मैं रावल हूं, 'राधा' के अधूरे सपनों का गांव, सांसद ने लिया गोद फिर भी बदहाल Agra News
गोकुल के हुरियारे पांच मार्च को आएंगे रावल में खेलने होरी। राधारानी की ननिहाल कहा जाता है महावन इलाके का गांव रावल।
आगरा, बांकेलाल सारस्वत। मैं रावल हूं। कान्हा की आराध्य लाड़ली की ननिहाल। ब्रज की परंपरा में मेरा भी एक रंग है। मगर, अफसोस खुद को कान्हा की दीवानी कहने वाली सांसद भी मेरी काया नहीं बदल सकी हैं। उनकी गोद लिए जाने के बाद भी मेरे सपने अधूरे हैं।
राधाजी बरसाना की रहने वाली थीं। उनका जन्म मेरे आंगन में हुआ। महावन जाने वाले रास्ते पर लक्ष्मीनगर से छह किमी दूर पश्चिम दिशा की ओर एक रास्ता जाता है, यहीं मेरा वजूद है। सांसद हेमा मालिनी ने छह साल पहले मुझे गोद लिया। तय हुआ कि मुझ तक आने वाला रास्ता दोगुना चौड़ा किया जाएगा। गांव की गलियां बेहतर होंगी। मंदिर और उसके प्रांगण का विकास होगा। उन्होंने धन की खूब व्यवस्था की। मगर, इंतजाम के नाम पर इमारतों के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगा। दो करोड़ में बनी पानी की टंकी बेकार हो चुकी है। 18 लाख का आरओ प्लांट खराब पड़ा है।
मेरे आंगन में भी बरसाना और नंदगांव की तरह होली खेले जाने की परंपरा है। नंदगांव की तरह गोकुल से आए हुरियारे आते हैं। इस बार पांच मार्च को मंदिर के सामने विशाल प्रांगण में होली होगी। अगर, यहां की होली को बहुरंगी बनाने के प्रयास होते तो न केवल बरसाना पर पडऩे वाला दबाव कम होता लोगों को होली के कई आयाम देखने मिलते। इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है।
मंदिर का प्रांगण कच्चा पड़ा है। मंदिर के पीछे बना लाड़ली कुंड में घाट नहीं बनाए जा सके हैं। पास ही, स्वास्थ्य केंद्र पर सप्ताह में एक दिन डॉक्टर पहुंचता है। डाकघर में कोई काम नहीं होता।
मैं भी राधाकृष्ण की यादों को संजोएं हुए हूं, पर मेरी परंपराएं वह मुकाम हासिल नहीं कर सकी कि मेरा सिर ऊंचा उठे। सरकारी अमला जब बरसाना, नंदगांव की होली में नए रंग भरने की बात कर रहा है, तो मैं उदास हो जाता हूं।
सांसद हेमामालिनी के प्रयासों से गांव को मिला बजट
- 73 लाख रुपये दो किस्त में गांव में खड़ंजा को दिए गए
- 35 लाख रुपये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
- 12 लाख अस्पताल के लिए
- 18 लाख रुपये आरओ वाटर प्लांट पर खर्च
2 करोड़ से पानी की टंकी बनी
- 35 लाख रुपये स्कूल भवन के लिए
- 10 लाख रुपये राज्यसभा सांसद रेखा से स्कूल बाउंड्रीवाल के लिए