Wild Life in Agra: अंडा देखकर कमरे से बाहर निकल आते हैं अमिताभ और माइकल
Wild Life in Agra सर्दी बढ़ने पर बदल दिया भालुओं के भोजन का मेन्यू गुड और शहद की मात्रा भी बढ़ाई। कीठम स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के भालू संरक्षण केंद्र में 160 से ज्यादा भालू। भोजन में चना गेहूं रागी बाजरे के आटे से बना दलिया दिया जाता है।
आगरा, जागरण संवाददाता। चना का दलिया, मक्का का दलिया, रागी का आटा, बाजरे का आटा, शहद और गुड का भोजन तो भालुओं का आम है, लेकिन अमिताभ और माइकल अंडा के इतने दीवाने हो गए, कि जब तक भोजन में अंडा नजर नहीं आता। तब तक कमरे से बाहर नहीं आते। जैसे ही उसमें अंडे डाले जाते हैं। तत्काल खुशी से गद-गद दोनों कमरे से बाहर निकलकर झट से भोजन को चट कर जाते हैं।
सर्दियों के मौसम में वन्य जीवों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। किसी बच्चे की तरह ही उन्हें दुलार और ख्याल चाहिए होता है। कीठम स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के भालू संरक्षण केंद्र में लगभग 160 भालू हैं। सामान्य मौसम में इन भालुओं के भोजन में चना, गेहूं, रागी, बाजरे के आटे से बना दलिया दिया जाता है। जो गुड और शहद से बनाया जाता है, लेकिन सर्दी बढ़ने पर भालुओं के भोजन का मेन्यू बदला है। वाइल्डलाइफ एसओएस ने प्रत्येक भालू को चार अंडा देने शुरू दिए हैं। वहीं, गुड और शहद की मात्रा भी बढ़ा दी है। वर्ष 2010 में नेपाल की सीमा पर तस्करों से मुक्त कराए अमिताभ और माइकल को अंडों वाला भोजन काफी पसंद आया है। इनके साथ चार वर्षीय मोगली, छह वर्षीय रोज और सात वर्षीय एलबिस को भी यह रास आया है। ये अंडे की खुशबू सूंघकर झूमना शुरू हो जाते हैं।
फल कर दिए कम
वाइल्डलाइफ एसओएस की संरक्षक परियोजना के निदेशक बैजूराज एमवी ने बताया कि सर्दी बढ़ने पर भालुओं को फल कम पसंद नहीं आते हैं। इसलिए उन्हें तरबूज, सेब, केला, अंगूर, पपीता देना कम कर दिया है।