लपटें फैलीं तो खेतों की ओर दौड़े जानवर
जागरण संवाददाता, आगरा: कीठम में लगी आग ऐसे फैल रही थी जैसे वहां पेट्रोल छिड़क दिया हो। आग फैल रही थी
जागरण संवाददाता, आगरा: कीठम में लगी आग ऐसे फैल रही थी जैसे वहां पेट्रोल छिड़क दिया हो। आग फैल रही थी और जानवर खेतों की ओर निकलकर दौड़ रहे थे। आग तेजी से फैलने की वजह पतझड़ के बाद भारी मात्रा में पत्तों और गर्मी में सूखी झाड़ियां थीं।
कीठम सेंचुरी में टॉवर नंबर चार पर सर्वाधिक पशु-पक्षी रहते हैं। इसकी वजह यहां अधिक चहलपहल नहीं होना है। साथ ही पास ही झील है। ऐसी ही जगह वह पसंद करते हैं और शांति से रहते हैं। आग लगने के बाद पशु चीखते हुए भागने लगे। सुरक्षित ठिकाने की तलाश में वह जंगल से निकलकर खेतों व कीठम की सड़क पर पहुंच गए।
आग लगने से वन संपदा का भी भारी नुकसान हुआ है। कीठम में ऐसी कई वनस्पतियां पाई जाती हैं, जो कहीं ओर नहीं मिलतीं।
कौन से पक्षी रहते
यहां वुडलैंड बर्ड्स में एशियन कोयल, आशा परीना, ब्ल्यू रॉक पिजन, ब्लैक रेट स्टार्ट, हाउस क्रो, जंगल क्रो, स्पैरो, इंडियन रॉबिन, इंडियन सिल्वर विल वुड पैकर, इंडियन ¨रग डव, रेड मुनिया आदि बहुतायत में पाए जाते हैं।
वहीं, वेटलैंड बर्ड्स में इंडियन रीफ हेरोन, नाइट हेरोन, लिटिल इग्रेड, लार्ज इग्रेड, कैटेलिक इग्रेड, कैडी बर्ड, पर्पल व ग्रे हेरोन मिलते हैं।
अजगर ज्यादा मरे
टॉवर नंबर चार के पास जिस जगह आग लगी है, वहां अजगर प्वॉइंट है। कीठम में सबसे ज्यादा अजगर यहीं मिलते हैं। उनके बड़ी संख्या में मरने की बात कही जा रही है।
भालुओं से दूर थी आग
कीठम के जंगल में जहां आग लगी है, उससे एक बार वहां संरक्षण गृह के भालुओं के लिए भी आशंका पैदा हो गई। परंतु बाद में पता चला कि यह स्थान भालू संरक्षण गृह से ढाई से तीन किमी दूर है। कीठम मे देश का सबसे बड़ा भालू संरक्षण गृह है, जहां 210 भालू हैं।
लापरवाही में न बनाई फायर ¨रग
वन विभाग ने कीठम के जंगलों में इस बार फायर ¨रग बनाने में लापरवाही बरती। इसकी वजह से गर्मी में फैली आग जंगल में तेजी से बढ़ती चली गई। अगर फायर ¨रग बनाई जातीं तो आग इतने बड़े क्षेत्र में नहीं फैलती। जंगली जानवरों को नुकसान इतना ज्यादा नहीं होता।
पांच साल में दर्जन भर बार लगी आग
कीठम के जंगल में पांच साल में दर्जन भर आग लग चुकी है। इसमें पांच बार आग शॉर्ट सर्किट से लगी है। वन विभाग का कहना है कि आग से हुए नुकसान का आकलन कर बिजली विभाग को रिपोर्ट भेज दी जाती है, मगर विभाग कोई मदद नहीं करता।