आगरा, जागरण संवाददाता: लखनऊ के हजरतगंज में बिल्डिंग हादसे के बाद गुरुवार को ठीक ऐसा ही एक और हादसा आगरा में हो गया। इस हादसे में एक बच्ची की मौत हो गई और कई परिवारों को आशियाना छिन गया। आगरा में हरीपर्वत के घटिया इलाके में सिटी स्टेशन रोड पर बेसमेंट बनाने के लिए खोदे जा रहे गड्ढे के कारण इसके साथ लगते आधा दर्जन मकान भरभराकर ढह गए। गड्ढा खोदने का कार्य राय बहादुर विशंभर नाथ धर्मशाला की जमीन की जमीन पर बेसमेंट बनाने के लिए किया जा रहा था।
इस हादसे में आगरा डेवलपमेंट के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। मामला मुख्यमंत्री योगी तक पहुंच गया है, जिसके बाद एडीए के अधिकारी खुद को बचाने के लिए हेरफेर में जुट गए हैं। यहां तक कि एडीए के अधिकारियों ने बैक डेट का नोटिस भी निकाल दिया। हैरान करने वाली बात यह है कि जिसके नाम का नोटिस निकाला, नोटिस उसे न देकर किसी दूसरे व्यक्ति को दे दिया।
तीन दिन पुराना नोटिस थमाया
दरअसल, एडीए के जेई ने खुद को बचाने के लिए मुख्य आरोपी राजू मेहरा की जगह फुलट्टी के रहने वाले एक अन्य राजू मेहरा को जबरन नोटिस भेज दिया, जिस पर हादसे से तीन दिन पहले यानी 23 जनवरी 2023 की तारीख लिखी है। नोटिस में कहा गया कि पहले से बनी धर्मशाला को गिराकर बेसमेंट की खुदाई का कार्य किया जा रहा है, जिसकी मंजूरी नहीं ली गई है। नोटिस मिलते ही काम बंद किया जाए।
फुलट्टी के राजू को जब नोटिस मिला तो उन्होंने घटनास्थल पर जाकर एडीए सिटी से शिकायत की, लेकिन उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, बैकडेट नोटिस निकालने वाले जेई को हटा दिया गया है।
बस्ती के लोगों ने कई बार की शिकायत, नहीं हुई सुनवाई
उधर, हादसे के बाद माईथान बस्ती के लोगों का कहना था कि उन्होंने धर्मशाला में निर्माण कार्य की शिकायत नगर निगम में की थी। बेसमेंट की खुदाई से मकान गिरने की आशंका थी। धर्मशाला के पीछे बने अधिकांश मकान 70 से 80 साल पुराने हैं। इसके बावजूद नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते गुरुवार की सुबह हादसा हुआ।