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Stubble Burn Case: किसानों ने जलाई पराली, आगरा जिले में दूसरी एफआइआर

Stubble Burn Case किरावली के गुड़ की मंडी गांव की है घटना। पहले खेरागढ़ क्षेत्र में जलाई गई थी झाड़ियां। कृषि विभाग की टीम को खेत जुते हुए मिले हैं। दो हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर मेड़ पर पराली जलाने के अवशेष मिले हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 03:50 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 03:50 PM (IST)
Stubble Burn Case: किसानों ने जलाई पराली, आगरा जिले में दूसरी एफआइआर
किरावली के गुड़ की मंडी गांव की है घटना।

आगरा, जागरण संवाददाता। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए शासन, प्रशासन स्तर पर प्रयास हो रहे हैं, लेकिन कुछ किसान इसमें पलीता लगा रहे हैं। खेरागढ़ में झाड़ियां जलाने के दोषी की तलाश अभी पूरी नहीं हुई है कि सैटेलाइट रिपोर्ट में किरावली क्षेत्र में मामला पकड़ में आ गया है। मौके पर पहुंची कृषि विभाग की टीम को खेत जुते हुए मिले हैं। दो हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर मेड़ पर पराली जलाने के अवशेष मिले हैं। संबंधित किसानों के विरुद्ध एफआइआर कराई गई है।

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पर्यावरण को बचाने और फसल अपशिष्ट जलाने से होने वाली मृदा की क्षति के बारे में समझाने के लिए कृषि विभाग के कर्मचारी गांव-गांव जागरुकता ला रहे हैं। इसके बाद भी फसल अपशिष्ट जलाया जा रहा है। 11 अक्टूबर को दोपहर डेढ़ बजे लगभग किसी ने खेरागढ़ के विधौली में झाड़ियों में आग लगा दी थी। सैटेलाइट ने इस घटना को कैद कर लिया था। मौके पर घटना की पुष्टि के बाद आग लगाने वाले की तलाश के लिए अज्ञात में एफआइआर करा दी गई है। बुधवार को सैटेलाइट रिपोर्ट में दर्ज किरावली के गुड़ की मंडी गांव की घटना में पराली जलाने की पुष्टि हुई है। कृषि विभाग को मेड़ पर पराली जलाने के चिन्ह मिले हैं। मेड़ अलग-अलग किसानों की हैं, इसलिए सुरेश, पवन, वीरेंद्र, शैलेंद्र, सतीश, अनूप के विरुद्ध एफआइआर कराई गई है।

अपशिष्ट की बनाए खाद, 15 हजार तक भरना होगा जुर्माना

जिला कृषि अधिकारी डॉ. रामप्रवेश ने बताया कि अपशिष्ट को जलाने की जगह उसे खाद बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। अपशिष्ट जलाने से खेत का जीवाश्म पदार्थ समाप्त हो जाता है। इससे मृदा की उत्पादकता पर प्रभाव पड़ता है। वातावरण में जहरीली गैसे निकलती हैं, जिससे वायुमंडल दूषित होता है। अपशिष्ट जलाने वाले किसानों पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। दो एकड़ से कम क्षेत्र वाले किसान के लिए 2500 रुपये प्रति घटना, दो से पांच एकड़ क्षेत्र वाले किसान के लिए पांच हजार रुपये प्रति घटना, पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र वाले किसान के लिए 15 हजार रुपये प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिए जुर्माना वसूला जाएगा। 


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