ऐप की पेड सर्विस; यूजर की जरूरत या मजबूरी, मुफ्त का लॉलीपॉप देकर अब पैसे वसूल रहीं टेक कंपनियां
Tech Companies Paid Service धीरे-धीरे टेक कंपनियों का झुकाव यूजर से पैसा वसूलने की ओर होने लगा है। एक के बाद एक टेक कंपनियां यूजर के लिए प्रीमियम सर्विस उपलब्ध करवा रही हैं। ये सर्विस यूजर की जरूरत में शामिल भी हो रही हैं। (फोटो- जागरण)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। आखिरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने पेड सर्विस को लॉन्च करने का ऐलान कर ही दिया। हालांकि, इससे पहले ही ट्विटर जैसा पॉपुलर प्लेटफॉर्म भारत में अपनी पेड सर्विस लॉन्च कर चुका है। पेड सर्विस का सीधा और साफ मतलब है कि किसी प्लेटफॉर्म पर अधिक सुविधाओं का लाभ केवल और केवल पैसे चुका कर ही लिया जा सकेगा।
फेसबुक और ट्विटर पर इतने रुपये के हैं सब्सक्रिप्शन प्लान
फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक बड़ा यूजर ग्रुप एक्टिव है। ट्विटर ने भारत में अलग- अलग सब्सक्रिप्शन प्लान पेश किए हैं। मोबाइल में ट्विटर का इस्तेमाल करने वाले यूजर्स से 900 रुपये प्रति महीने तो वेब यूजर्स के लिए यही फी 650 रुपये तय की गई है।
इसी तरह मेटा की पेड प्लान में यूजर से वेब सर्विस के लिए 11.99 डॉलर हर महीने लिए जाएंगे। जबकि, एप्पल आईओस के लिए यही फीस 14.99 डॉलर ली जाएगी।
ऐसे में सवाल यह है कि बड़ी टेक कंपनियों में फ्री से पेड होने का दौर आखिर किन उद्देश्यों के मद्देनजर चल रहा है। यही नहीं, आने वाले समय में यूजर की जरूरत बनने के बाद क्या पेड सर्विस को लेना ही एक मात्र विकल्प रह जाएगा।
किस तरह बन रहे हैं आम यूजर की जरूरत
यूजर की जरूरत बनने की कड़ी में सबसे पहला जिक्र गूगल का किया जा सकता है। गूगल अपने यूजर्स को कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाता है। गूगल यूजर्स के लिए एक सर्च इंजन से बढ़कर काम करता है। यूजर के लिए जीमेल, फोटोज, न्यूज, ड्राइव, मीट और चैट की सुविधाएं भी गूगल की ओर से दी जाती है। इन सर्विस का इस्तेमाल लगभग हर आयु के यूजर से जुड़ा है।
एक नौकरीपेशा शख्स को उसकी फाइल्स और जरूरी डॉक्यूमेंट्स के लिए गूगल ड्राइव की सुविधा काम आती है तो मेल सेंड करने के लिए जीमेल काम में आता है। इसी तरह आपके स्मार्टफोन की स्टोरेज फुल होने पर गूगल की सुविधाएं काम में आती हैं।
पुरानी यादों को सहेज कर रखने के लिए फोटोज़ में भी एक्स्ट्रा स्पेस होना ही चाहिए। ऐसे में गूगल की कई सुविधाएं एक यूजर की आम जरूरतों में शामिल हैं।
यूजर के लिए Google One सब्सक्रिप्शन बेस्ड सर्विस की सुविधा है मौजूद
इन्हीं जरूरतों के मध्यनजर गूगल यूजर के लिए Google One सब्सक्रिप्शन बेस्ड सर्विस पेश करता है। गूगल वन में 100 जीबी स्टोरेज के लिए 130 रुपये प्रति माह फी ली जा रही है। इसी तरह यूजर को 200जीबी और 2टीबी के प्लान भी ऑफर किए जा रहे हैं। 200जीबी स्टोरेज के लिए 210 रुपये प्रति माह तो 2टीबी के लिए 650 रुपये प्रति माह फी ली जा रही है।
सर्विस के तहत दावा किया जाता है कि कंपनी यूजर को डेटा स्टोरेज ही नहीं गूगल एक्सपर्ट्स और फैमिली शेयरिंग जैसे फीचर भी उपलब्ध करवाएगी।
अनजान नंबर से कॉल आने पर अब ट्रू कॉलर के साथ हिचकिचाने की नहीं जरूरत
गूगल ही नहीं, इसी तर्ज पर ट्रू कॉलर और स्पोटिफाई जैसी कंपनियां भी काम कर रही हैं। ट्रू कॉलर की बात करें तो, हर यूजर को अनजान नंबर उठाने में थोड़ी हिचकिचाहट होती है। ऐसे में कई यूजर्स के लिए ट्रूकॉलर एक जरूरत बन जाता है जहां यूजर को कॉलर की कुछ डिटेल्स फोन स्क्रीन पर शॉ हो जाती हैं।
वहीं ट्रू कॉलर अपने यूजर को प्रीमियम सर्विस का भी ऑफर देता है। प्रीमियम सर्विस के तहत ट्रू कॉलर यूजर को ज्यादा बेहतर सुविधाएं देने का वादा करता है।
गाना सुनते हुए इमोशन के बीच में एड नहीं डालेगा खलल
स्पॉटिफाई एक ऑडियो स्ट्रीमिंग और मीडिया सर्विस प्रोवाइडर प्लेटफॉर्म है। हर दूसरे यूजर के लिए म्यूजिक उसकी जिंदगी में अहम भूमिका निभाता है।
बात केवल शादी या पार्टी की ही नहीं है। म्यूजिक यूजर के हर इमोशन से जुड़ा होता है। किसी भी यूजर को म्यूजिक के बीच में एड का आना इरिटेट करता है। ऐसे में स्पॉटिफाई प्रीमियम सर्विस के साथ एड फ्री म्यूजिक सर्विस से यूजर को लुभाता है।
हर प्लेटफॉर्म पर पेड सर्विस से बचना नहीं मुमकिन
वर्तमान में बहुत सी सर्विस का इस्तेमाल अधिकतर यूजर फ्री में कर रहे हैं। हालांकि, ऐसा बहुत अधिक समय तक चलना मुमकिन नहीं लगता। भविष्य में कुछ सेवाएं यूजर की जिंदगी का जरूरी हिस्सा बनते हुए उनकी बड़ी जरूरत में शुमार हो जाएंगी। ऐसे में जरूरी सेवाओं का मुफ्त में लाभ लिया जाना शायद ही संभव हो पाएगा।
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