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NGT: एनजीटी के चार साल पुराने आदेश का अब तक अनुपालन नहीं कर सके अफसर

NGT यमुना में सीधे गिर रहे 61 नाले अब तक बंद नहीं किए गए। वर्ष 2016 में दिए थे इन्हें बंद करने के आदेश। तमाम कोशिशों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त रुख के बाद भी यमुना को प्रदूषण से मुक्त नहीं किया जा सका है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 12 Nov 2020 09:44 AM (IST)Updated: Thu, 12 Nov 2020 09:44 AM (IST)
NGT: एनजीटी के चार साल पुराने आदेश का अब तक अनुपालन नहीं कर सके अफसर
यमुना में सीधे गिर रहे 61 नाले अब तक बंद नहीं किए गए।

आगरा, जागरण संवाददाता। वाुय प्रदूषण को रोकने के लिए जिस सख्ती के साथ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पाटाखा पाबंदी के आदेश का पालन किया जा रहा है, उतनी ही सख्ती यदि यमुना को प्रदूषित होने से रोकने में लगाई होती तो जल प्रदूषण से भी राहत मिलती। लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले चार साल में यमुना में सीधे गिर रहे नालों को अब तक बंद नहीं किया जा सका है।

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तमाम कोशिशों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त रुख के बाद भी यमुना को प्रदूषण से मुक्त नहीं किया जा सका है। अभी भी 61 से अधिक नाले सीधे यमुना में गिर रहे हैं। इन्हें रोकने का अब तक बंदोबस्त नहीं हो सका है। हालांकि नमामि गंगे के तहत योजना बनकर तैयार है लेकिन अफसर और जनप्रतिनिधि मिलकर इसके लिए बजट जारी नहीं करा पाए हैं। यमुना में सीधे गिर रहे नालों को रोकने के लिए लंबे समय से कवायद चल रही है। वर्ष 2016 में एनजीटी ने भी इस पर नाराजगी जताई। साथ ही सभी नालों को रोकने का आदेश दिया। इस बाद जोरशोर से कवायद शुरू हुई। 61 नाले चिह्नित किए गए, जो सीधे नाले में गिर रहे थे। इन्हें बंद करने के लिए मशक्कत भी हुई लेकिन ये नाले बंद नहीं हो पाए। अभी भी स्थिति जस की तस है। कैलाश से लेकर दशहरा घाट के बीच ये नाले गिर रहे हैं। इनके माध्यम से सीवर का गंदा पानी सीधे यमुना में जा रहा है।

ये बनी योजना

नमामि गंगे के तहत यमुना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने योजना बनाई है। 480 करोड़ रुपये इस योजना के तहत 13 एसटीपी बनने हैं। तीन बड़े और 10 छोटे एसटीपी प्रस्तावित हैं। इसके अलावा सभी नाले टेप किए जाने हैं। 


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