Poisonous Liquor Case: रक्षाबंधन पर ससुराल गए राकेश की भी जहरीली शराब ने ले ली जान
Poisonous Liquor Case बोदला के भगवती विहार का रहने वाला राकेश 22 अगस्त को गया था शमसाबाद। शराब पीने के बाद तीन घंटे बाद बिगड़ी हालत 24 अगस्त को अस्पताल में तोड़ा दम। स्वजन ने पोस्टमार्टम कराए बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया था।
आगरा, जागरण संवाददाता। जहरीली शराब ने रक्षाबंधन पर ससुराल गए राकेश की भी जान ले ली। शराब पीने के तीन घंटे बाद ही उसकी हालत बिगड़ गई थी। उसके सिर में तेज दर्द के साथ उल्टियां होने लगीं। स्वजन ने 23 अगस्त की शाम को उसे शमसाबाद मार्ग स्थित जीआर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां 24 अगस्त की सुबह उसने दम तोड़ दिया था। स्वजन ने पोस्टमार्टम कराए बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया था।
बोदला के भगवती विहार का रहने वाला राकेश सब्जी विक्रेता था।उसकी उम्र 40 साल थी। परिवार में पत्नी माया देवी और तीन बच्चे राेहित (18),मुस्कान (15) और सनी (11) हैं। पिता शिवचरन ने बताया कि राकेश रक्षांधन पर बहू माया देवी को लेकर ससुराल गया था। वह 23 अगस्त की दोपहर में अपने साले के साथ बाजार गया था। पिता के अनुसार वह बाजार से शराब का सेवन करके लौटा था। शाम करीब छह बजे राकेश के सिर में तेज दर्द होने लगा।उसने इसकी जानकारी पत्नी को दी।
वह सिर दबाने लगी, इसी दौरान राकेश को उल्टियां होने लगी। पसीना निकलने के साथ ही उसका गला सूखने लगा। हालत बिगड़ती देख पत्नी और ससुराल वालों ने राकेश को शसमसाबाद मार्ग स्थित जीआर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां 24 अगस्त की सुबह उसने दम तोड़ दिया। पत्नी के जानकारी देने पर स्वजन अस्पताल पहुंच गए। वह शव काे अपने साथ बोदला लेकर आ गए। पिता शिवचरन ने बताया कि उन्होंने व परिवार के लोगों ने राकेश के शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया।
पिता ने बताया पुलिस उनके घर पहुंची थी। राकेश के शव का पोस्टमार्टम कराने की कहा, लेकिन तब तक वह उसका अंतिम संस्कार कर चुके थे। परिवार के लोगों ने पुलिस को लिखकर दे दिया कि वह कोई कार्रवाई नहीं चाहते। हालांकि जगदीशपुरा पुलिस ने 24 अगस्त को ही जीडी इसका तस्करा डाल दिया था।
बेटे की पढ़ाई पर संकट, घर की जिम्मेदारी
जहरीली शराब से राकेश की मौत ने बड़े बेटे रोहित की पढ़ाई पर संकट खड़ा कर दिया है। उसने इसी साल हाई स्कूल किया है। ग्यारहवीं में प्रवेश की तैयारी कर रहा था। पिछले बार भी उसने पार्टियों में वेटर का काम करके अपनी फीस जुटाई थी। अब पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधों पर है। मकान के नाम पर परिवार के सिर पर टिन का शेड पड़ा हुआ है।