Waste for Best: किचन वेस्ट को बेस्ट खाद बनाकर आगरा की पूनम ला रहीं अनोखी जागरुकता
Waste for Best घर में बना रही हैं किचन वेस्ट से खाद लोगों को कर रही जागरुक। कैमिकल वाली खाद से निजात पाने के लिए किया था प्रयास।
आगरा, जागरण संवाददाता। दिनभर के छोटे-छोटे प्रयास भले उस समय नजर न आएं, लेकिन महीने भर बाद, किचन वेस्ट से खाद बनाकर उसका प्रयोग करनेे से गमलों में लगे पौधे भी जब लहलहा उठते हैं, पौधों को देखकर पड़ोसी भी पौधों की सेहत का राज पूछते हैंं, तो दिल को बड़ा सुकून मिलता है। ।
यह कहना है कमला नगर, जनक पार्क निवासी डीवीवीएनएल कर्मी पूनव भार्गव जाकिर का। जितना प्यार उन्हें अपनी कविताओं और पेटिंग से है, उतना ही प्यार वह अपने पौधों से भी करती हैं। लेकिन कैमिकल युक्त खाद के प्रयोग सेे उनके पौधे आए दिन खराब हो जाते थे। इस समस्या को उन्होंने अपनी मित्र पायल डावर को बताया, तो उन्होंने किचन वेस्ट से खाद बनाकर प्रयोग करने की सलाह दी। नगर निगम से उन्हेें खाद बनाने का कंटेरन भी दिला दिया। पहली बार में जानकारी के अभाव में थोड़ा वक्त लगा, लेकिन अब वह महीने भर में किचन वेस्ट से एक कंटेरन खाद तैयार कर लेती हैं, जिससे बाहर से खाद खरीदना भूल ही गई हैं और उनके पौधों की रौनक देखते ही बनती हैं।
गमलें में किए प्रयोग
पूनव बताती हैं कि किचन वेस्ट की खाद ने उन्हें काफी आत्मविश्वास दिया है, तभी तो उन्होंने अपने घर के गमलों में फूलों के साथ अमरूद, पीपल और नीम जैसे पौधे भी उगाएं हैं। आंगन में ही गमलों में तुलसी के पौधे लहलहा रहे हैं। जबकि पहले कैमिकल वाली खाद से वह फूलों के पौधे लगाने में भी ड़रती थीं क्योंकि वह एक सीजन भी नहीं टिकते थे। लेकिन अब खुद से बनाई जैविक खाद से अपनी मेहनत से पौधों को इस तरह तेजी से बढ़ता देख उन्हें बड़ा सुकून मिलता है।
यू तैयार करें खाद
- दस लीटर का एक कंटेनर लें, टोंटी युक्त हो तो बेहतर।
- डिब्बे के ढ़क्कन में आठ से 12 छेद कर दें।
- डिब्बे की क्षमतानुसार उसमें तीन से पांच मुठ्ठी सूखे पत्ते और लकड़ी का बुरादा या नारियल केे जूट का बुरादा डाल दें।
- हर दिन किचन वेस्ट को डिब्बे में डालते रहें।
- तीन से चचार दिन के अंतराल में सूखी पत्ती डालते रहें।
- डिब्बे में रखे वेस्ट को डंडे से बीच-बीच में हिलाते रहें।
- नियमित अंतराल पर कंटेनर से पानी निकालते रहें। टोंटी इसमें ठीक काम करेगी।
- कंटेरन भरने पर धूप में सुखा लें। खाद तैयार हो जाएगी।
पडोसी पूछतेे हैं पौधों की सेहत का राज
पूनम बताती हैं कि अब उनके घर में गमले में लगे पौधों को देखकर पड़ोसी भी पौधों की सेहत का राज पूछते हैंं, जिसे सुनकर अच्छा लगता है कि जिस मेहनत से उन्होंने इस काम की शुरुआत की, अब वह असर दिखाने लगा है। इसलिए वह पड़ोसियों को भी इसकी प्रक्रिया मनोयोग से समझाती हैं।