#JagranForum: पूर्व टेनिस दिग्गज रमेश कृष्णन ने कहा, जीवन की तरह टेनिस भी बदल गया
सर्वकालिक शीर्ष 10 टेनिस खिलाड़ियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि रॉड लेवर ने 1969 में चारों ग्रैंडस्लैम खिताब जीते जिसे आज भी लोग याद करते हैं।
नई दिल्ली, विकास पांडेय। पूर्व भारतीय टेनिस दिग्गज रमेश कृष्णन ने जागरण फोरम में कहा कि जीवन की तरह टेनिस भी बदल गया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या आधुनिक रैकेट से टेनिस के खेल में बदलाव आया है तो उन्होंने कहा कि 50-60 साल पहले की बात करें तब रॉड लेवर और केन रोसवॉल शीर्ष खिलाड़ी हुआ करते थे। उनकी लंबाई पांच फुट सात इंच थी। वे सबसे लंबे खिलाड़ी माने जाते थे।
इसके बाद ब्योन बोर्ग, जॉन मैकनेरो और जिमी कोनर्स का दौर आया जिनकी लंबाई 5 फुट 10 या 11 इंच थी। अब दौर है रोजर फेडरर, जोकोविक और नडाल का। इन सभी की लंबाई छह फुट से ज्यादा की है। ऐसे में स्वभाविक रूप से खेल की गतिशीलता बदल रही है। पहले दो से तीन टेनिस के बड़े टूर्नामेंट हुआ करते थे। समय के साथ कोर्ट धीमे होते गए, तकनीक बदलती गई।
उन्होंने कहा कि आज सर्व एंड वॉली खत्म हो रहा है, क्योंकि कोर्ट धीमे और गेंद भारी हो गए हैं। यह सभी टीवी की वजह से हो रहा है क्योंकि सर्व एंड वॉली से प्वाइंट जल्दी खत्म हो जाता है। पीछे से आप अगर खेलते हो तो प्वाइंट लंबा चलता है। कुछ समय पहले तक सर्व एंड वॉली अहम होता था। हालांकि उम्मीद है कि वक्त बदलेगा और आने वाले समय में कुछ अच्छे वॉली लगाने वाले देखने को मिलेंगे लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी अच्छी सर्विस के बाद दौड़ लगाना है। यह जरूरी नहीं है कि हर बार सर्विस करके खिलाड़ी नेट पर आए लेकिन इस कौशल की खिलाड़ियों को जरूरत है।
खुद के संन्यास लेने के बाद सिंगल्स में कोई शीर्ष स्तर का भारतीय खिलाड़ी नहीं होने पर उन्होंने कहा कि हम तरक्की कर रहे हैं। 25-30 साल पहले हम एशिया में ज्यादातर मैच जीतते थे जो कि आसान हुआ करते थे लेकिन अब जापान और कोरिया जैसे देश टेनिस के शक्तिशाली देश के रूप में उभरकर रहे हैं। यानी प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। मुङो अभी भी लगता है कि टेनिस में अभ्यास की सुविधाएं केवल मेट्रो सिटी तक ही सीमित हैं। मैंने देश में टियर वन, टियर टू या टियर-थ्री स्तर के टूर्नामेंट बहुत कम ही देखे हैं। ज्यादा मुकाबले होंगे तो हम सही दिशा में आगे बढ़ेंगे।
पिता रामनाथन कृष्णन के दो बार विंबल्डन के सेमीफाइनल में पहुंचने, विजय अमृतराज के विंबल्डन क्वार्टर फाइनल में हारने और खुद के तीन बार ग्रैंड स्लैम के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के बावजूद खिताब नहीं जीत पाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि देखिए किसी एक शॉट की बात नहीं है। अमृतराज वहां जीत भी जाते तो उन्हें सेमीफाइनल और फाइनल खेलना पड़ता। तब जाकर खिताब जीत पाते। हम वहां तक पहुंचे लेकिन उससे आगे नहीं बढ़ पाए क्योंकि तब बोर्ग, लेवर और संप्रास जैसे खिलाड़ी लगातार क्वार्टर फाइनल में पहुंच रहे थे।
सर्वकालिक शीर्ष 10 टेनिस खिलाड़ियों के सवाल पर उन्होंने कहा कि रॉड लेवर ने 1969 में चारों ग्रैंडस्लैम खिताब जीते जिसे आज भी लोग याद करते हैं। विजय, पिता रामनाथन और खुद की तुलना पर उन्होंने कहा कि रामनाथन मेरे पिता थे तो मैं मेरे लिए उनको आंकना मेरे लिए नामुमकिन है। मैं खुद को भी आंक नहीं सकता। वास्तव में मेरे लिए किसी को आंक पाना आसान नहीं है।