सुपर कंप्यूटर 'मिहिर' के कमाल से US-जापान के समकक्ष खड़ा हुआ भारत, पीछे छूट गया चीन
अब बिम्सेटक देशों को मौसम पूर्वानुमान की सटीक जानकारी मिलेगी।
नोएडा (प्रभात उपाध्याय)। मौसम पूर्वानुमान के मोर्च पर 'द बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्नीकल एंड इकोनॉमिक कॉपेरेशन' (बिम्सेटक) देशों को अपनी ओर लुभाने की कोशिश में लगे चीन के मंसूबों पर पानी फिर गया है। राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) की क्षमता में 10 गुना बढ़ोतरी के बाद ये सभी देश मौसम की जानकारी के लिए भारत के प्रति और आश्वस्त हो गए हैं। गौरतलब है कि एनसीएमआरडब्ल्यूएफ में पहले 350 टेरा फ्लॉप क्षमता की ही सुपर कंप्यूटर था। इसके जरिये बिम्सेटक देशों (भारत के अलावा बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल) को भी मौसम का पूर्वानुमान बताया जाता रहा है। हालांकि, कई बार यह जानकारी सटीक नहीं होती थी।
चीन इसी कमजोरी का फायदा उठाकर खासकर श्रीलंका और नेपाल पर डोरे डाल रहा था। इसकी वजह यह थी कि उसके पास पूर्वानुमान के लिए 750 टेरा फ्लॉप की क्षमता है, लेकिन एनसीएमआरडब्ल्यूएफ में हाल ही में 2.8 पेटा क्षमता का सुपर कंप्यूटर (मिहिर) लगने के बाद संस्थान की क्षमता 10 गुना बढ़ गई है।
इसके चलते मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में अब भारत जहां अमेरिका और जापान जैसे विकसित देशों की कतार में शामिल हो गया है, वहीं चीन पीछे छूट गया है। ऐसे में अब बिम्सेटक देशों को मौसम पूर्वानुमान की सटीक जानकारी मिलेगी।
एनसीएमआरडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आशीष मित्र ने बताया कि एनसीएमआरडब्ल्यूएफ की क्षमता में बढ़ोतरी का बिम्सटेक देशों को लाभ मिलेगा। उन्हें पहले के मुकाबले और सटीक जानकारी मिलेगी। इससे वे प्राकृतिक आपदाओं से और बेहतर तरीके से निपट सकेंगे।
हर दिन बताया जाता है अगले दस दिनों का हाल
बिम्सेटक देशों के मौसम पूर्वानुमान के लिए एनसीएमआरडब्ल्यूएफ में वर्ष 2014 में अलग सेंटर बनाया गया था। वैज्ञानिक प्रतिदिन सभी देशों को उनके यहां के अगले सात से 10 दिनों के मौसम का पूर्वानुमान देते हैं। इसमें तापमान, वर्षा, नमी आदि शामिल हैं। पूर्वानुमान की विस्तृत जानकारी हर दिन वेबसाइट पर अपलोड की जाती है।
मौसम वैज्ञानिकों को भी प्रशिक्षित करेगा भारत
एनसीएमआरडब्ल्यूएफ में अब बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, थाइलैंड, भूटान और नेपाल के मौसम वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित भी किया जाएगा ताकि ये देश खुद मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाने में सक्षम हो सकें। प्रशिक्षण की रूपरेखा तैयार की जा रही है।