Global Hand Washing Day: CoronaVirus से बचाएंगे साबुन से हाथ धोने में लगाए गए 30 सेकंड
Global Hand Washing Day कोरोना सहित बैक्टीरिया और वायरस से होने वाली बीमारियों से हाथ धोने से बचाव। सही तरह से हाथ धोने की दी जाएगी जानकारी। साबुन से हाथ नहीं धो सकते हैं तो 70 से 75 फीसद अल्कोहल बेस हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। साबुन से हाथ धोने में 30 सेकंड लगाते हैं तो कोरोना संक्रमित होने की आशंका कम है। मगर, अधिकांश लोग सही तरह से हाथ नहीं धोते हैं। गुरुवार को ग्लोबल हैंड वाशिंग डे पर लोगों को सही तरह से साबुन से हाथ धोने के लिए जागरूक किया जाएगा।
कोरोना संक्रमित होने का एक बडा माध्यम हाथ हैं, ऐसे में दुनिया भर में सही तरह से हाथ धोने पर जोर दिया जा रहा है। मगर, अधिकांश लोग सही तरह से हाथ नहीं धोते हैं। एसएन मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के डा प्रभात अग्रवाल ने बताया कि घर से बाहर हैं तो हर दो घंटे बाद साबुन से हाथ धोते रहें। हाथ धोने के बाद ही मुंह और नाक से हाथ का स्पर्श करें, इससे कोरोना संक्रमित होने का खतरा बहुत कम हो जाता है। इसके लिए पूरे हाथ, उंगलियों के बीच में और कलाई तक साबुन लगाए, इसे रगडे, करीब 30 सेकंड तक साबुन को हाथ पर लगे रहने दें। इसके बाद साफ पानी से साफ कर लें। साबुन से हाथ नहीं धो सकते हैं तो 70 से 75 फीसद अल्कोहल बेस हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे भी हाथ के बैक्टीरिया और वायरस नष्ट हो जाते हैं।
सीएमओ डा आरसी पांडे ने बताया कि हाथों को सही तरह से धोने से वायरल संक्रमण, डायरिया, टाइफाइड, पेट संबंधी बीमारियों से लेकर चर्म रोग से बच सकते हैं। इस बार "सभी के लिए स्वच्छ हाथ" का संदेश लोगों तक पहुंचाया जाएगा।
ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे क्यों मनाया जाता है
ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे की स्थापना 2008 में स्वीडन में की गई थी। ग्लोबल हैंडवॉशिंग पार्टनरशिप ने स्वीडन में आयोजित वर्ल्ड वॉटर वीक में इस दिन की शुरुआत की थी, जिसका मकसद साबुन से हाथ धोने के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना था। पार्टनरशिप समिति के सदस्यों में कोलगेट, पामोलिव, FHI 360, प्रॉक्टर एंड गैंबल, यूनिसेफ, यूनिलिवर और वर्ल्ड बैंक शामिल थे। इस दिन को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसका खास मकसद लोगों को हाथ धोने की अहमियत बताना है। हाथों की सफाई पर हैंडवॉशिंग कार्यक्रम चलाने वाले मध्य प्रदेश का नाम 2014 में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था।