Breast Feeding Week: लाड़ले को पिलाती हैं अगर बोतल से दूध हो पढ़ लें ये खबर, हो सकता है खतरा
Breast Feeding Week बोतल के दूध से एयरोफीजिया का खतरा। विशेषज्ञ मां के दूध को ही बताते हैं गुणकारी। बोतल बंद दूध से बढ़ती हैं पेट संबंधी बीमारियां।
आगरा, जेएनएन। बदलती जीवनशैली में अधिकांश माताओं द्वारा बच्चों को बोतल वाला दूध ही पिलाया जाता है। लेकिन चिकित्सक इस आदत को बच्चों की सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह मानते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि शिशु को लगातार बोतल बंद दूध पिलाने से वह एयरोफीजिया का शिकार हो जाता है। इससे पेट दर्द और दस्त की समस्या बढ़ जाती है। कई बार यह स्थिति बेहद घातक साबित हो जाती है।
शिशु स्तनपान सप्ताह एक अगस्त से शुरू होकर सात अगस्त तक चलना है। मैनपुरी जिला अस्पताल के सीएमएस एवं बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आरके सागर का कहना है कि शिशु के लिए सिर्फ मां का दूध ही सर्वाेत्तम आहार होता है। इसमें वे पर्याप्त पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो बच्चे के विकास के लिए जरूरी हैं। जन्म से छह महीने तक शिशु को सिर्फ मां का दूध ही दिया जाना चाहिए। अधिकांश माताएं अपने शिशु को बोतल वाला दूध पिलाने की आदत डाल देती हैं।
इससे बच्चे चुप तो हो जाते हैं लेकिन उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। शरीर बीमारियों की चपेट में आने लगता है। लगातार बोतल बंद दूध का सेवन करने से शिशु एयरोफीजिया (पेट फूलने) का शिकार हो जाता है। इसकी वजह से पेट दर्द, उल्टी और दस्त होते हैं। इतना ही नहीं, लगातार प्लास्टिक की निपल चूसने से मुंह में छाले भी बन जाते हैं। इससे बच्चे को दूध निगलने में समस्या होती है।
कार्सिनोजेनिक लक्षण की भी संभावना
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक दुबे का कहना है कि बॉटल की निपल प्लास्टिक की होती है। लगातार चूसने के कारण प्लास्टिक के पॉलीमर पेट में जा सकते हैं जो कार्सिनोजेनिक लक्षणों की वजह भी बन सकते हैं।
इन बातों का रखें ख्याल
- यदि बॉटल से दूध पिलाना ही है तो पहले बोतल और निपल को 20 मिनट तक पानी में उबालें।
- बचने के बाद दूध को फेंक दें। रखा हुआ दूध दोबारा प्रयोग करने से पेट खराब हो सकता है।
- बोतल बंद दूध के ज्यादा देर तक रखने से उसके फटने के चांस ज्यादा बन जाते हैं।
- बोतल बंद दूध पीने वाले बच्चे अक्सर पेट संबंधी बीमारियों से परेशान रहते हैं।