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17 दिन बाद बदमाशों को बीहड़ में चकमा दे टीले से कूदे पिता- पुत्र, जानिए अपहरण का खुलासा

फिरौती को कर दिया था खेत और ट्रैक्टर का सौदा। अप्रैल को किया था कारोबारी पिता-पुत्र का अपहरण मांगी थी 60लाख रुपये फिरौती।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 10:53 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 10:53 AM (IST)
17 दिन बाद बदमाशों को बीहड़ में चकमा दे टीले से कूदे पिता- पुत्र, जानिए अपहरण का खुलासा
17 दिन बाद बदमाशों को बीहड़ में चकमा दे टीले से कूदे पिता- पुत्र, जानिए अपहरण का खुलासा

आगरा, जागरण संवाददाता। इरादत नगर से दो सप्ताह पहले अपहृत कारोबारी पिता-पुत्र राजस्थान के गुर्जर गैंग के कब्जे में थे। पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते गैंग दोनों को शिफ्ट करने की तैयारी में था। तभी बदमाशों को चकमा देकर अपहृत टीले से नीचे कूद गए। चंगुल से छूटने के बाद दोनों पास के गांव में पहुंचे। तब तक पुलिस वहां पहुंच गई। पुलिस का दावा है कि बदमाश उनकी घेराबंदी से दबाव में आकर अपहृतों को छोड़कर भागे हैं।

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इरादत नगर के पुसैता में काछीपुरा निवासी परचून कारोबारी दिनेश चंद्र अपने आठ वर्षीय बेटे कृष्णा के साथ 20 अप्रैल को दुकान से घर जा रहे थे। बदमाशों ने रास्ते से ही उनका अपहरण कर लिया था। अगले दिन उनकी बाइक छक्कनगढ़ी के पास पड़ी मिली थी। परिजनों के पास 23 अप्रैल को फोन कर बदमाशों ने 60 लाख रुपये फिरौती मांगी। इसके बाद से पुलिस कारोबारी पिता-पुत्र को मुक्त कराने की कोशिश में जुटी। 30 अप्रैल को दोबारा बदमाशों ने फोन किया और वे 40 लाख की फिरौती पर मान गए थे।

एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि कारोबारी दिनेशचंद और उनके आठ वर्षीय पुत्र कृष्णा का अपहरण धौलपुर के गैंग ने किया था। सोमवार सुबह पुलिस को गिरोह के पार्वती नदी के किनारे से अपहृत को लेकर जाने की जानकारी मिली। सैंया और मनिया थाना क्षेत्रों में पार्वती नदी के बीहड़ में पुलिस ने घेराबंदी कर ली। बदमाशों को पुलिस के मूवमेंट की भनक लग गई थी। वे अपहृतों को वहां से शिफ्ट करने ले जा रहे थे। तभी मौका पाकर दिनेश ने आठ वर्षीय पुत्र के साथ करीब 15 फुट ऊंचे टीले से नीचे छलांग लगा दी। वहां से बीहड़ के रास्ते भागकर वे मनिया और सैंया थाने की सीमा पर पार्वती नदी से लगे गांव दनकशा में पहुंच गए। यहां खेत पर फसल काटते किसानों को उन्होंने बदमाशों से मुक्त होने की जानकारी दी। किसानों ने दिनेशचंद के परिजनों से फोन पर बात कराई। इसके बाद पुलिस भी वहां पहुंच गई। एसएसपी अमित पाठक ने बताया अपहरण करने वाले गुर्जर गैंग का पता पुलिस को चल गया है। गिरोह के सदस्यों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

फिरौती को कर दिया था खेत और ट्रेक्‍टर का सौदा

कारोबारी पिता-पुत्र बदमाशों के कब्जे में थे और परिवार दहशत में। एक-एक पल काटना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में बदमाशों के दो बार फिरौती को फोन करने और फिरौती न मिलने पर हत्या की धमकी से वे टूट गए। हैसियत न होने के बाद भी वे अपना सबकुछ बेचकर दोनों को छुड़ाना चाहते थे। पुलिस की मदद से मुक्त होने पर वे नि:शब्द हो गए।

अपहरण के बाद बदमाशों ने दिनेशचंद के भाई भूप सिंह के पास 23 अप्रैल को फोन किया। उससे 60 लाख रुपये फिरौती मांगी। बदमाशों ने रकम नहीं देने पर दोनों की हत्या करके लाश भेजने की धमकी दी थी। दूसरी बार फोन करके फिरौती की रकम 40 लाख रुपये कर दी। दिनेशचंद के परिवार के लिए यह रकम हैसियत से अधिक थी। उनकी परचून की दुकान और टेंट गोदाम है। जबकि भाई भूप सिंह किसान हैं, वह टैक्टर चलाता है। सबसे छोटा विष्णु पढ़ाई कर रहा है।

भूप सिंह ने बताया रकम का इंतजाम करने के लिए उसने अपना ट्रैक्टर 2.30 लाख रुपये में बेच दिया। इसके अलावा करीब दो बीघा खेत का सौदा एक किसान से करके कुछ लाख रुपये पेशगी लेने के बाद पांच लाख रुपये ही जुटा सके थे। फिरौती की रकम पूरी नहीं हो रही थी। इसके चलते वह भाई और भतीजे की रिहाई को लेकर मायूस हो गए थे। सोमवार सुबह दिनेशचंद ने मुक्त होने का फोन किया। एक बार तो उन्हें भी भरोसा नहीं हुआ कि बदमाशों ने बिना फिरौती वसूले दोनों को छोड़ दिया है।

गैंग ने 45 मिनट फोन पर पत्नी, परिजनों से की बात

बदमाशों ने फिरौती के लिए भूप सिंह पर 30 फरवरी को फोन किया। परिवार के लोगों से करीब 45 मिनट तक बात की। दिनेश की उनकी पत्नी मंजू देवी से भी बात कराई। इसके बाद कृष्णा से भी परिवार के लोगों की बात कराई। इससे कि परिजनों को अपहृत गैंग के पास होने का यकीन हो जाए।

इस तरह चला ऑपरेशन रिकवरी

कारोबारी और उनके पुत्र को मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन रिकवरी का नाम दिया था। एसएसपी अमित पाठक धौलपुर के एसपी से मिले। धौलपुर पुलिस ने अपनी टीम बनाई। जबकि आगरा पुलिस ने तीन टीम बनाई थीं। इनमें एसपी ग्रामीण रवि कुमार, एसपी ट्रैफिक प्रशांत कुमार और एसपी क्राइम राजेश सोनकर थे। इसके अलावा इंस्पेक्टर न्यू आगरा अजय कुमार कौशल, इंस्पेक्टर सिकंदरा अनुज कुमार सिंह और इंस्पेक्टर इरादत नगर विनोद कुमार पायल, इंस्पेक्टर सैंया बैजनाथ सिंह, इंस्पेक्टर क्राइम ब्रांच विनोद कुमार, एसआइ अरुण कुमार, सोनू, सिपाही हृदेश, परमेश सहित एसटीएफ और क्राइम ब्रांच समेत 100 लोगों की टीम बनी थी। एक टीम धौलपुर, दूसरी अंबाह और तीसरी को इरादत नगर एवं सैंया की सीमा पर रखा गया था।

कृष्णा ने पुलिस को दी अहम जानकारी

आठ वर्षीय कृष्णा पहली कक्षा का छात्र है। वह बदमाशों की गतिविधियों के अलावा गैंग में कितने सदस्य हैं। उनके पास क्या-क्या हथियार हैं। खाना खाने के लिए जब आंखों से पट्टी खोली जाती तो इसे देखता था। इससे कि मौका मिलने पर भागने का प्लान बनाया जा सके। पुलिस को गिरोह के बारे में काफी अहम जानकारी दीं।

बीहड़ के कुख्यात के भाई का है गैंग

कारोबारी और उनके पुत्र के अपहरण के पीछे धौलपुर के कुख्यात के भाई का नाम सामने आ रहा है। कुख्यात कई साल पहले पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है। उसके भाई ने जेल से बाहर आने के बाद धौलपुर में एक हत्या कर दी थी। इसके बाद से फरार है, एक साल के दौरान ही उसने अपना गिरोह बना लिया। इसमें वर्तमान में एक दर्जन सदस्य हैं।

फिरौती नहीं अब तेरहवीं का इंतजाम करो

बदमाशों ने कारोबारी के परिजनों के पास फिरौती के लिए आखिरी बार चार मई को फोन किया। भूप सिंह ने गैंग को बताया कि रकम बड़ी होने के चलते दिक्कत आ रही है। इस पर बदमाशों का कहना था कि अब फिरौती का नहीं बल्कि दोनों की तेरहवीं का इंतजाम करो।

दिन में झाड़ी और रात में टीले पर रखते थे

मुक्त हुए दिनेशचंद और उनके बेटे कृष्णा ने बताया बदमाश उन्हें दिन में झाड़ियों में हाथ-पैर और आंखों पर पट्टी बांधकर रखते थे। दिन में दो बदमाश निगरानी करते थे। जबकि रात में टीले पर रखा जाता था।

रोज लोकेशन बदल देता था गैंग

गिरोह हर दिन अपनी लोकेशन बदल देता था। वह बीहड़ में एक जगह पर नहीं टिकता था। इससे कि मोबाइल टावर लोकेशन से पुलिस उनका पता नहीं लगा सके। उसने पहला फोन भी मध्य प्रदेश के अंबाह से किया था।

ट्यूब पर बैठाकर पार कराई चंबल

धौलपुर के बीहड़ में पुलिस का दबाव बढ़ने पर गैंग ने वहां से मध्य प्रदेश के बीहड़ में जाने का फैसला किया। दिनेशचंद और कृष्णा को चंबल नदी के किनारे लेकर गए। मगर, दोनों को तैरना नहीं आता था। इस पर ट्यूब में हवा भरकर उसके माध्यम से चंबल नदी पार कराई।

गुमराह करने को करते रहे मथुरा जाने की बात

बदमाशों ने दिनेशचंद को गुमराह करने की कोशिश की। अपहरण के बाद उनके हाथ-पैर और आंखों पर पट्टी बांधकर बुलेरो में डाल लिया। इसके बाद आपस में अपहृत को मथुरा में ले चलकर रखने की बात करते रहे। मगर, चालक द्वारा बार-बार रास्ता पूछने से दिनेशचंद को शक हो गया कि बुलेरो चालक को रास्ते का पता नहीं है।

प्रत्याशी के रिश्तेदार बन प्रचार के बहाने गई थी पुलिस टीमें

धौलपुर में पुलिस टीम चुनाव लड़ रहे एक प्रत्याशी के रिश्तेदार बनकर डेरा डाले रहीं। करीब दो दर्जन पुलिसकर्मी राजस्थानी वेशभूषा में वहां पहुंचे तो लोगों ने पूछताछ की। इस पर पुलिस ने बताया कि वह प्रत्याशी के रिश्तेदार हैं, उनके पक्ष में प्रचार करने के साथ ही वहां के मंदिरों में उनकी जीत के लिए मनौती मांग रहे हैं। इसके लिए वह कई मंदिरों में गए और वहां पर प्रार्थना की। इससे ग्रामीणों को उन पर शक नहीं हुआ।

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