Aggressive Child Behavior: अपना लें ये टिप्स वरना आपके बच्चों को मोबाइल कर दे रहा हिंसक
Aggressive Child Behavior मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे अभिभावकों के फोन। घरों में बंद बच्चों की आदत में शामिल हो गया मोबाइल का इस्तेमाल।
आगरा, जागरण संवाददाता। अनलॉक हो चुका है। बाजारों और कार्यालयों में काम और उद्योग भी शुरू हो चुके हैं, लेकिन स्कूल अभी भी बंद हैं। बच्चों का ज्यादातर समय घर पर ही गुजर रहा है। सुबह से दोपहर तक अॉनलाइन क्लास और उसके बाद भी मोबाइल या लैपटॉप पर समय बिताना दिनचर्या का हिस्सा बन गया है।यही आदत अब बच्चों के व्यवहार में परिवर्तन का कारण बन रही है। मोबाइल इस्तेमाल करने पर रोक लगाने से बच्चे हिंसक हो रहे हैं। इस समस्या को अभिभभावक शहर के मनोचिकित्सकों से साझा कर रहे हैं। बच्चों के हाथों में पूरा दिन मोबाइल अभिभावकों की चिंता का कारण बन रहा है।
कमलानगर की शुचि गिल बताती हैं कि पहले हम अपने बच्चों को मोबाइल एक सीमित समय के लिए देते थे, लेकिन अब मजबूरी है।यही मजबूरी बच्चों की आदत बन चुकी है, इसका नकारात्मक व्यवहार बच्चों की आदतों में दिख रहा है।न्यू आगरा की आरती गुप्ता की भी यही समस्या है, वे बताती हैं कि उनका सात साल का बेटा पूरा दिन मोबाइल पर गेम खेलता है। मना करने पर घर का सामान फेंकने लगता है।
बदलना होगा माहौल
मनोचिकित्सक डा. दिनेश राठौर बताते हैं कि उनके पास एेसे कई फोन आ रहे हैं, जिसमें बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल करने से रोकने पर हिंसक हो रहे हैं। डा. राठौर का मानना है कि घरों में बंद बच्चों को समझाना और उनके सवालों के जवाब देना धैर्य का काम है। बच्चों का स्कूल टाइम खत्म होने और होमवर्क करने के बाद उनके पास जो समय बचता है, उसकी ठीक से प्लानिंग करने की जरूरत है। बच्चों को थोड़ी देर के लिए साइकिल आदि चलाने के लिए निकलने दें, इससे उसका दिमाग दूसरी तरफ व्यस्त होगा।
मनोचिकित्सक डा. पूनम तिवारी बताती हैं कि बच्चे मोबाइल का पढ़ाई के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में उन्हेंं यह बताना जरूरी है कि आप स्कूल नहीं जा पा रहे, इसलिए यह मोबाइल आपकी पढ़ाई में मददगार साबित हो रहा है। उन्हें तकनीक के साथ उसके नकारात्मक प्रभाव के बारे में भी बताना होगा। मोबाइल पर गेम आदि खेलने से बच्चे उसी दुनिया में रहकर वैसा ही व्यवहार करना शुरू कर देते हैं। यहीं से समस्या शुरू होती है।
बच्चों को यूं रखें मोबाइल से दूर
- शाम को साइकिल चलाने दें।
- स्कूली किताबों के अलावा अन्य किताबें पढ़ने की आदत डालें। खुद भी साथ में बैठकर पढ़ें।
- बच्चों को पेटिंग आदि करने को प्रोत्साहित करें।
- खाना बनाने जैसी गतिविधियों में भी शामिल कर सकते हैं, इससे बच्चे व्यस्त रहेंगे।
- हर दिन बच्चों को टास्क दें, शाम को उस टास्क के आधार पर अंक दें। इससे भी बच्चे मोबाइल से दूर होंगे।