बैंक को महंगा पड़ा किसान से ज्यादा ब्याज वसूलना
आगरा: स्टेट बैंक ऑफ कागारौल ने किसान को किसान क्रेडिट कार्ड योजना में किसान के साथ धोखाधडड़ी बैंक को भारी पड़ गई।
जागरण संवाददाता, आगरा: स्टेट बैंक ऑफ कागारौल ने किसान को किसान क्रेडिट कार्ड योजना में लोन देने के बाद मनमाना ब्याज वसूला। शिकायत करने पर भी सुनवाई न होने पर पीड़ित किसान ने न्यायालय जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। मामले में उपभोक्ता फोरम ने किसान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बैंक को दोषी मानते हुए छह फीसद ब्याज के साथ अधिक वसूली गई रकम चुकाने के आदेश दिए हैं। साथ ही पांच हजार मानसिक कष्ट और वाद व्यय के रूप में भी चुकाने होंगे।
किसानों को मुश्किल समय में सहायता देने के लिए चलाई जा रही किसान क्रेडिट योजना का किस तरह से मजाक बनाया जा रहा है। यह मामला उसका सटीक उदाहरण है। कागारौल के नगला भुज निवासी लक्ष्मन सिंह ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की कागारौल शाखा के खिलाफ 21 फरवरी 2017 को वाद दायर किया कि बैंक उनसे किसान क्रेडिट कार्ड में मिलने वाली क्रेडिट के बदले में मनमानी ब्याज वसूल रही है। उन्होंने बताया कि 2008 में जारी केसीसी पर बैंक ने उन्हें तीन लाख रुपये की ऋण सुविधा दी, जिसमें बैंक ने दो लाख 75 हजार रुपये की लिमिट तय की। वह अपनी सुविधानुसार ऋण लेते रहे और उसे ब्याज के साथ चुकाते रहे। लेकिन बैंक बार-बार उनसे गलत तरीके से अधिक ब्याज दर लगाकर आर्थिक नुकसान और मानसिक पीड़ा देती रही। शिकायत करने पर शाखा प्रबंधक ने गलत तरीके से लगाई ब्याज संशोधन करने हुए निस्तारित कर दिए और वर्ष 2010 और 2013 में क्रमश: 23011 और 17724 रुपये वापस उनके खाते में डाल दिए। लेकिन पिछले एक साल से दोबारा उनसे गलत तरीके से ब्याज लगाकर वसूली की जा रही थी।
गलत तरीके से जमा कराए रुपये
तीसरी बार में उन पुर 35 हजार की ब्याज लगा दी गई। शिकायत करने पर 6500 रुपये लेकर खाता सही करने का प्रलोभन दिया गया। लेकिन पास बुक में एंट्री करने पर उन्हें धोखे में रखकर लिए गए 244175 रुपये के ऋण को बढ़ाकर 275000 कर दिया और ऋण लिमिट की ज्यादा धनराशि 6500 रुपये ब्याज के रूप में झूठ बोलकर जमा करा ली। पूछने पर कोई संतुष्ट जवाब न मिलने पर उन्होंने उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। लेकिन बैंक नोटिस जारी होने के बाद भी एक भी तारीख पर नहीं पहुंचा।
बैंक दोषी करार, लगाया जुर्माना
उक्त मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम अध्यक्ष उमेश चंद्र पांडेय ने 12 जून को आदेश जारी किया कि परिवाद में एकपक्षीय रूप से स्वीकार किया गया। विपक्षी बैंक को निर्देश दिए कि अनुचित रूप से वसूले गए 20500 रुपये आदेश की जानकारी होने के एक माह के अंदर छह फीसद साधारण ब्याज के साथ परिवादी को अदा करें। साथ ही उन्हें हुए मानसिक कष्ट के लिए तीन हजार और वाद व्यय के लिए दो हजार रुपये भी अदा करने का आदेश दिया। भुगतान करने में चूक होने पर बैंक को उक्त धनराशि आठ फीसद साधारण ब्याज समेत अदा करनी होगी।