आपरेशन के झंझट से मुक्ति, 'टावी' से बिना ऑपरेशन बदला जा रहा हृदय का वॉल्व
आगरा इंटवेंशन कार्डियोलॉजी सोसायटी की हुई कार्यशाला नई गाइड लाइन से 130
आगरा,जागरण संवाददाता। हृदय का वॉल्व बदलने के लिए हार्ट सर्जरी नहीं करनी पड़ रही है। अब ट्रांस कैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट (टावी) में पैर की नस से हृदय में वॉल्व को बदला जा रहा है। इसे लेकर रविवार को होटल क्लार्क शिराज में दूसरे दिन आगरा इंटरवेंशन कार्डियोलॉजी सोसायटी की कार्यशाला के समापन समारोह में नई तकनीकी पर चर्चा की गई।
अपोलो हॉस्पिटल, दिल्ली के डॉ. विवेक गुप्ता ने बताया कि फ्रांस के डॉ. एलेन क्रिबियर ने 1996 से 1998 तक टावी को विकसित किया। टावी से पैर की नस के द्वारा वॉल्व बदल दिया जाता है, 70 से अधिक उम्र के 2.50 फीसद लोगों में वॉल्व सिकुड़ने की समस्या होती है। इस उम्र में हार्ट सर्जरी करने में जोखिम रहता है, इस तरह के केस के लिए टावी पिछले कुछ सालों में भारत में प्रचलित हुई है। डॉ. विवेक गुप्ता टावी को विकसित करने वाली टीम के सदस्य रहे हैं और उन्होंने ही नवंबर 2011 में टावी से पहला केस किया था। इसके लिए मरीज को फ्रांस ले जाया गया था। इस विधि से 3.50 लाख केस किए जा चुके हैं, भारत में 100 केस हुए हैं। टावी पर मैक्स हॉस्पिटल, दिल्ली के डॉ. विवेका कुमार ने भी चर्चा की। डॉ. राजीव राजपूत, दिल्ली ने कहा कि हृदय की पंपिंग कम होने पर खान पान पर ध्यान रखने के साथ ही नियमित व्यायाम करना चाहिए। डॉ. गगनदीप, मेदाता गुड़गाव ने हार्ट फ्लेयर की नई दवा पर चर्चा की। डॉ. पुनीत गुप्ता, दिल्ली ने बताया कि पहले 140, 90 ब्लड प्रेशर का सामान्य स्तर माना जाता था। अब 130, 80 ब्लड प्रेशर का सामान्य स्तर है। डॉ. कर्नल एसके पाराशर ने ईसीजी के बाद इकोकार्डियोग्राफी कराए जाने पर जोर दिया। डॉ. राहुल चंडोला, दिल्ली ने वॉल्व की रिपेयर करने की विधि पर चर्चा की। मेदाता, गुड़गाव के डॉ. अनिल भान ने महाधमनी में दरार आने या नस के फटने पर की जाने वाली सर्जरी की जानकारी दी. डॉ. विनेश जैन ने नई विधि पर चर्चा की। सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. वीके जैन, सचिव डॉ. सुवीर गुप्ता, डॉ. विनीत गर्ग, डॉ. हिमांशु यादव, डॉ. शरद पालीवाल, डॉ. दीपक अग्रवाल, डॉ. सुमित अग्रवाल, डॉ. ईशान गुप्ता आदि मौजूद रहे।