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Wild Life in Agra: हीटर के कमरे में मुस्कान और पराली के गद्दे पर खराटे लेती है चार्ली

Wild Life in Agra कीठम स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के भालू संरक्षण केंद्र में 160 भालू। सर्दी से बचाने के लिए भालुओं के कमरों में लगाए हीटर डाली पराली। भालू संरक्षण केंद्र में भालुओं ने कमरों के बाहर मिट्टी में गड्ढे बना रखे हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 27 Jan 2021 08:52 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jan 2021 08:52 AM (IST)
Wild Life in Agra: हीटर के कमरे में मुस्कान और पराली के गद्दे पर खराटे लेती है चार्ली
कीठम स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के भालू संरक्षण केंद्र में 160 भालू।

आगरा, जागरण संवाददाता। डिजाइन से भरपूर बेडरूम, महंगा गद्दा और सौफा इनकी ख्वाहिश नहीं है। चार्ली थोड़ी सी पराली से बने गद्दे पर खराटें लेती और मुस्कान को हीटर लगे कमरे में सकून की नीद सोती है। साधारण परिवेश में गुजर-बसर करने वाली चार्ली को जितना सकून पराली पर मिलता है। उतना बाजार में बिकने वाले स्टाइलिश गद्दे पर नहीं मिलता। पराली बिछाते ही वह पल भर में सो जाती है। जबकि उसके अन्य साथियों को हीटर लगे कमरों में नीद आती है।

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यह कहानी किसी महिला या लड़की की नहीं, बल्कि कीठम स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के भालू संरक्षण केंद्र में रहने वाली भालू चार्ली और मुस्कान की है। चार्ली ने पिछले वर्ष एक दिसंबर में अपनी आजादी का एक वर्ष पूरा किया था। इस मौके पर वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम ने चार्ली व उसके चार साथियों को पार्टी दी थी, लेकिन उसके बाद से जितनी सर्दी बढ़ती गई, चार्ली उतनी ही खामोश रहने लगी। वाइल्डलाइफ एसओएस के कर्मचारियों ने सभी भालुओं के कमरों के साथ चार्ली के कमरे में भी हीटर लगा दिया। इससे उसके पड़ोसी कमरे में रहने वाली मुस्कान तो चैन की नीद लेने लगी पर चार्ली को सकून नहीं मिला। इससे कर्मचारी परेशान हो गए। उन्होंने पराली का इंतजाम किया और चार्ली के कमरे में पराली डाल दी। कुछ देर बाद ही चार्ली खराटे लेने लगी। यह देखकर कर्मचारियों ने सभी भालुओं के कमरे में पराली डाली। अब सब आराम महसूस कर रहे हैं

पराली के फायदे

वाइल्डलाइफ एसओएस की संरक्षण परियोजना के निदेशक बैजूराज एमवी ने बताया कि पराली गर्म होती है। उसमें ज्यादा गरमाई बनती है। पराली बाहर और भीतर के तापमान को रोकती है। इसलिए भालुुओं के कमरे में पराली डाली गई है। इसका दूसरा फायदा यह है कि पराली पर गद्दा जैसा महसूस होता है। भालुओं के कमरों का धरातल पक्का है। इसलिए उन्हें पराली पर सकून मिला है।

गड्ढों में डाली गई

भालू संरक्षण केंद्र में भालुओं ने कमरों के बाहर मिट्टी में गड्ढे बना रखे हैं। धूप निकलने पर भालू उसी में बैठते हैं। इसलिए वाइल्डलाइफ एसओएस के कर्मचारियों ने कुछ गड्ढों में भी पराली डाल दी है। कुछ गड्ढे खाली छोड़ दिए हैं। उनमें आंखों से दिव्यांग भालू भोजन करते हैं। 


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