Ancient Cannon: कोरोना ने किया आगरा में तोप को भी बंद, इस परीक्षण की वजह से रुका है प्रिजर्वेशन
Ancient Cannon जनवरी मेें मुजफ्फर नगर में मिली तोप को आगरा लाया गया था। इंस्टीट्यूट व लैबोरेटरी के बंद होने से नहीं हो पा रहा है परीक्षण।
आगरा, जागरण संवाददाता। मुजफ्फर नगर में खेत की खोदाई में मिली ब्रिटिशकालीन तोप में प्रयुक्त धातुओं के परीक्षण के बाद उसका प्रिजर्वेशन किया जाएगा। तोप में प्रयुक्त धातुओं के आधार पर ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल कियेा जाएगा। हालांकि इंस्टीट्यूट व लैबोरेटरी के बंद होने की वजह से तोप में प्रयुक्त धातुओं का परीक्षण नहीं हो पा रहा है।
मुजफ्फर नगर के पुरकाजी हरिनगर में 20 जनवरी को खेत की खोदाई में प्राचीन तोप मिली थी। 23 जनवरी को तोप एएसआइ के माल रोड स्थित ऑफिस आई थी। एएसआइ की रसायन शाखा ने 27 जनवरी से उसकी क्लीनिंग का काम किया था। तोप की नाल करीब 2.8 मीटर लंबी है। नाल के आगे का हिस्सा और एक हुड टूटा हुआ है, जबकि उसका आंतरिक व्यास पांच इंच का है। तोप पर काफी मिट्टी जमा थी, जिसकी सफाई के उपरांत तोप के ऊपर बने क्राउन के चिह्न के आधार पर उसके ब्रिटिशकालीन 200-250 वर्ष पुरानी होना एएसआइ द्वारा प्रमाणित किया गया था। क्लीनिंग के बाद तोप के प्रिजर्वेशन से पूर्व एएसआइ द्वारा तोप में प्रयुक्त धातुओं की जानकारी के लिए रसायन शाखा को जांच करने को कहा गया था।
रसायन शाखा ने जांच भी की, लेकिन इसी दौरान कोविड-19 के चलते लॉक डाउन हो गया। उसे कुछ जांच बाहर भी करानी हैं। इसके लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), कानपुर व अन्य जगह संपर्क भी किया गया। मगर, इंस्टीट्यूट व लैब बंद होने की वजह से सैंपल बिना जांच के ही लौट आए। यह जांच इंस्टीट्यूट व लैब खुलने के बाद ही संभव है। तोप में प्रयुक्त धातुओं के आधार पर ही उसके प्रिजर्वेशन को प्रिजर्वेटिव इस्तेमाल किए जाएंगे।
जमीन में दबा दी थी तोप
इतिहासकार मानते हैं कि 1857 की क्रांति के दौरान जब भारतीय वीरों ने अंग्रेजों पर हमला कर तोप समेत हथियार छीन लिए थे तो उन्हें जमीन में दाब दिया था। आंदोलनकारियों को यह अंदेशा था कि फिरंगी सेना गांव-दर गांव सर्च अभियान चलाएगी। इसके चलते छोटे हथियारों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया गया, लेकिन भारी भरकम तोप को जंगल क्षेत्र में जमीन में दबा दिया गया।