Self Help Groups in Agra: ताजनगरी में लाकडाउन के बाद बढ़ गए 600 नये स्वयं सहायता समूह
Self Help Groups in Agra लाकडाउन से पहले तक जिले में लगभग 9400 समूह थे। बहुत से पुरुषों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। ऐसे में महिलाओं ने स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर परिवार की जिम्मेदारी उठानी की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाए।
आगरा, जागरण संवाददाता। लाकडाउन के बाद बदली परिस्थितियों में स्वयं सहायता समूह का कुनबा बढ़ा है। महिलाएं अपने पैरों पर खडे़ होकर न सिर्फ अपने परिवार के पालन-पोषण में अहम भूमिका निभा रही हैं बल्कि दूसरी महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध करा रही हैं। समूह से जुड़ी महिलाएं खेती करने से लेकर राशन की दुकानें तक संभाल रही हैं।
लाकडाउन से पहले तक जिले में लगभग 9,400 समूह थे। लाकडाउन में तमाम लोगाें के रोजगार छिन गए। बहुत से पुरुषों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। ऐसे में महिलाओं ने स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर परिवार की जिम्मेदारी उठानी की दिशा में अपने कदम आगे बढ़ाए। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लाकडाउन के बाद से जिले में लगभग 600 नये समूह बने हैं। प्रत्येक समूह में 10 से 12 महिलाएं जुड़ी होती हैं। शासन के निर्देश पर सिलाई, बुनाई, कढ़ाई के साथ ही महिलाओं को उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत समूहों से जुड़ी महिलाओं को नये काम दिए गए हैं। इनमें राशन की दुकानों का आवंटन, सौंदर्य प्रसाधन की दुकान खुलवाने में आर्थिक मदद, लेयर विधि से खेती करना आदि क्षेत्र में उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है।
ये मिले काम
. सरकारी स्कूल ड्रेस बनाना।
. लेयर विधि से खेती करना।
. सैनिटाइजर, मास्क बनाना।
. सामुदायिक सूचना पट बनाना।
. राशन की दुकानों का संचालन।
. पीपीई किट बनाने का काम।
पति निजी कंपनी की बस में परिचालक थे। लाकडाउन में नौकरी चली गई थी। तब मैं स्वयं सहायता समूह जुड़ी। सामुदायिक सूचना बोर्ड बनाने का काम मिला। उनके समूह द्वारा मनरेगा तथा अन्य सरकारी योजनाओं के तहत होने वाले विकास कार्यों के सूचना वाले बोर्ड तैयार कराए जा रहे हैं।
निशा, सदस्य, भोले बाबा स्वयं सहायता समूह
समूह से जुड़ने के बाद मैंने सौंदर्य प्रसाधन की की दुकान खोली है। मेरे लिए ये नया अनुभव है लेकिन अच्छा लगता है कि जब परिवार की मदद के लिए मैं कुछ कर पा रही हूं।
पूनम, सदस्य, नारायण हरी स्वयं सहायता समूह
लाकडाउन के बाद जिले में 600 के आसपास स्वयं सहायता समूह बढ़े हैं। प्रत्येक समूह में 10 से 12 महिलाएं होती हैं।
अनुराग कनौजिया, जिला मिशन अधिकारी, उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन