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राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर जानें, कैसे एआइ से आ रहा हेल्थकेयर की दुनिया में बदलाव...

National Doctors Day 2022 कोविड महामारी के बाद हेल्थकेयर की दुनिया में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) का दखल और ज्यादा बढ़ गया है। देखा जाए तो भारत भी इसमें तेजी से आगे बढ़ रहा है। जानें कैसे एआइ से आ रहा बदलाव..

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 04:41 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 07:26 AM (IST)
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर जानें, कैसे एआइ से आ रहा हेल्थकेयर की दुनिया में बदलाव...
राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (1 जुलाई) पर जानें, कैसे एआइ से आ रहा है बदलाव...

संतोष आनंद। इन दिनों हेल्थकेयर के क्षेत्र में एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसका उपयोग स्कैन पढ़ने से लेकर जोखिम की भविष्यवाणी करने तक में किया जा रहा है। कोविड -19 ने स्वास्थ्य सेवाओं में एआइ की भूमिका को मजबूत किया है। एआइ का उपयोग न सिर्फ रेडियोलाजी के क्षेत्र में व्यापक रूप से हो रहा है, बल्कि तपेदिक (टीबी) जैसी बीमारियों में भी इसका उपयोग बढ़ने लगा है। इतना ही नहीं, हृदय रोग से संबंधित जोखिम की भविष्यवाणी करने में एआइ का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है।

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क्लिनिकल निर्णय लेने में सहयोगी: स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए रोगियों का इलाज करते समय हर महत्वपूर्ण जानकारी को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है। मगर पारंपरिक तरीके से रखे गए मेडिकल रिकार्ड में यदि एक भी प्रासंगिक तथ्य पर नजर रखने में गलती होती है, तो रोगी का जीवन खतरे में पड़ सकता है। नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी) की सहायता से डाक्टरों के लिए रोगी की रिपोर्ट से संबंधित सभी प्रासंगिक जानकारियों पर नजर रखना आसान हो जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से न सिर्फ डाटा को स्टोर करना आसान है, बल्कि यह प्रत्येक रोगी के हिसाब से इलाज को लेकर सिफारिश की सुविधा भी प्रदान करता है। इससे इलाज करने में डाक्टरों को मदद मिल सकती है। इसका एक दिलचस्प उदाहरण है आइबीएम वाटसन, जो हार्ट की विफलता की भविष्यवाणी के लिए एआइ का उपयोग करता है। वाटसन आइबीएम का एक सुपरकंप्यूटर है, जो क्वैश्चन-आंसर मशीन के रूप में बेहतर प्रदर्शन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ)का उपयोग करता है। सुपरकंप्यूटर का नाम आइबीएम के संस्थापक थामस जे वाटसन के नाम पर रखा गया है।

चैटबाट्स से प्राथमिक देखभाल: प्राथमिक देखभाल के मामले में धीरे-धीरे चैटबाट्स की भूमिका बढ़ रही है। कई बार देखा गया है कि लोगों में छोटी-छोटी चिकित्सा जरूरतों के लिए अपाइंटमेंट बुक करने की प्रवृत्ति होती है। अक्सर यह एक झूठा सिग्नल होता है, जो बाद में खुद ही ठीक हो जाता है। ऐसी स्थिति में प्राइमरी केयर के मामले में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबाट्स उपयोगी हो सकते हैं। इससे डाक्टर भी अधिक महत्वपूर्ण और गंभीर मामलों पर ध्यान दे सकते हैं। कई मामलों में आर्टिफिशियल चैटबाट डाक्टर पर होने वाले खर्च को बचा सकते हैं। मरीज ऐसे मेडिकल चैटबाट्स का लाभ उठा सकते हैं, जो एक एआइ-पावर्ड सर्विस हैं। इनमें स्मार्ट अल्गोरिदम शामिल होते हैं, जो रोगियों को उनके सभी स्वास्थ्य संबंधी सवालों और चिंताओं से संबंधित समाधान पेश करते हैं। साथ ही, चैटबाट्स मरीज का मार्गदर्शन भी करते हैं कि कैसे किसी भी संभावित समस्या से निपटें। वनरेमिशन, यूपर, बेबीलोन हेल्थ, फ्लोरेंस, अदा हेल्थ, सेंसली कुछ ऐसे ही हेल्थ चैटबाट्स हैं, जिनका उपयोग दुनियाभर में हो रहा है। ये चैटबाट 24/7 उपलब्ध हैं और एक ही समय में कई रोगियों से निपटने की क्षमता रखते हैं।

वर्चुअल नर्सिंग असिस्टेंट: इन दिनों एआइ सिस्टम आभासी नर्सिंग सहायक की भूमिका में भी है। यह रोगियों के साथ बातचीत करने से लेकर उन्हें बेहतर और प्रभावी देखभाल के लिए निर्देशित करने तक कई प्रकार के कार्य कर सकते हैं। ये वर्चुअल नर्स 24/7 उपलब्ध हैं। आपके सवालों का जवाब देने के साथ-साथ रोगियों की जांच कर सकते हैं और तत्काल समाधान प्रदान कर सकते हैं। वर्चुअल नर्सिंग असिस्टेंट एप्लीकेशंस रोगियों से बातचीत करने में सक्षम होते हैं और अस्पताल के अनावश्यक दौरे से यूजर को बचाता है। दुनिया की पहली वर्चुअल नर्स असिस्टेंट 'केयर एंजेल' है, जो वायस और एआइ के जरिए वेलनेस चेक की सुविधा देती है।

सटीक इलाज में उपयोगी: एआइ बीमारियों का अधिक सटीक और तेज गति से पता लगाने के साथ उनसे जुड़े जोखिम और निदान में मदद करता है। इसी तरह एआइ अल्गोरिदम न केवल स्पेशियलिटी-लेवल के निदान में सटीक साबित हुए हैं, बल्कि डायबिटिक रेटिनोपैथी का पता लगाने के मामले में भी बेहद प्रभावी हैं। उदाहरण के लिए 'पाथएआइ' पैथोलाजिस्ट को अधिक सटीक इलाज में मदद करने के लिए मशीन लर्निंग तकनीक विकसित कर रहा है। कंपनी के मौजूदा लक्ष्यों में कैंसर के इलाज में त्रुटि को कम करना और व्यक्तिगत चिकित्सा उपचार के तरीकों को विकसित करना शामिल है। वहीं बाय हेल्थ एक एआइ-आधारित सिंपटम और क्योर चेकर है, जो बीमारी के निदान और उपचार के लिए अल्गोरिदम का उपयोग करता है।

भारतीय हेल्थकेयर में एआइ: भारत के हेल्थकेयर सेक्टर में कई स्टार्ट-अप्स हैं, जो आसान इलाज के लिए एआइ समाधान लेकर आए हैं :

निरामईः बेंगलुरु स्थित निरामई हेल्थ एनालिटिक्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित थर्मालीटिक्स विकसित किया है। इसकी खास बात है कि यह पारंपरिक तरीकों या सेल्फ एग्जामिनेशन की तुलना में पहले चरण में ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए एआइ और हाई-रिजाल्यूशन थर्मल सेंसिंग डिवाइस का उपयोग करता है। इस साफ्टवेयर पर आधारित चिकित्सा उपकरण की न सिर्फ लागत कम है, बल्कि यह आटोमैटिक और पोर्टेबल भी है। इसकी कोर तकनीक एमएल अल्गोरिदम पर आधारित है।

क्योर एआइः मुंबई स्थिति क्योर एआइ भी हेल्थकेयर के क्षेत्र में सक्रिय है। यह हेल्थकेयर से जुड़े समाधान को किफायती और सुलभ बनाने के लिए एआइ का उपयोग करता है। इसकी तकनीक कुछ सेकंड के भीतर ही रेडियोलाजी इमेज और स्कैन (चेस्ट एक्स-रे, हेड सीटी स्कैन, चेस्ट सीटी ) आदि के डिटेल के लिए डीप लर्निंग अल्गोरिदम का उपयोग करती है।

सिगटुपल टेक्नोलाजीजः बेंगलुरु स्थित सिगटुपल टेक्नोलाजीज मेडिकल डाटा की मैनुअल जांच को स्वचालित करने के मिशन पर है। यह रक्त का नमूना, यूरिन और रेटिना इमेज एनालिसिस के लिए एआइ का उपयोग करता है। यह पैथोलाजी और आप्थल्मोलाजी के क्षेत्र में काम करता है।

आर्टेलसः बेंगलुरु स्थित आर्टेलस डायबिटिक रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग के लिए डीप लर्निंग टेक्नोलाजी का उपयोग करती है। एआइ-संचालित अल्गोरिदम इलाज के लिए इमेज की समीक्षा करते हैं। आर्टेलस केवल भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका और दुबई में भी सक्रिय है। हेल्थ टेक स्टार्टअप ने हाल ही में एआइ-पावर्ड कांटैक्टलेस डायबिटिक रेटिनोपैथी स्क्रीनिंग सिस्टम विकसित किया है, जो तीन मिनट से भी कम समय में आंखों की जांच कर सकता है।

ट्राइकोगः ट्राइकोग का इंस्टाईसीजी एक क्लाउड-कनेक्टेड डिवाइस है, जो केवल 10 मिनट के भीतर ईसीजी रिपोर्ट का विश्लेषण करने में मदद करता है। इसकी तरह का एक अन्य प्रोडक्ट इंस्टाईको है, जो टेस्ट के कुछ घंटों के भीतर त्वरित और सटीक इकोकार्डियोग्राम इलाज में डाक्टरों की सहायता करता है। इसे वर्ष 2018 में नैस्काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस गेम चेंजर अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

टाक टू जिनी: टाक टू जिनी एक एआइ आधारित एप है। जिनी यूजर्स को मेडिकल से संबंधित मुद्दों के बारे में 'टाक टू जिनी' यानी जिनी से बात करने की अनुमति देता है। इससे बात करने पर आपको अलेक्सा जैसा अनुभव होगा। यह एप 950+ स्वास्थ्य लक्षणों, 300+ बीमारियों का मूल्यांकन कर सकता है। फिर डिटेल रिपोर्ट प्रदान करता है। इतना ही नहीं, यह आपको बता सकता है कि आपको क्या करना चाहिए। यह आसपास की चिकित्सा सुविधाओं की डिटेल भी साझा करता है।


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