Move to Jagran APP

आयकर रिटर्न में देरी पर पांच हजार जुर्माना

आगरा: आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है। इसके बाद रिटर्न दाखिल करने पर जुर्माना अदा करना होगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 07:44 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 07:44 AM (IST)
आयकर रिटर्न में देरी पर पांच हजार जुर्माना
आयकर रिटर्न में देरी पर पांच हजार जुर्माना

जागरण संवाददाता, आगरा: वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) फाइल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई है। इस दिन तक रिटर्न फाइल न करने पर करदाताओं को पांच हजार रुपये तक का जुर्माना देना होगा। रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए करदाता सभी दस्तावेजों को तैयार रखें। इनके बिना रिटर्न फाइलिंग संभव नहीं। साथ ही इस बार रिटर्न भरने में गलती होने पर इसके निरस्त होने का भी खतरा है।

loksabha election banner

सीए राकेश अग्रवाल ने बताया कि हर करदाता की जिम्मेदारी है कि हर वित्तीय वर्ष में समय से आयकर भरकर पूरे साल हुई आमदनी का ब्यौरा दे। यह ब्यौरा विभाग द्वारा तय फॉर्म में भरकर देना होता है। 31 जुलाई 2018 तक वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए रिटर्न भरा जाएगा। प्रत्येक अस्सेसी जो ऑडिट के अंतर्गत नहीं आते, उनके लिए रिटर्न भरना आवश्यक है। लेकिन कंपनियों और जो अस्सेसी किसी फर्म में पार्टनर हैं, उनके लिए आखिरी तारीख 30 सितंबर 2018 है। साथ ही रिटर्न फाइल करते वक्त बेहद सावधानी बरते, क्योंकि गलती की स्थिति में अधिकारी रिटर्न निरस्त करने का अधिकार भी रखते हैं।

किसके लिए कौन सा फॉर्म

1- आइटीआर वन या सहज फॉर्म

यह फॉर्म उन्हें भरना है, जिनकी उस वित्तीय वर्ष में कुल आय में सेलरी या पेंशन, हाउस प्रॉपर्टी से आमदनी (पिछले साल की हानि को इस साल की आमदनी में समायोजित करने पर नहीं), अन्य स्त्रोतों से हुई आमदनी जैसे ब्याज, डिवीडेंट आदि (लॉटरी या हॉर्स रेस को छोड़कर) की आमदनी हुई हो। 2- आइटीआर टू

यह फॉर्म उन व्यक्तियों को भरना है, जिन्हें उस वित्तीय वर्ष में आइटीआर वन से संबंधित आदमनी के स्त्रोतों से इनकम तो हो रही हो। इनके साथ एक से अधिक प्रॉपटी से आमदनी हो। कोई प्रॉपर्टी बेचने से फायदा (कैपिटल गेन) हुआ हो, लॉटरी या हॉर्स रेस में जीते हों, किसी फर्म के पार्टनर के रूप में आमदनी हुई हो, विदेश में किसी संपति के मालिक हों या अन्य कोई विदेशी आय हो, एग्रीकल्चर आय के रूप में पांच हजार से ज्यादा आमदनी हुई हो या फिर अपनी आमदनी में आपके परिवार के किसी अन्य सदस्य जैसे पति-पत्नी, बच्चों की आमदनी भी क्लब्ड कर रहे हों। 3- आइटीआर थ्री

यह फॉर्म उनके लिए जरूरी है, जिनकी आमदनी में आइटीआर वन और टू वाली आमदनियों के अलावा खुद के स्वामित्व वाले बिजनेस या प्रोफेशन से आदमनी हो रही हो। यानि वह खुद कोई बिजनेस करता हो, या किसी प्रोफेशन से आमदनी प्राप्त कर रहा हो। 4- आइटीआर फोर

यह फॉर्म उनके लिए है, जिनकी आमदनी में आइटीआर वन, टू वाली आमदनियों के अलावा उसको खुद के स्वामत्व वाले बिजनेस या प्रोफेशन से आमदनी हो रही हो, लेकिन उस व्यक्ति ने आयकर अधिनियम के सेक्शन 44एडी, सेक्शन 44एडीए और सेक्शन 44एई के तहत प्रिस्यूमटिव आय स्कीम का विकल्प चुना हो। 5- आइटीआर फाइव

यह फॉर्म उन संस्थाओं को भरना है, जिन्होंने खुद को फर्म, एलएलपीस, एओपीस या बीओएलस के रूप में रजिस्टर्ड करा रखा है। 6- आइटीआर सिक्स

ऐसी कंपनियां, जो आकर अधिनियम की धारा 11 के तहत छूट प्राप्त नहीं हैं। इस तरह के करदाता को ऑनलाइन ही आइटीआर भरना अनिवार्य है। (जनकल्याण या धार्मिक उद्देश्य में लगी संपति से होने वाली आय को धारा 11 के तहत टैक्स छूट मिलती है। सभी एनजीओ इसी श्रेणी में आती हैं)। 7- आइटीआर सेवन

ये फॉर्म ऐसे लोगों या कंपनियों के लिए है, जो धारा 139(4ए) या धारा 139(3बी) या धारा 139(4सी) या धारा 139(4डी) या धारा 139(4ई) या धारा 139(4एफ) के तहत रिटर्न दाखिल करते हैं। वक्त पर न भरा रिटर्न, तो ये होगा नुकसान

- धारा 234एफ में अगर आप पहले निर्धारित अंतिम तिथि 31 जुलाई 2018 तक टैक्स रिटर्न नहीं भरते, तो लेट रिटर्न के साथ पांच हजार रुपये जुर्माना भी भरना होगा।

- लेट टैक्स रिटर्न भी 31 दिसंबर 2018 तक नहीं भरने पर 31 मार्च को लेट टैक्स रिटर्न के साथ जुर्माना पांच से बढ़कर 10 हजार हो जाएगा। छोटे करदाताओं को जुर्माने की रकम में छूट है। जिनकी आमदनी पांच लाख से ज्यादा नहीं है, उन्हें देरी से टैक्स भरने पर अधिकतम हजार रुपये तक ही जुर्माना भरना होगा।

- नया वित्तीय वर्ष समाप्त होने तक यानि 31 मार्च 2019 तक भी टैक्स रिटर्न न भरने पर आपको उसके बाद टैक्स रिटर्न भरने का कोई मौका नहीं मिलेगा।

- वित्तीय वर्ष में ज्यादा एडवांस टैक्स जमा करने या फिर ज्यादा टीडीएस कटने पर अतिरिक्त टैक्स रिफंड क्लेम के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। इस ज्यादा रकम पर सरकार छह फीसद की दर से ब्याज भी चुकाती है। रिफंड की रकम पर ब्याज की गणना एक अप्रैल से लेकर रिफंड पेमेंट की तिथि तक होती है। लेकिन अगर लेट रिटर्न भरते हैं, तो ब्याज की गणना रिटर्न भरने की तिथि से शुरू होगी। रिटर्न जितना लेट दाखिल होगा, रिफंड पर ब्याज उतना ही कम होगा।

- धारा 234ए में टैक्स रिटर्न नहीं भरते हैं या निर्धारित तिथि से जितना लेट करते हैं, तो ऐसी स्थिति में जितना कम टैक्स जमा किया जाएगा, उसे तो बाद में भरना ही पड़ेगा, साथ ही उस पर ब्याज भी अलग से देना होगा। विभाग टैक्स देनदारी पर रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि से रिटर्न फाइल करने की तिथि तक एक फीसद ब्याज वसूलता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.