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डाक्टर साहब प्लीज भर्ती कर लीजिए, सांसें उखड़ रही हैं

तीमारदारों का बुरा हाल.कैसा है मरीज पूछ रहे बस यही सवाल

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 11:59 PM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 11:59 PM (IST)
डाक्टर साहब प्लीज भर्ती कर लीजिए, सांसें उखड़ रही हैं
डाक्टर साहब प्लीज भर्ती कर लीजिए, सांसें उखड़ रही हैं

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस सांसों की डोर काट रहा है। किसी तरह इस डोर को संभाले मरीज अस्पताल तक पहुंच रहे हैं। इस उम्मीद में कि यहां इलाज मिलेगा, लेकिन अस्पतालों में व्यवस्था चरमरा रही है। बेड फुल हो रहे हैं। आक्सीजन सिलिंडर लिए मरीज एंबुलेंस में बैठे इंतजार कर रहे हैं कि कब बेड खाली हो और उन्हें भर्ती किया जाए। भर्ती होने के कई दिन बाद भी मरीज के इलाज और उसकी सेहत के संबंध में जानकारी न मिल पाने से स्वजन काफी परेशान हैं। संक्रमित मरीज का उपचार करा रहे कई स्वजन से बातचीत की तो पीड़ा सामने आई।

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गुरुवार को एसएन अस्पताल से लेकर निजी अस्पताल तक यही हालात दिखे। बल्केश्वर निवासी सुनीता अग्रवाल की कुछ दिन पहले तबीयत खराब हो गई। स्वजन उपचार के लिए डाक्टर के पास ले गए तो कोरोना की जांच कराने के लिए कहा गया। जांच कराई और रिपोर्ट पाजिटिव आई। रिपोर्ट आने के बाद सुनीता की हालत खराब होनी शुरू हो गई और सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी। स्वजन ने 108 एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन एंबुलेंस नही आई। स्वजन सुनीता को किसी तरह आक्सीजन मास्क लगाकर आगरा-मथुरा रोड स्थित एक निजी अस्पताल में पहुंचे। यहां बेड खाली न होना बताया गया। घंटों तक स्वजन यहां-वहां भटकते रहे। बाद में किसी तरह सुनीता को निजी अस्पताल में भर्ती कराया। कमला नगर निवासी योगेश अग्रवाल को भी उसके स्वजन निजी एंबुलेंस के सहारे लेकर मेडिकल कालेज में भर्ती कराने के लिए गए पर जब वहा योगेश भर्ती नही हो पाए तो उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। आवास-विकास निवासी मीनू, शास्त्रीपुरम निवासी नवीन वाजपेयी, नाथ का बाग निवासी अजय, सिकंदरा निवासी अंशुल का भी यही हाल रहा। इन हालात से हताश स्वजन ने विरोध भी प्रकट किया। लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों ने संसाधन कम होने की बात कह अपनी बेबसी जता दी। ऐसे हो रहे तीमारदार परेशान

नामनेर निवासी संजय को एमजी रोड स्थित एक निजी अस्पताल में 15 अप्रैल को भर्ती कराया था। तीमारदार अंकुर की मानें तो तब से डाक्टर बस यही बता रहे हैं कि उपचार चल रहा है। मोबाइल पर बातचीत तक नहीं कराई जा रही। ऐसे में अस्पताल के बाहर बैठ ठीक होने का इंतजार करते हैं। फतेहाबाद निवासी गजेन्द्र की मानें तो पांच दिन पहले पत्नी को संक्रमित होने पर मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। भर्ती कराने से पहले घंटों चक्कर काटे और सिफारिश भी लगाई। पहले बेड खाली न होना बताया गया, फिर किसी प्रकार भर्ती किया। अब पांच दिन बाद मरीज की हालत कैसी है, कुछ पता नहीं है। कमला नगर निवासी अरुण जैन की मानें तो संक्रमित होने पर पिता को मेडिकल कालेज में लेकर पहुंचे थे। यहां घंटों बाद किसी प्रकार भर्ती किया गया। डाक्टरों ने बताया कि उपचार चल रहा है। न देखने दिया जा रहा है और न बातचीत कराई जा रही है। पता नहीं कैसा उपचार चल रहा है।


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