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ताजनगरी को मिला वेस्ट प्लास्टिक से मिला 'ग्लोब ऑफ होप'

4000 प्लास्टिक की खाली बोतलों से बनाया यह ग्लोब सूरसदन चौराहे पर किया जाएगा स्थापित

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:07 AM (IST)
ताजनगरी को मिला वेस्ट प्लास्टिक से मिला 'ग्लोब ऑफ होप'

आगरा, जागरण संवाददाता।

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एक तरफ बढ़ते प्रदूषण ने सबको बैचेन किया हुआ है तो दूसरी तरफ हमारी ताजनगरी एक नया आयाम स्थापित करने वाली है। प्रदूषण को बढ़ावा देने वाली प्लास्टिक की बोतलों को एक नए रूप में शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले एमजी रोड पर सूरसदन चौराहे पर 'ग्लोब ऑफ होप' के रूप में स्थापित किया जा रहा है। इस ग्लोब को शहर की एक संस्था अनफोल्ड फाउंडेशन द्वारा तैयार किया गया है। इस कलाकृति की याद पर्यटन नगरी होने के नाते हर पर्यटक अपने साथ लेकर जाएगा।

क्या है ग्लोब ऑफ होप?

इस ग्लोब ऑफ होप को बनाने में चार हजार प्लास्टिक की खाली बोतलों का इस्तेमाल किया गया है। एक लोहे का फ्रेम तैयार किया गया। उस पर इन बोतलों में छेद कर फिट किया गया। इसे बनाने में लगभग तीन महीने का समय लगा है। इसके लिए बोतलें एकत्र करने में कई महीने लगे हैं। इस ग्लोब ऑफ होप की ऊंचाई लगभग 16 फीट है। इसका व्यास 12 फीट का है।

पूरे शहर से एकत्र की बोतलें

इस ग्लोब को बनाने का विचार जब संस्था के सदस्यों के दिमाग में आया। तभी से इसके लिए बोतलें एकत्र करने का काम शुरू कर दिया गया। वाट्सएप ग्रुपों और सोशल नेटवर्किग साइटों की मदद से लोगों से अपील की गई। दोस्तों से, दोस्तों के दोस्तों से, रिश्तेदारों से, होटलों और रेस्टोरेंट्स से बोतलें मंगाई गईं।

प्लास्टिक की बोतलें हजारों में

ताजनगरी एक पर्यटन शहर है। ऐसे में यहां आने वाले सभी पर्यटक आगरा का पानी नहीं बल्कि बोतलों का पानी पीते हैं। एक अनुमान के मुताबिक शहर में हर रोज 35 से 40 हजार प्लास्टिक की खाली बोतलें कूड़े में जाती हैं।

क्या है अनफोल्ड फाउंडेशन?

यह संस्था पिछले साढ़े चार साल से शहर में काम कर रही है। संस्था सेहत के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ ही प्लास्टिक से होने वाले नुकसानों की भी जानकारी देती है। इस ग्रुप में डाक्टर्स के साथ-साथ कई क्षेत्रों की महिलाएं जुड़ी हुई हैं। डेढ़ साल पहले संस्था ने इको ब्रिक बनाने की शुरुआत की थी।

क्या है इको ब्रिक?

इको ब्रिक बनाने के लिए प्लास्टिक की खाली बोतलों में प्लास्टिक की थैलियां भरी जाती हैं। इन्हें प्लास्टिक की थैलियों से ही मजबूत किया जाता है। फिर इससे फर्नीचर, लैंप शेड्स आदि बनाए जाते हैं। संस्था द्वारा इन इको ब्रिक्स से लाजपत कुंज पार्क में बेंचें, जिला जेल में बेंचे, श्री रामलाल वृद्धाश्रम में दीवार बनाई जा चुकी है।

इन्होंने बनाया ग्लोब ऑफ होप

डा. मीता कुलश्रेष्ठ, डॉ. अलका कपूर, पूनम कुंद्रा, डॉ. पूनम धवन, पूनम लाहौती, पूनम मंगवानी, पूजा अग्रवाल,नीना सिंघल, रश्मि सिन्हा ने मिलकर इस ग्लोब को बनाया है।

सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ संदेश देना चाहते हैं कि हमने अपनी पूरी पृथ्वी को प्लास्टिक से ढक दिया है। इस ग्लोब को मेयर को दिखाया गया तो उन्हें यह इतना पसंद आया कि इसे सूरसदन पर स्थापित करने की बात कही। अगले दस दिनों में यह ग्लोब सूरसदन पर लाइट के साथ प्रकाश फैलाएगा।

- डा. मीता कुलश्रेष्ठ


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