Kitchen Garden: जगह हो कम तो न हों परेशान, इस तरह लेयर में तैयार कर सकते हैं सब्जियों की फसल
Kitchen Garden स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ताजनगरी की कई महिलाएं इस नये प्रयोग को अपना रही हैं। एक क्यारी में लेयर पद्धति से 7-8 प्रकार की सब्जियां उगाकर न सिर्फ अपने स्वजनों को पौष्टिक आहार उपलब्ध करा रही हैं बल्कि रोजगार के लिए रास्ते भी खोल रही हैं।
आगरा, राजीव शर्मा। जगह कम होने स्वजन के भरन-पोषण के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं हैं। लेयर में सब्जियाें की फसल तैयार कर स्वजनों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जा सकता है। ये मुश्किल काम भी नहीं हैं। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी ताजनगरी की कई महिलाएं इस नये प्रयोग को अपना रही हैं। एक क्यारी में लेयर पद्धति से 7-8 प्रकार की सब्जियां उगाकर न सिर्फ अपने स्वजनों को पौष्टिक आहार उपलब्ध करा रही हैं बल्कि अपने लिए रोजगार के लिए रास्ते भी खोल रही हैं। इसमें सरकार भी उनका सहयोग कर रही है।
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजिविका मिशन के तहत पोषण वाटिका/किचिन गार्डन योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के तहत समूह से जुड़ी महिलाओं की जमीन को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत समतल कराया जाता है। इसके साथ ही महिलाओं को लेयर में खेती करने के लिए एक लेआउट उपलब्ध कराया जाता है। इसके तहत उसे फसलों के लिए सात अलग-अलग क्यारी बनानी होती हैं। इसमें अलग-अलग फसल लगाई जाती है। मसलन, एक क्यारी में टमाटर, दूसरी क्यारी में गोभी, तीसरी क्यारी में मटर, चौथी क्यारी में गाजर, पांचवीं क्यारी में मूली, छटवीं क्यारी में बैंगन और अाखिरी क्यारी में लौकी, तोरई की बेल आदि लगाई जा सकती है। इसके अलावा मेंडों पर पपीते आदि के पौधे लगाए जाते है। मौसम और जगह के हिसाब से सब्जियां उगाई जा सकती हैं। 2-3 महीने की मेहनत के बाद सब्जियां आने लगती हैं।
सात दिन, सात प्रकार की सब्जी
इस योजना का मकसद, उन परिवारों को पौष्टिक आहार के लिए प्रेरित करना है, जिनके पास कम जमीन है। वह कम जगह में कैसे अपने स्वजनों को पौष्टिक सब्जियां उपलब्ध करा सकती हैं, इस पर जोर दिया जाता है। सात प्रकार की सब्जियां उगाने का मकसद, खाने के लिए सात अलग-अलग दिन सब्जियां उपलब्ध कराना है। 30 बाई 20 वर्ग मीटर के जमीन के हिस्से में सात अलग-अलग सब्जियां उगाकर महिलाएं न सिर्फ अपने स्वजनों को पौष्टिक आहार उपलब्ध करा रही हैं बल्कि 10 हजार रुपये प्रति महीना तक कमा रही हैं। दरअसल, जमीन के इस हिस्से में इतनी अलग-अलग सब्जियां व फल हो जाते हैं कि आसपास के सब्जी विक्रेता उनसे ताजी सब्जियां खरीद ले जाते हैं।