Stop Begging: आगरा में खेलने की उम्र में हालात के चलते हाथ फैलाने को मजबूर हो रहे बच्चे
Stop Begging भिक्षावृत्ति के खिलाफ जारी पुलिस अभियान में 69 बच्चे रेस्क्यू किए गए। काउंसिलिंग के दौरान बच्चों ने बताई अपनी मजबूरियां। बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री की बाल श्रमिक विद्या योजना से जोड़ने की है तैयारी।
आगरा, जागरण संवाददाता। शहर में भिक्षावृत्ति के खिलाफ पुलिस दस दिसंबर से अभियान चला रही है। अब तक 69 बच्चों को रेस्क्यू कर चुकी है। हर बच्चे के पीछे कोई न कोई कहानी है। जिसके चलते वह भिक्षावृत्ति कर रहे थे। हालात ने खेलने की उम्र में बच्चों को दूसरों के आगे हाथ फैलाने पर मजबूर कर दिया है। इनमें किसी के पिता जेल में हैं तो किसी की मां नहीं है। ऐसे में अभिभावकों की गैर माैजूदगी और सही-गलत की पहचान कराने वाला कोई अपना नहीं होने के चलते यह बच्चे भिक्षावृत्ति करने लगे। चाइल्ड लाइन द्वारा की गई काउंसिलिंग के दौरान इन बच्चों की कहानी निकलकर सामने आई।
इन बच्चों की काउंसिलिंग के दौरान भिक्षावृत्ति करने वाले अधिकांश बच्चों के परिवार की आर्थिक स्थिति ने उन्हें न चाहते हुए भी यह दूसरों के सामने हाथ फैलाने काे मजबूर कर दिया। इसमें वह दो से तीन सौ रुपये रोज तक कमा लेते थे। यह लालच भी उन्हें मेहनत करने से कहीं न कहीं रोकता है।
केस एक: राजामंडी रेलवे स्टेशन के पास से रेस्क्यू किए गए दस वर्षीय बालक के पिता और भाई दोनों वाहन चोरी में जेल में हैं। परिवार मे कोई कमाने वाला नहीं होने के चलते बालक को भिक्षावृत्ति करके जीवन यापन करना पड़ रहा है। बालक ने पुलिस को बताया कि उसे किसी के सामने हाथ फैलाना अच्छा नहीं लगता। मगर, मजबूरी के चलते यह सब करना पड़ रहा है।
केस दो: भिक्षावृत्ति करने वाले सात साल के अन्य बालक कहानी भी जुदा नहीं है। उसके पिता बीमार रहते हैं। घर में कोई और कमाने वाला नहीं है। इसके चलते उसे अपना और परिवार का खर्चा चलाने के लिए भिक्षावृत्ति करनी पड़ती है।
केस तीन: सदर क्षेत्र में भिक्षाव़ृत्ति करने वाले छह साल के बालक की कहानी भी दोनों बालकों जैसी है। उसके पिता की मौत हो चुकी है। परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है। इसके चलते मजबूरी में वह भिक्षावृत्ति कर रहा था।
केस चार: ताज के पास रेस्क्यू किए गए बालक ने पुलिस को बताया कि हादसे में पिता घायल हो गए हैं। परिवार में वही कमाने वाले सदस्य थे। परिवार की आर्थिक तंगी को देखते हुए उसे भिक्षावृत्ति करनी पड़ी। वह स्कूल जाना चाहता है। मगर, परिवार की जिम्मेदारी भी है।
केस पांच: बिजलीघर चौराहे पर किए गए रेस्क्यू में पकड़ी गई नौ साल की बालिका ने बताया कि पिता दिल्ली में रहते हैं। वह मां से कोई संबंध नहीं रखते हैं। इसके चलते उसे और मां को अपना पेट पालने के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ता है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दिया है बच्चों के पुर्नवास के निर्देश
भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों को गंभीर रूख अपनाया है। आयोग ने पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों को पत्र लिखकर उनके पुनर्वास के लिए निर्देश दिया है। इससे कि यह बच्चे भिक्षावृत्ति छोड़कर आत्मनिर्भर बन सकें। चाइल्ड लाइन और पुलिस इन बच्चों को डाटा तैयार कर रही है। इससे कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जा सके। इन बच्चों को मुख्यमंत्री बाल श्रमिक विद्या धन योजना से जोड़ने की तैयारी है।