Jail Radio: कुछ खास है हम सभी में, कोरोना काल में मिल रहा इससे हौसला,जानिए कब हुई थी शुरूआत
Jail Radio 31 जुलाई 2019 को जिला जेल में हुई थी एफएम स्टेशन की शुरूआत। मुलाकात बंद होने पर अपनों की जगह एफएम पर बंदियों के मन की बात।
आगरा, अली अब्बास। कोरोना के कोहराम में जेल एफएम रेडियो बंदियों के लिए वरदान साबित हुआ है। मुलाकात बंद होने से अवसाद में डूबे बंदियों ने रेडियो से 'मन की बात' सुन मन हल्का किया। महिला बंदियों को कजरी गाने का मौका मिला तो बच्चों ने कविता सुनाई। साथ ही कोरोना से बचाव के संदेश भी गूंजते रहे।
आगरा जिला जेल में बीते वर्ष 31 जुलाई को एफएम रेडियो स्टेशन की शुरुआत की गई थी। इसमें बंदी ही उद्घोषक (जॉकी), वाचक और श्रोता हैं। एक साल बाद यही रेडियो कोरोना से लडऩे का हथियार साबित हुआ है। इसकी मदद से बंदियों की बैरक तक सतर्कता और बचाव के उपाय सहजता से पहुंचाए जा सके। कोरोना के चलते 25 मार्च से मुलाकात का सिलसिला थमा तो यह बंदियों की आवाज बन गया। तनाव कम करने को उनकी पसंद के गाने सुनाए गए। महिला बंदियों को कजरी गीत गाने का मौका मिला। बच्चों ने कविताएं सुनाईं। रेडियो की पंच लाइन 'कुछ खास है हम सभी में' ने खूब प्रेरित किया। जिला जेल में इस समय डेढ़ सौ से ज्यादा महिलाएं और 17 बच्चे हैं।
पहली महिला जॉकी की जेल आगरा
एफएम रेडियो स्टेशन का शुभारंभ एसएसपी बबलू कुमार और तिनका तिनका संस्था की संस्थापिका वॢतका नंदा ने किया था। उस समय आइआइएम बेंगलुरु से स्नातक महिला बंदी और स्नातकोत्तर पुरुष बंदी को रेडियो जॉकी बनाया गया। दोनों का अंदाज बंदियों को खूब भाया। आगरा जिला कारागार पहली महिला रेडियो जॉकी की जेल बनी। रेडियो के लिए स्क्रिप्ट बंदी ही तैयार करते हैं। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया गया है।
यूपी की 23 जेलों में एफएम रेडियो
वॢतका नंदा यूपी की जेलों पर एक साल से स्टडी कर रही हैं। आगरा जिला जेल को उन्होंने मॉडल बनाया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश की पांच सेंट्रल जेल और 18 जिला जेल में एफएम रेडियो हैं।
मुलाकात बंद रहने के दौरान जेल रेडियो बंदियों को सकारात्मक बनाए रखने मे अहम भूमिका निभा रहा है। इसके साथ ही कोरोना से बचाव को लेकर उन्हें जागरूक भी कर रहा है।
-शशिकांत मिश्रा जेल अधीक्षक, आगरा।