TrumpVisitIndia: पहली बार मडपैक से चमकीं शाहजहां-मुमताज की कब्रें Agra News
ट्रंप विजिट से पूर्व एएसआइ की रसायन शाखा ने कराया मडपैक ट्रीटमेंट। संसद की पर्यावरण संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट के बाद हुई शुरुआत।
आगरा, जागरण संवाददाता। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विजिट को ताजमहल स्थित शहंशाह शाहजहां और मुमताज की कब्रें मडपैक ट्रीटमेंट कर चमकाई गई हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की रसायन शाखा ने कब्रों पर पहली बार मडपैक ट्रीटमेंट किया है। संसद की पर्यावरण संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के आधार पर पूरे ताज में मडपैक ट्रीटमेंट हुआ है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सोमवार की शाम ताजमहल देखने आएंगे। एएसआइ की रसायन शाखा ने मुख्य मकबरे के कक्ष में स्थित शहंशाह शाहजहां व मुमताज की कब्रों की प्रतिकृति की सफाई कराई है। वायु प्रदूषण की वजह से यह कब्रें पीली पड़ गई थीं। असली कब्रें तहखाने में बंद हैं। रसायन शाखा ने दोनों कब्रों को मडपैक ट्रीटमेंट कर साफ किया है। इसमें एक सप्ताह का समय लगा है। ताज बनने के बाद से यह पहला अवसर है, जब कब्रों को मडपैक ट्रीटमेंट कर साफ किया गया हो। कब्रों के चारों ओर स्थित संगमरमरी परकोटे की सफाई धोकर की गई है। दरअसल, वर्ष 2015 में संसद की पर्यावरण संबंधी समिति ने ताज के निरीक्षण के बाद मडपैक ट्रीटमेंट की सिफारिश की थी। मुख्य मकबरे के गुंबद को छोड़कर मडपैक कर पूरे ताज को निखारा जा चुका है। इससे पूर्व 1994, 2001, 2008 में स्मारक के कुछ हिस्सों में मडपैक किया गया था। 2014 में चमेली फर्श के ऊपर मुख्य मकबरे की दीवारों, सेंट्रल टैंक आदि की सफाई मडपैक से की गई थी।
अधीक्षण पुरातत्वविद रसायनज्ञ डॉ. एमके भटनागर ने बताया कि शाहजहां-मुमताज की कब्रों पर पहली बार मडपैक ट्रीटमेंट कर उन्हें साफ किया गया है।
1631 में मुमताज, 1666 में शाहजहां की मृत्यु
मुमताज की मृत्यु बुरहानपुर में 17 जून, 1631 को हुई थी। उसका पहला दफन बुरहानपुर के जैनाबाद में हुआ था। उसका दूसरा दफन ताजमहल में शाही मस्जिद के पास जिलाऊखाना में 15 जनवरी, 1632 को हुआ था। ताजमहल स्थित तहखाने में जिस जगह मुमताज की असली कब्र है, उस स्थान पर उसका दफन मृत्यु के नौ वर्ष बाद (वर्ष 1640) में हुआ था। वहीं, शाहजहां की मृत्यु वर्ष 1666 में हुई थी। शाहजहां को मुमताज के बगल में ताजमहल में दफन किया गया। ताजमहल का निर्माण 1631-1648 के बीच हुआ था।
लॉर्ड कर्जन द्वारा लगवाए फानूस की सफाई
ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन 18 अप्रैल, 1902 को आगरा आए थे। इसके बाद वो 15 अप्रैल, 1903 को दोबारा यहां आए। उन्होंने शाहजहां व मुमताज की कब्रों पर धुआं उगलते लैंप को देखा तो अच्छा लैंप तलाशने का आदेश किया। मिस्र के कारीगर तोदरस वादिर द्वारा निर्मित फानूस (लैंप) को ताजमहल में लगवाया गया था। इतिहासकार राजकिशोर राजे इसके वर्ष 1905-06 में लगवाए जाने की बात कहते हैं। वहीं, डी. दयालन ने अपनी किताब 'ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन' में वर्ष 1907-08 में इसे लगवाए जाने का जिक्र किया है। इस फानूस को भी केमिकल क्लीनिंग कर रसायन शाखा ने साफ किया गया है। यह काला पड़ गया था, लेकिन क्लीनिंग के बाद यह चमक उठा है।