Wearable Ultra Thin Sensor - रिसर्च से पता चलता है कि ये सोने जितना अच्छा है
हाल के एक अध्ययन के अनुसार शोधकर्ताओं के एक समूह ने एक अनूठा ultra-thin sensor विकसित किया है जिसे बिना जलन या परेशानी के सीधे त्वचा पर लगाया जा सकता है। अध्ययन के निष्कर्ष उन्नत ऑप्टिकल सामग्री पत्रिका में प्रकाशित किए गए थे।
टोक्यो, एएनआई। हाल के एक अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं के एक समूह ने एक अनूठा ultra-thin sensor विकसित किया है जिसे बिना जलन या परेशानी के सीधे त्वचा पर लगाया जा सकता है।
अध्ययन के ये निष्कर्ष Advanced Optical Materials पत्रिका में प्रकाशित किए गए थे। अल्ट्राथिन सेंसर शरीर के रासायनिक विश्लेषण (chemical analysis) करने के लिए विभिन्न बायोमार्कर (biomarkers) या पदार्थों का मूल्यांकन कर सकता है। यह एक रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक (Raman spectroscopy technique) का उपयोग करके काम करता है, जहां सेंसर पर लक्षित लेजर लाइट को उस बिंदु पर त्वचा पर मौजूद रसायनों के आधार पर थोड़ा बदल दिया जाता है। बेहद संवेदनशील होने के लिए सेंसर को बारीक रूप से ट्यून किया जा सकता है, और यह व्यावहारिक उपयोग के लिए पर्याप्त मजबूत है।
Wearable technology कोई नई बात नहीं है। शायद आप या आपका कोई परिचित स्मार्टवॉच पहनता है। इनमें से कई हृदय गति जैसे कुछ स्वास्थ्य मामलों की निगरानी कर सकते हैं। लेकिन वर्तमान में वे रासायनिक हस्ताक्षरों (chemical signatures) को माप नहीं सकते हैं जो चिकित्सा निदान (medical diagnosis) के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
Smartwatch या Specialized Medical Monitors भी अक्सर काफी महंगे होते हैं। इस तरह की कमी से प्रेरित होकर टोक्यो विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान विभाग (Department of Chemistry) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने गैर-आक्रामक और लागत प्रभावी तरीके से विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों और पर्यावरण से जुड़े मामलों को समझने का एक नया तरीका खोजा।
चीन की Yangzhou University के Limei Liu जो अपने अध्ययन के समय एक विजिटिंग स्कॉलर और वर्तमान में विश्वविद्यालय के lecturer है, वह कहते हैं ‘कुछ साल पहले, मैं टोक्यो विश्वविद्यालय में एक अन्य शोध समूह से robust stretchable electronic components के उत्पादन के लिए आया था। ये उपकरण सोने के साथ लेपित अल्ट्राफाइन धागे से बने होते हैं, इसलिए बिना किसी समस्या के त्वचा से इसे जोड़ा जा सकता है क्योंकि सोना किसी भी तरह से त्वचा पर प्रभाव या जलन नहीं करता है। सेंसर के रूप में, वे गति का पता लगाने तक ही सीमित थे, और हम देख रहे थे कुछ ऐसा है जो रासायनिक हस्ताक्षर, बायोमार्कर और दवाओं को समझ सकता है। इसलिए हमने इस विचार पर निर्माण किया और एक noninvasive sensor बनाया जो हमारी अपेक्षाओं को पार कर गया और हमें इसकी कार्यक्षमता को और भी बेहतर बनाने के तरीकों का पता लगाने के लिए प्रेरित किया।‘
विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर Tinghui Xiao के अनुसार ‘हमारे सेंसरों को विशिष्ट पदार्थों का पता लगाने के लिए बारीक रूप से ट्यून करने की आवश्यकता है और हम भविष्य में संवेदनशीलता और विशिष्टता दोनों को और भी आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसके साथ हमें लगता है कि ग्लूकोज मॉनिटरिंग जैसे एप्लिकेशन पीड़ितों के लिए आदर्श हैं। इससे मधुमेह या यहां तक कि वायरस का पता लगाना भी संभव हो सकता है।"
तो वहीं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर Keisuke Goda ने कहा, "रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसे इलेक्ट्रोकेमिकल विश्लेषण के अलावा रासायनिक विश्लेषण के अन्य तरीकों के साथ सेंसर के काम करने की भी संभावना है, लेकिन इन सभी विचारों के लिए बहुत अधिक जांच की आवश्यकता है। मुझे उम्मीद है कि यह शोध कम लागत वाले बायोसेंसर की एक नई पीढ़ी का नेतृत्व कर सकता है जो health monitoring के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य देखभाल के वित्तीय बोझ को कम भी कर सकता है।"