंभीर अपने घर पहुंचना है। हमारे संवाददाता अमित दीक्षित और फाेेटोग्राफर शाश्वत मिश्रा देर रात खबर लिखे जाने तक आइएसबीटी आगरा पर डटे हुए हैं। यात्रियों से बातचीत कर उनकी दिक्कतों को जान रहे हैं।
आईएसबीटी आगरा में बस आते ही लोग उसमें सवार होने के लिए एक मीटर की दूरी भूल बस कतार में लग गए।
चल बेटा जल्दी कर कहीं बस न छूट जाए। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान से आने वाले इन प्रवासियों में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। छाेटे छोटे बच्चे दिन रात पैदल चल कर अपने घर पहुंचने की आस में माता पिता के साथ कदम से कदम मिला रहे हैं।
बस आते ही एक दूसरे को पीछे छोड़ बस में सवार होने की कोशिश करते लोग।
एक तरफ कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा और दूसरी तरफ पैदल सफर की थकान। थकान हावी हुई तो जहां और जितनी जगह मिली वहीं सो गए।
माना कि सोने के लिए न जगह सही है और न समय लेकिन जब थकान के कारण हालत खराब हुई तो बच्चे को गोद में सुलाकर ये मां अपनी साथी महिला का सहारा लेकर ही सो गई।
आईएसबीटी आगरा पर सड़क पर बैठकर बस आने का इंतजार करते प्रवासी।