जागरण संवाददाता, आगरा: प्रेमचंद अपने आप में एक युग थे। उन्होंने निर्बल और असहाय वर्ग खासतौर से महिलाओं के सशक्तीकरण को अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रदर्शित किया। फिर चाहे वह गोदान की धनिया हो या सिलिया। उत्तर प्रदेश लेखिका मंच ने मुंशी प्रेमचंद की जयंती को प्रेमचंद साहित्य दिवस के रूप में मनाया।

मंच की गोष्ठी का आयोजन शनिवार को अंजतानगर में मिथलेश परिहार के निवास पर किया गया। बीडी जैन कॉलेज की ¨हदी विभागाध्यक्ष डॉ. शिखा श्रीधर ने प्रेमचंद के नारी पात्रों का विश्लेषण करते हुए कहा कि उन्होंने वर्ग संघर्ष का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया था। विषय प्रवर्तन करते हुए शशि मल्होत्रा ने कहा कि व्यक्ति, समाज और देश तीनों उनके हृदय में बसते थे। संरक्षक प्रीति आनंद ने कहा कि प्रेमचंद ने नारीवाद को भारतीय परिपेक्ष्य में चित्रित किया है। अपने उपन्यास गोदान में उन्होंने नारी पात्र धनिया के रूप में नए युग का प्रखर बुद्धिवाद दिखाया है। गोदान के पात्रों के चित्रण और तत्कालीन भारतीय समाज पर मधु बंसल ने प्रकाश डाला। मानसरोवर पर विचार व्यक्त करते हुए ज्योत्सना सिंह ने क्रिया-प्रतिक्रिया के नैसर्गिक नियम को प्रेमचंद की कहानियों की विशेषता बताया। गीता शर्मा ने कफन कहानी की विवेचना की। डॉ. मधु वशिष्ठ ने कहा कि प्रेमचंद ने सामाजिक समरसता का संदेश दिया। डिंपल अरोड़ा, मृदुला जौहरी, अनीता परिहार, स्वीटी खंट्टर, सोनम खिरवार, रजनी सिंह आदि ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के आरंभ में मंच की अध्यक्ष रानी परिहार ने स्वागत किया। धन्यवाद दिया मिथलेश परिहार ने।