प्रतिबंध हटवाने साक्ष्यों संग एनजीटी जाएगी सरकार
आगरा के उद्योगों के लिए एनजीटी का प्रतिबंध सबसे बड़ी समस्या है। व्हाइट कैटेगरी की समस्या केंद्र स्तर से ही हल हो सकती है। इससे जुड़ी सभी रिपोर्ट्स पर बिंदुवार जांच कराकर टीटीजेड के माध्यम से प्रतिबंध हटाने की मांग की जाएगी। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अनूप चंद पांडेय ने यह बात पत्रकार वार्ता में कही। वह शनिवार को मंडलायुक्त सभागार में हुई एक उत्पाद एक जिला योजना की चार मंडलों की बैठक में शामिल होने आए थे।
जागरण संवाददाता, आगरा: आगरा के उद्योगों के लिए एनजीटी का प्रतिबंध सबसे बड़ी समस्या है। व्हाइट कैटेगरी की समस्या केंद्र स्तर से ही हल हो सकती है। इससे जुड़ी सभी रिपोर्ट्स पर बिंदुवार जांच कराकर टीटीजेड के माध्यम से प्रतिबंध हटाने की मांग की जाएगी। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अनूप चंद पांडेय ने यह बात पत्रकार वार्ता में कही। वह शनिवार को मंडलायुक्त सभागार में हुई एक उत्पाद एक जिला योजना की चार मंडलों की बैठक में शामिल होने आए थे।
औद्योगिक विकास आयुक्त ने कहा कि आगरा को लेदर उत्पादों के लिए चुना गया है। किरावली रोड स्थित लेदर पार्क दस साल से डिब्बे में बंद है। इसके लिए भी सारे साक्ष्य जुटाकर केंद्र सरकार को प्रत्यावेदन भेजा जाएगा। यहां के उद्यमियों के पक्ष को रखकर समस्या का निस्तारण कराया जाएगा।
एजेंसी से जांच कराकर जुटाएंगे साक्ष्य
डॉ. मनोरंजन होता की रिपोर्ट में आगरा के प्रदूषण के लिए उद्योगों के बजाय वाहनजनित और निर्माण कार्य के कारण उड़ने वाले धूल कणों को जिम्मेदार बताया गया। उस रिपोर्ट को आधार बनाकर सर्वे कराएंगे। टेक्नीकल एक्सपर्ट से रिपोर्ट बनाकर एनजीटी को भेजेंगे। साथ ही केंद्र सरकार तक प्रत्यावेदन भेजने का काम करेंगे, ताकि शहर की कैटेगरी बदल सके।
25 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश
लखनऊ में हुई इन्वेस्टर समिट में 25 हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश हुआ, जो खासतौर पर स्मार्ट सिटी की योजनाओं के लिए था। इनमें पानी, वेस्ट वाटर, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, सड़क, ट्रैफिक, नाली-खरंजा, लाइट आदि की योजनाओं को शामिल किया गया है। इसके साथ टीटीजेड में स्थिति सुधारने के लिए शहर में संचालित बसों को ई-बस बनाने के लिए भी प्रस्ताव आया है। साथ ही पर्यटन उद्योग से भी तमाम प्रस्ताव आए हैं। वहीं प्रदेश में सभी प्रपोजल्स सवा चार लाख करोड़ करीब के हैं, जिन्हें धरातल पर लाने के लिए जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। इसमें 100 करोड़ तक के प्रस्तावों पर जिलाधिकारी के स्तर से अनुमति दी जाएगी। ज्यादा औपचारिकता न होने वाले कार्य तुरंत शुरू कराए जाएंगे। बड़े प्रोजेक्ट के लिए भी कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
मंडलायुक्त को जिम्मेदारी
प्रस्तावों को धरातल पर लाने और पूरी परियोजना को प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने कमिश्नर के. राम मोहन राव को निर्देश दिए हैं। उन्हीं के दिशा निर्देशन में पूरे प्लान पर योजना बनाकर काम किया जाएगा।
क्लस्टर लोन से दूर होगी फंड की कमी
एक जिला एक उद्योग योजना में घरेलू इकाइयों के सामने फंड की समस्या सबसे बड़ी है। इन्हें दूर करने के लिए क्लस्टर लोन विकल्प बनेगा। अवस्थापना एवं औद्योगिक आयुक्त ने बताया कि वह पुराने अनुभव में ऋण माफी के लिए एसएलबीसी की बैठक लेकर इसे अंजाम तक पहुंचा चुके हैं। फंड की कमी दूर करने के लिए कैंप लगाकर लाभार्थियों को बुलाकर ऋण लाभ दिया जाएगा। बैंकों को टारगेट दिया जाएगा।
मार्केटिंग के लिए ई-साइट्स का सहारा
घरेलू उद्योगों में काम करने वाले छोटे हस्तशिल्पियों को अपने उत्पाद की मार्केटिंग करनी नहीं आती। इस कारण बिचौलिए उनके माल को कम दाम पर लेकर ऊंचे दाम में बेचते हैं। इसके विकल्प के तौर पर ई-शॉपिंग साइट्स से सहयोग लेकर उनके उत्पादों को विश्व स्तर तक लाया जाएगा।
इनले वर्क भी हो शामिल
आगरा के जूता करोबार के साथ मार्बल पर इनले वर्क को भी एक जिला एक उद्योग में लाने की मांग उठ रही है। आयुक्त अनूप चंद पांडेय ने उद्यमियों को भरोसा दिलाया है कि इसके लिए प्रयास होगा, ताकि उद्योग से जुड़े कारीगरों को भी लाभ मिल सके।