वो शख्स जिसने खोजा फिंगरप्रिंट, आज बना हर भारतीय नागरिक की विशिष्ट पहचान, जानिए क्या है इसका गुलामी से कनेक्शन
फिंगरप्रिंट की खोज करने वाले शख्स का आज जन्मदिन है तो आइए जानते हैं फिंगरप्रिंट सेंसर के बारे में डिटेल से (फोटो साभार Vivo)
नई दिल्ली, सौरभ वर्मा। फिंगरप्रिंट आज हर एक भारतीय नागरिक का विशिष्ट पहचान है। आधार कार्ड, राशन कार्ड से लेकर फोन में फिंगरप्रिंट स्कैनिंग का इस्तेमाल होता है। शायद ही ऐसी कोई सरकारी योजना बाकी हो, जिसमें फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल न होता हो और शायद ही ऐसा कोई फोन हो, जिसमें फिंगर प्रिंट स्कैनर का इस्तेमाल न हो। मौजूदा वक्त में ऑफिस में एंट्री लेने से लेकर घर का डोर ओपन करने कर हर जगह फिंगरप्रिंट स्कैनर का इस्तेमाल होता है। भारत के डिजिटल इंडिया मुहिम में फिंगरप्रिंट स्कैनर का अहम रोल रहा है। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि आखिर फिंगरप्रिंट की खोज करने वाल शख्स कौन था।
फिंगरप्रिंट की खोज विलियम जेम्स हर्शेल ने की थी। जेम्स एक ब्रिटिश नागरिक थे, जिनका जन्म आज से करीब 162 साल पहले 28 जुलाई 1858 को हुआ था। मतलब आज जेम्स की जन्मतिथि है। जेम्स ही वो शख्स थे, जिसने बताया था कि हर एक व्यक्ति के उंगलियों के निशान अलग-अलग होते हैं। ब्रिटिश जेम्स खगोल वैज्ञानिकों के परिवार से संबंध रखते थे। जेम्स मात्र 20 साल की उम्र में भारत आ गए और भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी के तौर पर कार्यभार संभाला और लोकल भारतीय बिजनेस मैन के साथ कई तरह के कॉन्ट्रैक्ट साइन किए। लेकिन उस वक्त ज्यादातर भारतीय अनपढ थे, ऐसे में हस्ताक्षर युक्त दस्तावेज नहीं उपलब्ध हो पाते थे। ऐसे में चलते करार बीच में टूट जाता और कोई कानूनी दावा नहीं किया जा सकता था। ऐसे में जेम्स ने साल 1858 में पूरी हथेलियों की छाप दस्वावेज पर एक हस्ताक्षर के तौर पर लेने लगे।
हालांकि बाद में उन्होंने अनुभव किया कि पूरी हथेलियों की छाप लेना जरूरी नही है, क्योंकि उंगलियों के निशान लंबे वक्त तक नहीं बदलते हैं। इसी दौरान उन्होंने पाया कि जब हर एक इंसान के फिंगरप्रिंट अलग-अलग होते हैं, तो क्यों न इसे पहचान के तौर पर इस्तेमाल किया जाएं। इसके बाद उन्होंने ICS अधिकारी रहते हुए हस्ताक्षर की बजाय अधिकारिक दस्तावेजों में फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। साल 1800 में भारत गुलामी के दौर से गुजर रहा था। ऐसे वक्त में ब्रिटिश अधिकारियों ने फिंगरप्रिंट को कैदियों और अपराधियों के लिए अनिवायर्य इस्तेमाल करने को लेकर एक कानून बना दिया गया। इस तरह गुलामी के दौर में भारत में पहचान के तौर पर फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल होने लगा, जो आज तक जारी है।
(Written By- Saurabh Verma)