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शिक्षकों की जेब से बन रहा मिड-डे मील

जागरण संवाददाता, आगरा: प्राइमरी विद्यालयों में मिड-डे मील (एमडीएम) के लिए राशन का आवंटन तो कर दिया ग

By Edited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 01:07 AM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 01:07 AM (IST)
शिक्षकों की जेब से बन रहा मिड-डे मील

जागरण संवाददाता, आगरा: प्राइमरी विद्यालयों में मिड-डे मील (एमडीएम) के लिए राशन का आवंटन तो कर दिया गया है, लेकिन उसे बनाने के लिए कनवर्जन कॉस्ट नहीं दी गई है। चार महीने से प्रधान और हेडमास्टर अपनी जेब से एमडीएम बनवा रहे हैं। कई जगह तो धन अभाव में एमडीएम बनना ही बंद हो गया।

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परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को मिड-डे मील दिया जाता है। मिड-डे मील के लिए जुलाई, अगस्त और सितंबर का खाद्यान्न विद्यालयों में पहुंचा दिया गया है, लेकिन उसे बनवाने के लिए कनवर्जन कॉस्ट अभी खातों में स्थानांतरित नहीं किया गया है। ऐसे में ज्यादातर विद्यालयों में हेडमास्टर अपनी जेब से ही मिड-डे मील बनवा रहे हैं। शुरुआत के एक-दो महीने तो शिक्षकों ने मिड-डे मील बनवाया, लेकिन इसके बाद भी कनवर्जन कॉस्ट न मिलने से उन्होंने भी एमडीएम बनवाना बंद कर दिया। शिक्षकों का कहना है कि कनवर्जन कॉस्ट न मिलने की शिकायत बीएसए, खंड शिक्षाधिकारी और एमडीएम के जिला समन्वयक से भी कर चुके हैं। इसके बाद भी धनराशि खातों में ट्रांसफर नहीं की जा रही है। प्राथमिक विद्यालय कलवारी के हेडमास्टर सुरेश खिरवार मंगलवार को कनवर्जन कॉस्ट के बारे में पता करने बीएसए कार्यालय पहुंचे। उन्होंने बताया कि मई, जुलाई, अगस्त और सितंबर की कनवर्जन कॉस्ट नहीं मिली है। वह कई बार चक्कर काट चुके हैं। इसके बाद भी उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है।


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