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Earth Quakes at TajMahal: भूकंप के झटकों से अछूता नहीं है ताज, दो बार हिल चुकी है यहां भी धरती

Earth Quakes at TajMahal 1803 और 1934 में आए भूकंपों से कांपा था ताजमहल। शुक्रवार को एजियन सागर में आए भूकंप के झटकों से तुर्की से ग्रीस तक की धरती कांपी। 1803 में मीनार में आई थी दरार 1934 में मस्जिद की पश्चिमी दीवार हुई थी क्षतिग्रस्त।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 07:49 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 07:49 AM (IST)
Earth Quakes at TajMahal: भूकंप के झटकों से अछूता नहीं है ताज, दो बार हिल चुकी है यहां भी धरती
1803 और 1934 में आए भूकंपों से कांपा था ताजमहल।

आगरा, निर्लोष कुमार। एजियन सागर में शुक्रवार को आए जोरदार भूकंप के झटकों से तुर्की से ग्रीस तक की धरती कांप उठी। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.0 तीव्रता मापी गई। आगरा भी पूर्व में कई भूकंपों को झेल चुका है। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल को तो वर्ष 1803 और 1934 में आए भूकंपों ने काफी क्षति भी पहुंचाई थी। बाद में ताजमहल का संरक्षण किया गया था।

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आगरा में वर्ष 1803 में आए भूकंप में ताजमहल की मीनार में दरार आ गई थी। खादिम द्वारा इसकी सूचना दी गई थी। इसके बाद मीनार में आई दरार को पिघली हुई चांदी से भरा गया था। बिशन कपूर ने अपनी किताब 'ग्लिम्पसेस आफ आगरा' में इसका जिक्र किया है। इसके बाद 15 जनवरी, 1934 को आए भूकंप से ताजमहल स्थित शाही मस्जिद को काफी क्षति पहुंची थी। मस्जिद की पश्चिमी दीवार को नीचे से ऊपर तक नुकसान हुआ था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की वर्ष 1934-35 की एनुअल सर्वे रिपोर्ट में इसका जिक्र है। एएसआइ द्वारा तूफान से मस्जिद को पहुंची क्षति की भरपाई को संरक्षण कार्य कराया गया था। वर्ष 1935-36 की एनुअल सर्वे रिपोर्ट में इसका जिक्र मिलता है।

1505 में आया भूकंप था सबसे खतरनाक

आगरा में वर्ष 1505 में खतरनाक भूकंप आया था। उसमें बहुत-सी इमारतें जमींदोज हो गई थीं आैर उनके नीचे दबकर हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। एएसआइ से सेवानिवृत्त (आगरा में अधीक्षण पुरातत्वविद के पद पर तैनात रहे) डी. दयालन ने अपनी किताब 'ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन' में इसका जिक्र किया है।

तूफान ने भी दिए हैं ताजमहल को जख्म

ताजमहल के लिए भूकंप के समान तूफान भी जख्म देने वाला रहा है। 11 अप्रैल, 2018 की शाम 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आए तूफान ने ताज में जमकर तबाही मचाई थी। राॅयल गेट का उत्तर-पश्चिमी पिलर, छज्जा, दक्षिणी गेट का उत्तर-पश्चिमी पिलर टूट गए थे। मुख्य मकबरे में यमुना किनार की तरफ बार्डर के काले संगमरमर के पत्थर टूट गए थे। सरहिंदी बेगम, फतेहपुरी बेगम, सती उन्निसा के मकबरे के गुलदस्ते टूट गए थे। वहीं, 29 मई, 2019 को आए तूफान में ताजमहल में बंधी पाड़ गिरने से मुख्य मकबरे की संगमरमर की और चमेली फर्श की रेड सैंड स्टोन की जाली टूट गई थीं। 


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