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Shopping in Festival Season: खरीदारी खुलकर करें, लेकिन बिल के फर्जीवाड़े पर भी रखें नजर

Shopping in Festival Season त्योहारी सीजन में ग्राहकों को बिल लेते वक्त ज्यादा सजग रहने की है जरूरत। बिल लेने से पहने टैक्स कटौती और नंबर पर दें ध्यान। कई बार ग्राहकों को फर्जी बिल थमा दिया जाता है ज्यादा जीएसटी वसूल लिया जाता है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 12:25 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 12:25 PM (IST)
त्योहारी सीजन में ग्राहकों को बिल लेते वक्त ज्यादा सजग रहने की है जरूरत।

आगरा, संदीप शर्मा। त्योहारी सीजन चल रहा है और हर कोई कोरोना के खौफ से बाहर आकर खरीदारी के मूड में आ गया है। अगर आप भी खरीदारी करने जा रहे हैं, तो माल खरीदते समय बिल जरूर लें, क्योंकि हो सकता है कि दुकानदार आपसे जीएसटी ले ले, लेकिन उसे जमा न कराये। इसके लिए थोड़ी सी जागरूकता जरूरी है।

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वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने के बावजूद यह कानून खरीददारों के लिए अब भी पेचीदा बना हुआ है क्योंकि खरीदारी के बाद अक्सर उन्हें बिल नहीं दिया जाता, दिया जाता है तो वो भी हाथ का बना या कच्चा। कई बार उन्हें फर्जी बिल थमा दिया जाता है ज्यादा जीएसटी वसूल लिया जाता है। सीए सौरभ अग्रवाल ने बताया कि हालांकि यह भी सही है कि जीएसटी पंजीकरण सभी दुकानों के लिए जरूरी नहीं, इसलिए वह आपसे जीएसटी नहीं वसूल सकते हैं।

ऐसे बचें धोखे से

- किसी भी बिल में जीएसटीएन नंबर मौजूद है, उसमें केंद्रीय वस्तु एवं सेवाकर के साथ राज्य वस्तु एवम सेवाकर का अलग-अलग ब्रेक अप होना जरूरी है।

- कई कारोबारी या दुकानदार पुरानी रसीदों से ही जीएसटी वसूल रहे हैं. जबकि उसमें वैट या टिन नंबर दिया होता है, जो कि पूरी तरह गलत है।

ऐसेअपना बिल करें सत्यापित

- वेबसाइट डब्लू डब्लू डब्लू डॉट जीएसटी डॉट जीओवी डॉट इन पर जाएं और सर्च टैक्सपेयर ऑप्शन में जाकर जीएसटीएन या यूआईएन पर क्लिक करें। जीएसटी नंबर गलत होने पर आपको नोटिफिकेशन मैजेस दिखाई देगा। वहीं सही नंबर लिखने को बोला जाएगा।

- नंबर सही होने पर उसकी स्थिति दिखाई देगी, जिसमें कारोबार का नाम, राज्य, पंजीकरण की तारीख, कारोबार का प्रकार-प्राइवेट या पब्लिक लिमिटेड कंपनी जैसी डिटेल्स शामिल होंगी।

- वेबसाइट यदि जीएसटीएन या यूआईएन के वेरिफिकेशन को पेंडिंग दिखा रही है, तब भी यह सही माना जायेगा।

यह भी जाने

जीएसटीएन या यूआईएन स्ट्रक्चर के पहले दो नंबर स्टेट कोड के होते हैं। हर राज्य के लिए अलग कोड निर्धारित है जैसे महाराष्ट्र का कोड 27 और दिल्ली का कोड 07 है। इसके अगले 10 अंक कारोबार मालिक या दुकान का पैन नंबर होते हैं।

- यदि दुकानदार आपको 15 अंकों के जीएसटी नंबर के साथ कंप्यूटर या हाथ से बना बिल नहीं दे रहा, तो बिल के फर्जी होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में ग्राहक वाणिज्य कर विभाग में शिकायत कर सकता है। 


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