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पेड़-पौधों के लिए घातक हैं पार्थेनियम और जूलीफ्लोरा: यादव

प्राणवायु के लिए जरूरी है सघन वनों का होना हर 20 मिनट में लुप्त हो रही जीव-जंतुओं की एक प्रजाति

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 08:54 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 08:54 PM (IST)
पेड़-पौधों के लिए घातक हैं पार्थेनियम और जूलीफ्लोरा: यादव
पेड़-पौधों के लिए घातक हैं पार्थेनियम और जूलीफ्लोरा: यादव

आगरा, जागरण संवाददाता । पार्थेनियम (खरपतवार) और जूलीफ्लोरा (बिलायती बबूल) पेड़-पौधों के लिए घातक साबित हो रहे हैं। पिछले 70 वर्षो में करीब 571 पेड़ों की प्रजातियां नष्ट हो गई हैं। तेजी से हो रहा वनों का कटान मानव सभ्यता के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। मनुष्य प्रकृति का चेन सिस्टम तोड़ रहा है। ये उद्गार शुक्रवार को भारतीय वन सेवा के पूर्व अधिकारी धर्मसिंह यादव ने राजा महादेव मंदिर कैलाश, सिकंदरा में शिव आनंद सेवा सृष्टि द्वारा 'बसुंधरा की सुरक्षा' विषय पर आयोजित सेमिनार में व्यक्त किए।

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उन्होंने पृथ्वी की रक्षा के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने और उनके संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि विदेशों से आयतित बीज के साथ पार्थेनियम भारत में आया है, जो यहां की वनस्पति का दुश्मन साबित हो रहा है। इसी तरह जूलीफ्लोरा का बीज आस्ट्रेलिया से भूमि का कटान रोकने के लिए लाया गया था, लेकिन अब यह मुसीबत बन गया है। इसकी पत्तियों से मृदा में अम्लीय तत्व बढ़ रहा है, जिससे पेड़ पौधे और जीव-जंतु लुप्त हो रहे हैं। उन्होंने विकास के नाम पर राजनीतिक इच्छा शक्ति को दोषी बताते हुए कहा कि राजनेता जब चाहें, जहां चाहें सड़कों का निर्माण मनमानी के आधार पर कराते हैं, वे यह नहीं देखते कि इससे कितनी वनसंपदा नष्ट होगी। पर्यावरण पर इसके क्या दुष्प्रभाव पड़ेंगे। सड़कों के नाम पर हर रोज हजारों वृक्षों को काट दिया जाता है। एक पेड़ के कटने पर सैकड़ों जीव जंतुओं का जीवन नष्ट हो जाता है। पशु-पक्षियों और जीव-जंतुओं के लिए वन और वृक्ष ही आवास होते हैं, जब वन और वृक्ष नहीं बचेंगे तो इकोसिस्टम तो गड़बड़ होगा ही। मुख्य अतिथि के तौर पर उन्होंने सेमिनार में भाग लेने आए लोगों से अपील की कि पितृ दोष से मुक्ति के लिए कम से कम एक व्यक्ति को 6 पेड़ लगाने चाहिए।

सेमिनार में विशेष अतिथि पर्यावरणविद् और बाल रोग विशेषज्ञ डा. शरद गुप्ता ने कहा कि मानवीय प्रदूषण के कारण हर 20 मिनट में जीव-जंतुओं की एक प्रजाति लुप्त हो रही है। प्राणवायु के लिए सघन वनों का होना जरूरी है। अब सरकारों के सहारे रहे तो देर हो जाएगी। हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह मानवता और अपनी आगामी पीढ़ी के लिए कम से कम एक पेड़ जरूर लगाए। उन्होंने वट वाटिका में लगाए गए पेड़ों को देखकर संतोष व्यक्त किया, साथ ही इसे जनमानस के लिए उदाहरण बताया।

'बसुंधरा की सुरक्षा' पर मंथन करने वालों में डा. संतोष यादव, डा. संजय शर्मा, देवीराम, विष्णु गोयल, चौ. रामवीर सिंह, नीरज यादव, संजय शिवहरे, गोपाल यादव, सचिन बघेल आदि प्रमुख रहे। कार्यक्रम का संचालन, डा. तिवारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापित आयोजक राजू पोनिया ने किया।


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