मुश्किल समय में सकारात्मक सोच से मिले महत्वपूर्ण क्षण
बच्चे दे रहे कोरोना से बचने की सीख तनाव मुक्त रहने के बता रहे उपाय
आगरा, जागरण संवाददाता। हर अंधेरी लंबी सुरंग के बाद प्रकाश अवश्य नजर आता है। ठीक उसी तरह हर बुरा समय कितना भी लंबा क्यों न हो, अपने साथ कई अच्छे पल भी लाता है। कोरोना के साथ भी ठीक ऐसा ही है। यह एक ऐसी ही स्याह सुरंग की तरह है, जिसने पूरे विश्व को परेशान कर दिया है। प्रभावित भारत भी है और यहां भी संक्रमण लगातार बढ़ रहा है, लेकिन भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश को तमाम दुश्वारियां देने के बाद इस कोरोना ने ही कई सुखद पल भी प्रदान किए हैं।
चाहे नदियों का पानी स्वच्छ होना हो या सूख चुके जलाशयों का फिर से पनपना, पेड़-पौधों के प्रति मानव की बढ़ती जागरूकता हो या स्वच्छता के प्रति उनका बदला हुआ ²ष्टिकोण। प्रकृति का सम्मान करने, कई नये रोजगारों का सृजन, डिजिटल पेमेंट में वृद्धि, गरीब-अमीर के बीच की खाई को कम होने जैसे कई सुखद अनुभव भी देश को इसी कोरोना जैसी भयानक बीमारी के दौर में ही नसीब हुए हैं।
यह हम लोगों का सकारात्मक नजरिया है कि यहां हर मुश्किल में भी कुछ न कुछ अच्छा तलाश ही लिया जाता है। तभी तो बच्चों ने इस अति व्यस्तता और इंटरनेट व मोबाइल के युग में अपने माता-पिता, दादा-दादी और अन्य स्वजन से निकटता, प्यार और सम्मान बढ़ाने का समय निकाल ही लिया। उन्हें इस मुश्किल समय में ही बड़े की महत्ता और कीमत का अंदाजा लगा है क्योंकि इससे पहले उनके पास अपनी पढ़ाई से फुर्सत ही नहीं मिलती थी।
कोरोना के इस मुश्किल दौर में भारत का सम्मान व गौरव भी बढ़ा है क्योंकि विश्व के जितने भी बड़े देश कोरोना की दवा विकसित करने में लगे हैं, उन सभी देशों में भारत के वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है और बिना भारत की मदद के दवा का बनना संभव नहीं है। मैं अपनी बात करूं, तो पहले मोबाइल को लेकर काफी उत्सुकता रहती थी, लेकिन अब पढ़ाई से लेकर सबकुछ आनलाइन होने से बच्चों का खतरनाक मोबाइल गेम्स से पीछा छूटा है और पढ़ाई की ओर उनका रुझान पहले की अपेक्षा बढ़ा है, स्कूल न जाने पर ही उन्हें पढ़ाई की महत्ता समझ आई है।
आनलाइन पढ़ाई के विभिन्न प्लेटफार्म के रूप में एक नया बाजार, अवसर व रोजगार का सृजन भी इसी दौर में तेजी से हुआ है। भारत का स्वास्थ्य संबंधी ढांचे में व्यापक आमूलचूल परिवर्तन हुए और मास्क, सैनिटाइजर आदि का बाजार व रोजगार सृजन भी हुआ। कुल मिलाकर स्याह घने बादलों में एक सुर्ख लकीर जरूर होती है। अत: कोरोना के बादल छंटने के पश्चात मनुष्य में स्वच्छता व स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। हालांकि अभी समय टला नहीं है, अभी वैक्सीन आने तक जरूरी सतर्कता बरतनी है और तब तक मास्क, सैनिटाइजर और शारीरिक दूरी का नियम ही हम सभी को बचाए रखेगा। शांतनु पोखरियाल, कक्षा 11, हिलमैन पब्लिक स्कूल।