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पहले कोरोना वायरस संक्रमित परिवार की बदल गई लाइफ स्‍टाइल, पढ़ें एक साल में क्‍या आया जिंदगी में बदलाव

खंदारी के अमित कपूर और सुमित कपूर सहित पांच स्वजन हुए थे कोरोना वायरस पाजीटिव। अमित व उनके भाई सुमित इटली अपने काम के सिलसिले में गए थे। वहां से लौटने पर टेस्‍ट हुआ वो संक्रमित पाए गए। अपनों के साथ बिताते हैं ज्यादा समय बदल गई है दिनचर्या।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 08:08 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 08:08 AM (IST)
पहले कोरोना वायरस संक्रमित परिवार की बदल गई लाइफ स्‍टाइल, पढ़ें एक साल में क्‍या आया जिंदगी में बदलाव
आगरा में दो मार्च को कोरोना वायरस संक्रमण का पहला केस रिपोर्ट हुआ था।

आगरा, प्रभजोत कौर। इस एक साल में जिंदगी ने पूरा यूटर्न ले लिया है। घड़ी की सुई को एक साल पीछे ले जाएं तो मन सिहर उठता है। हम एक एेसी बीमारी का सामना कर रहे थे, जिसके बारे में कुछ भी नहीं पता था। न इलाज की जानकारी थी और न ही बचाव की। पर इस एक साल में एक बात समझ में आई है कि पैसा और काम ही जिंदगी का लक्ष्य नहीं होना चाहिए। परिवार के साथ बिताया समय जिंदगी की सबसे बड़ी नेमत है।

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यह कहना है अमित कपूर का, जो पिछले साल दो मार्च को जिला अस्पताल में कोरोना टेस्ट के लिए भर्ती हुए थे। खंदारी निवासी अमित कपूर के जीजा रोहित दत्ता भारत के पहले कोरोना मरीज थे। उनके साथ ही अमित व उनके भाई सुमित इटली अपने काम के सिलसिले में गए थे। वहां से लौटने पर रोहित का टेस्ट हुआ और वो पाजीटिव पाए गए। अमित के पास भी टेस्ट कराने के लिए फोन आए।अमित और सुमित दो मार्च को जिला अस्पताल टेस्ट कराने पहुंचे। दोनों भाइयों के साथ पूरे परिवार के भी सैंपल लिए गए। स्वजनों को सैंपल लेने के बाद घर भेज दिया गया, ले किन अमित और सुमित को जिला अस्पताल में ही रोक लिया गया। तीन मार्च को दोनों की रिपोर्ट पाजीटिव आई। उसी दिन दोनों को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। अमित और सुमित के अलावा तीन और स्वजन पाजीटिव पाए गए। इनमें सारिका कपूर, तनिष्क कपूर, अशोक राजकपूर शामिल थे।

अंजान दुश्मन से थी लड़ाई

अमित बताते हैं कि हमारी लड़ाई एेसे दुश्मन से थी, जिसके बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं था। दूसरे देशों से आ रही खबरें विचलित कर रही थीं। कोई गाइडलाइंस नहीं थी, कोई इलाज नहीं था। हमें यह भी नहीं पता था कि हम अस्पताल से लौट कर वापस घर जा पाएंगे या नहीं। 15 दिन अस्पताल में रहे।

अपनों के साथ बिताते हैं समय

अमित संयुक्त परिवार में रहते हैं। परिवार में 11 सदस्य हैं। अब काम से आने के बाद सभी एक साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हैं। परिवार के हर सदस्य से अब पहले ज्यादा अच्छी बांडिग हो गई हैं। एक-दूसरे की जरूरत ज्यादा महसूस होती है।

बदल गई दिनचर्या

पहले के मुकाबले सेहत पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। खान-पान से लेकर नींद तक का पूरा रूटीन है। परिवार का हर सदस्य खुद को फिट रखने के लिए अब ज्यादा मेहनत कर रहा है।

लोगों को किया जागरूक

पिछले एक साल में हमारे पास कई फोन आए। सभी एक ही सवाल करते थे कि आप पहले मरीज थे, आपने क्या एहतियात बरती। इस एक साल में हमने लोगों को जागरूक किया। अमित ने अपने वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर साझा किए। वैक्सीन लगवाने के लिए भी वे लगातार सभी को जागरूक कर रहे हैं। अमित ने बताया कि उनके माता-पिता का पंजीकरण हो चुका है, वे भी वैक्सीन लगवाएंगे। 


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