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भविष्य में यह 5 तकनीकें छाई रहेंगी, जरूरत पड़ेगी फास्ट नेटवर्क की

टेलीकॉम कंपनी Airtel पिछले कुछ वर्षों से ही 5G की तैयारियों में जुटा हुआ है और 5G नेटवर्क के कई सफल टेस्ट भी किए हैं।

By Harshit HarshEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 06:40 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jun 2019 02:07 PM (IST)
भविष्य में यह 5 तकनीकें छाई रहेंगी, जरूरत पड़ेगी फास्ट नेटवर्क की
भविष्य में यह 5 तकनीकें छाई रहेंगी, जरूरत पड़ेगी फास्ट नेटवर्क की

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नई दिल्ली, पार्टनर कंटेंट। विकसित देशों के साथ साथ, भारत भी तकनीक के मामले में तेजी से आगे बढ रहा है। तेज रफ्तार से हम 2G के जमाने से 4G मोबाइल इंटरनेट तक पहुँच गए हैं, और अब तो 5G के आगमन की भी तैयारियां हो रही हैं। पूरे विश्व में जैसे-जैसे 5G का दायरा बढ़ेगा तकनीक की कई सारी संभावनाएं खुलती जाएगी। यहीं अगर भारत की बात करें, तो टेलीकॉम कंपनी Airtel पिछले कुछ वर्षों से ही 5G की तैयारियों में जुटा हुआ है, और 5G नेटवर्क के कई सफल टेस्ट भी किए हैं। ऐसे में 5G जैसे फास्ट नेटवर्क के आने से, जो तकनीक कुछ साल पहले तक भारत में असंभव थी, वे जल्दी ही पूरी तरह से संभव हो जाएगी। आइए जानते हैं वह कौन-कौन सी तकनीक है, जिनका भविष्य पर पूरी तरह से कब्जा रहेगा।

1. वर्चुअल रियलिटी (VR)

यहां वर्चुअल रियलिटी का मतलब है एक ऐसी दुनिया जो हमें असलियत का एहसास दे, बिना आपके वहां मौजूद होते हुए। इसका मतलब यह हुआ कि जब आप VR हेडसेट्स पहनकर वर्चुवल टूर या फिर 360 डिग्री का वीडियो देखते हैं, तब आप आभासी तौर पर (Virtually) आप उसी दुनिया का हिस्सा बन जाते हैं। मिसाल के तौर पर अगर आप यह जानना चाहते हैं कि गोवा बीच तथा उसके आसपास का एरिया असल में कैसा दिखता है, तो आप सिर्फ वर्चुअल रियलिटी हेडसेट्स पहनकर, गोवा बीच वाला 360 डिग्री का वीडियो देखिए। VR हेडसेट्स के माध्यम से वही वीडियो आंखों के सामने इस तरह प्रोजेक्ट होता है कि आपको वहां होने का आभास होता है। वैसे वर्चुअल रियलिटी (VR) जैसी तकनीक 2019 में कुंभ में मुख्य आकर्षण रही और एयरटेल ने मेले में कई जगह VR जोन बनाकर लोगों को इस तकनीक का एक अनोखा और आधुनिक अनुभव दिया। वर्चुअल रियलिटी का सबसे बडा फायदा यह है कि आप लाइव शो का मजा असली में ले सकते हैं, वह भी बिना उस जगह पर गए। इसके लिए आपको फास्ट नेटवर्क चाहिए, जो बिना किसी बफरिंग या रुकावट के लाइव स्ट्रीमिंग कर सके।

2. ऑगमेंटेड रियलिटी (AR)

ऑगमेंटेड रियलिटी वर्चुअल रियलिटी से ज्यादा एडवांस है। इस तकनीक की सहायता से आपके आसपास एक अलग डिजिटल दुनिया बनाई जाती है, जो ज्यादा डिटेल में होती है। 3D कैमरे वाले स्मार्टफोन में यदि ऑगमेंटेड रियलिटी है, तो आप ऑनलाइन कोई भी चीज खरीदने से पहले उसे विजुलाइज कर पाएंगे। मिसाल के तौर पर अगर आप ऑनलाइन डायनिंग टेबल खरीदना चाहते हैं, लेकिन आपको पता नहीं है कि असली में उसका साइज क्या है और जिस जगह पर उसे आप रखना चाहते हैं, वहां फिट होगा या नहीं। आप ऑगमेंटेड रियलिटी तकनीक का फायदा लेकर डायनिंग टेबल को विजुलाइज करके उसका सही साइज पता करके, उसे खरीद सकते हैं। इसके अलावा ऑगमेंटेड रियलिटी का फायदा अन्य क्षेत्रों में भी उठाया जा सकता है।

3. क्लाउड कंप्यूटिंग

भारत में क्लाउड कम्प्यूटिंग पर काम पिछले कई वर्षों से चल रहा है, लेकिन बीते दो से तीन वर्षों में इस सेक्टर ने तेजी पकड़ी है। क्लाउड कम्प्यूटिंग का मतलब बडे पैमाने पर वर्चुअल डेटा स्टोरेज की सुविधा प्रदान करना है, जिसे दुनिया के किसी भी कोने से एक्सेस किया जा सकता है। इसके अलावा क्लाउड कम्प्यूटिंग के जरिए कई तरह की सर्विस दी जा रही है, जिसमें सॉफ्टवेयर, ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन एडिटिंग शामिल है। मान लीजिए आप कोई सॉफ्टवेयर की सर्विस लेना चाहते हैं, जो काफी महंगी है और जिसे मैनेज करना आपके लिए असंभव है, तो आप कम पैसे में क्लाउड कम्प्यूटिंग के माध्यम से वह सर्विस ले सकते हैं। इसके लिए आपको Airtel 4G जैसा फास्ट और हाई स्पीड इंटरनेट चाहिए, ताकि इस सर्विस को जब आप इस्तेमाल करें, तो कोई रुकावट न हो।

4. गेम बेस्ड लर्निंग

गेम बेस लर्निंग को शिक्षा के भविष्य के रूप में देखा जा रहा है। गेम बेस लर्निंग के जरिए छात्रों को जटिल कॉन्सेप्ट सिखाया जाता है। इसमें गेम को कुछ इस तरह से डिजाइन किया जाता है, जो लक्ष्यों को प्राप्त करने में बच्चों की मदद करेगा। इसके अलावा जीवन की समस्याओं का खेल के जरिए कैसे हल निकाला जाए, गेम के जरिए इसके बारे में भी जानकारी दी जाएगी। यह इनोवेटिव तरीका बच्चों के साथ-साथ बडे छात्रों के लिए भी फायदेमंद होगा।

5. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)

आज दुनिया इंटरनेट ऑफ पीपल से इंटरनेट ऑफ थिंग्स की तरफ बढ रही है। जैसे-जैसे इसका दायरा बढ़ेगा, इससे लोगों की पूरी लाइफस्टाइल बदल जाएगी। इंटरनेट ऑफ थिंग्स का मतलब एक ऐसा सिस्टम जहां डिवाइस, डिजिटल मशीन, चीजें, जानवर व इंसान आदि आपस में सभी जुड़े होंगे और आपकी भलाई के लिए काम करेंगे। हालांकि, यह तकनीक और यह सिस्टम सही तरह से काम करे, इसके लिए फास्ट व भरोसेमंद इंटरनेट की जरूरत पड़ेगी, ताकि कनेक्टिविटी में कोई परेशानी न हो। भविष्य में Airtel का IoT (Internet of Things) सॉल्यूशंस, M2M (Machine-to-Machine) कनेक्टिविटी को सक्षम बनाता है। आइए इसको एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। आपके घर में कोई नहीं है और आप सुबह ऑफिस के लिए निकल पड़े, लेकिन आपने घर की खिड़की खुली छोड़ दी है। यहां इंटरनेट ऑफ थिंग्स की तकनीक काम करना शुरू करेगी यानी डिवाइस आपस में बात करेंगे और देखेंगे कि घर में कोई नहीं है, तो खिड़की को बंद कर देंगे। इसके बाद आपके स्मार्टफोन पर मैसेज आएगा कि खिड़की खुली थी, इसलिए बंद कर दी है।

ये आर्टिकल Airtel के साथ पार्टनर कॉन्टेंट का हिस्सा है

लेखक - शक्ति सिंह

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