Janmashtami 2021: आगरा जिला जेल में 9 बच्चों की 172 यशोदा, पढ़ें सलाखाें के पीछे के रिश्तों की अनूठी दास्तां
Janmashtami 2021 तीन दिन की नवजात समेत छह बालिका व तीन बालक मांओं के साथ रह रहे हैं। महिला बंदियों की आंखों के तारे हैं सभी बच्चे अपनी गोद में खिलाने को रहती हैं बेकरार। जिला जेल की महिला बैरक में 173 बंदी हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। अस्पताल में जन्म देने के बाद तीन दिन की बेटी को लेकर महिला बंदी शनिवार की शाम को अपनी बैरक में पहुंची तो वहां निरुद्ध अन्य महिलाएं उसकी झलक देखने को बेकरार हो गईं। उसे गोद में लेने के लिए होड़ लग गई। हर महिला बंदी अबोध बच्ची को गोद में लेकर उस पर दुलार लुटाना चाहती थी। जिला जेल में भी जन्माष्टमी पर झांकी सजाने के साथ ही बच्चाें को कान्हा की पोशाक में महिला बंदी सजा रही हैं।
जिला जेल की महिला बैरक में 173 बंदी हैं। इनमें नौ महिला बंदियों के साथ उनके बच्चे भी रह रहे हैं। इन बच्चों की देखभाल के लिए सिर्फ उनकी मांओं के अलावा महिला बंदी भी करती हैं। एक महिला बंदी ने अपनी 26 अगस्त को लेडी लायल में बेटी को जन्म दिया। वह शनिवार की शाम को जिला जेल में दाखिल हुई है। महिला बंदियों के लिए यह नौ बच्चे किसी खिलौनों से कम नहीं हैं। जो यहां निरुद्ध महिलाओं के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने का सबब बनते हैं।
विभिन्न अपराधाें में सलाखों के पीछे पहुंचने वाली महिलाओं के लिए यहां पर समय काटना मुश्किल था। वह अवसाद का शिकार होने लगी थीं।ऐसे में यह बच्चे उन्हें अवसाद से उबारने में मददगार बने। महिला बंदियों ने बच्चाें पर ध्यान देना शुरू किया। पांच साल की उम्र के कई बच्चों को पढ़ाने से लेकर उन्हें बैरक के बाहर परिसर में घुमाती हैं। इस दाैरान बच्चों की शरारतें और नन्हें कदमों से दौड़ते देख महिला बंदियेां को खुशी मिलती है। रात में यदि कोई बच्चा रोने लगता है तो मां के साथ अन्य महिला बंदी भी उसे चुप कराने के लिए उठ जाती हैं।बच्चों की एक मां की तरह देखभाल करती हैं।