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Me Too: यहां हर बार शोषण के नासूर पर लगता रहा है समझौते का मरहम

कभी हॉस्पिटल में डॉक्टर तो कभी अधिकारी पर लगे आरोप। चहारदीवारी के बीच ही हो गए अधिकतर में समझौते।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 12:19 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 12:19 PM (IST)
Me Too: यहां हर बार शोषण के नासूर पर लगता रहा है समझौते का मरहम
Me Too: यहां हर बार शोषण के नासूर पर लगता रहा है समझौते का मरहम

आगरा [जेएनएन]: एक ट्वीट से शुरू होकर अभियान की शक्ल ले चुके मी टू को देखकर तो यही लगता है कि हर महिला कभी न कभी उत्पीडऩ का शिकार रही है। चाहे ये उत्पीडऩ घूरती निगाहों से किया गया हो या फिर छेड़छाड़ और दुष्कर्म या दुष्कर्म के प्रयास के रूप में। हाई सोसायटी की तरह आम समाज की महिलाएं खुलकर नहीं बोल रही हैं। वे आपबीती कहने में सकुचा रही हैं, मगर टीस तो है ही। अब तक वे सिर्फ इसीलिए ये टीस दिल में दबाए रहीं कि मुुंह किसके सामने खोलें? परिवार से संकोच में नहीं कह सकते थे। समाज से कहने पर जाने क्या-क्या सुनने को मिलता। लेकिन, अब उन्हें अपनी बात कहने का मौका मिला और उचित प्लेटफॉर्म भी। वैसे तो मी टू बोलने की नौबत ही न आए, अगर शोषण करने का दुस्साहस करने पर ही उसे  सी यू कहने की हिम्मत दिखा दी जाए।

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अपने उत्पीडऩ को लेकर देशभर में युवतियां और महिलाएं मी टू पर मुखर हो रही हैं। मगर, आगरा में कोई पीडि़ता सामने नहीं आई है। यहां उत्पीडऩ तो हुए, लेकिन सामने आकर कहने की हिम्मत शायद किसी में नहीं हुई। अब देशभर में चल रहे मी टू के तूफान की चर्चाएं जोरों पर हैं।

मामला दो माह पुराना है। शहर के एक अस्पताल में रिसेप्सनिस्ट को डॉक्टर ने प्रमोशन का झांसा देकर जाल में फंसाया। शारीरिक शोषण किया। जब वह गर्भवती हुई तो डॉक्टर ने अपने ही अस्पताल में गर्भपात करा दिया। युवती के परिजनों को मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने अस्पताल में आकर हंगामा किया। मगर, कुछ लोगों के बीच में आने पर दोनों में समझौता हो गया। बात यहीं दबकर रह गई। इस तरह के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं। किसी अधिकारी तो किसी नेता के उत्पीडऩ की शिकायतें लेकर युवतियां और महिलाएं उनके घर तक पहुंचीं। मगर, या तो आरोपित के रसूखदार होने से मामला दब गया या धन के दबाव में मामला निपटा दिया।

परिवार परामर्श केंद्र में 568 मामले

परिवार परामर्श केंद्र में एक अक्टूबर को 568 मामले थे। ये सभी पति-पत्नी के झगड़ों से संबंधित हैं। किसी में पत्नी पति पर समय न देने तो किसी में अवैध संबंधों का आरोप लगा रही है। वहीं पति की ओर से भी पत्नियों पर इसी तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। कुछ मामले सास और बहू के बीच झगड़े के हैं। इनमें हर रविवार को तारीख लगती है। रविवार को 113 फाइलें थीं। इनमें से पांच में समझौते हो गए और चार में मुकदमे दर्ज हुए। कुल 22 मामलों का निस्तारण हुआ।

महिला संबंधी अपराधों के आंकड़े

दुष्कर्म

वर्ष,केस

16,62

17,56

18,50

छेड़छाड़

वर्ष, केस

2016,62

2017, 56

2018,50

शीलभंग

वर्ष, केस

2016, 154

2017,210

2018,315

149 मामले हुए दर्ज

मथुरा में इस वर्ष पुलिस के पास 149 मामले छेड़छाड़ के दर्ज हुए हैं। माना जाता है कि इससे भी ज्यादा ऐसे वाकये हुए होंगे, जो थाने तक नहीं पहुंच सके। इसके अलावा इस वर्ष दुष्कर्म के करीब 60 मामले प्रकाश में आए हैं।

दिल्ली की महिला ने दिखाई राह

मी टू कैंपन से प्रेरित हो दिल्ली की एक महिला ने एटा के अलीगंज के एक तांत्रिक के खिलाफ मुकदमा लिखाया। पांच साल पहले हुई अश्लील हरकत और शोषण के प्रयास के मामले में आरोपित तांत्रिक मलिखान सिंह तो घर से फरार हो गया। लेकिन, एक महिला के हौसला दिखा 'मी टूÓ कहने से अन्य महिलाएं भी अब तांत्रिक के खिलाफ सामने आने का मन बना रही हैं। महिलाएं कहती हैं कि यह जरूरी नहीं कि शोषण के वक्त हम अपनी बात नहीं कह पाए तो बाद में भी न कहें।

हिम्मत से दिया जुर्रत का जवाब

फीरोजाबाद में हिम्मत से जुर्रत का जवाब दिया गया। टूंडला थाना क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय में 17 सितंबर को शिक्षिका के साथ प्रधानाध्यापक ने हरकत की। उसका हाथ पकड़ लिया। एसएसपी से मुख्यमंत्री तक भेजी गई शिकायत के बाद जैसे-तैसे मामला दर्ज हो पाया। इसी तरह, शिकोहाबाद के बस्ती में 12वीं के छात्र पर मकान मालिक ने बेटी के साथ दुष्कर्म का आरोप लगाया। तहरीर दी और शादी करने की शर्त पर मामला वापस लेने की बात रख दी। चार दिन तक मामला चला और पंचायत के बाद लड़की के पिता ने तहरीर वापस ले ली।


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