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Rock Painting: ASI आगरा सर्किल राक पेंटिंग्स के संरक्षण को भेजी रिपोर्ट, ये है इतिहास

Rock Painting फतेहपुर सीकरी स्थित अरावली पर्वत की श्रंखलाओं में हैं पेंटिंग्स। सात हजार वर्ष पुरानी से लेकर गुप्त काल तक बनाए गए हैं चित्र। चित्र उत्तर पाषाण काल यानि सात हजार साल पुराने से लेकर गुप्त काल तक के हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 05:21 PM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 05:21 PM (IST)
Rock Painting: ASI आगरा सर्किल राक पेंटिंग्स के संरक्षण को भेजी रिपोर्ट, ये है इतिहास
फतेहपुर सीकरी स्थित अरावली पर्वत की श्रंखलाओं में हैं पेंटिंग्स।

आगरा, जागरण संवाददाता। अरावली पहाड़ियों में फतेहपुर सीकरी स्थित राक पेंटिग्स को संरक्षित किए जाने की आस जगी है। सीकरी के रसूलपुर, मदनपुर, पतसाल और जाजाली में गुप्त काल से लेकर सात हजार वर्ष तक पुरानी राक पेंटिंग्स को महत्वपूर्ण मानते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के आगरा सर्किल ने दिल्ली मुख्यालय को सहेजे जाने को रिपोर्ट भेजी है।

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आगरा को आज भले ही मुगल काल में बने स्मारकों के लिए जाना जाता हो, मगर आगरा का इतिहास मुगलों से पूर्व भी उन्नत रहा है। इनमें फतेहपुर सीकरी स्थित अरावली पर्वत श्रंखला में ​राक पेंटिंग्स प्रमुख हैं। किरावली तहसील के गांव रसूलपुर में 12, मदनपुरा में तीन, जाजाली में आठ और पतसाल में चार रॉक शेल्टर्स की खोज राक आर्ट सोसायटी आफ इंडिया के सचिव पुरातत्वविद डा. गिरिराज कुमार ने 80 के दशक में की थी। अवैध खनन से राक शेल्टर्स को काफी क्षति पहुंची है, जिससे अनमोल धरोहर नष्ट होती रही। सुप्रीम कोर्ट द्वारा खनन पर रोक के बाद कुछ राक शेल्टर्स बचे हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इन राक शेल्टर्स को संरक्षित करने के लिए रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय को भेजी है।

अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि राक शेल्टर्स को संरक्षित करने के लिए मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी गई है।

संस्कृति मंत्री ने दिया था आश्वासन

आगरा के डा. देवाशीष भट्टाचार्य ने पिछले महीने दिल्ली जाकर केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल से मुलाकात की थी। उन्होंने आगरा आकर राक शेल्टर्स देखने का आश्वासन दिया था।

उत्तर पाषाण काल के हैं चित्र

इतिहासविद राजकिशोर राजे ने अपनी पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' में लिखा है कि पतसाल व मदनपुरा स्थित राक शेल्टर्स सर्वाधिक चित्रित हैं। इनमें बने चित्र उत्तर पाषाण काल यानि सात हजार साल पुराने से लेकर गुप्त काल तक के हैं। पतसाल के राक शैल्टर्स के पास खेतों में ऐसे साक्ष्य मिले थे, जिनसे साबित होता है कि यहां आदिमानव रहते होंगे। पतसाल में पेड़-पौधे, पशु समूहों, नृत्य व हथियारों से संबंधित चित्र राक शेल्टर्स में बने मिले। मदनपुरा में दंतीला हाथी, नील गाय, दो सांड़ जबकि रसूलपुर में जटिल अल्पना चित्र बने हुए मिले थे। चित्रों में लाल व काले रंग का प्रयोग हुआ। 


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