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गर्भवती महिलाओं के लिए मददगार साबित होगा ये ऐप, डिप्रेशन से बचाने में करेगा मदद

गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए मोबाइल एप सहायक हो सकता है। नए रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल एप यह अनुमान लगाने में मदद कर सकता है कि क्या गर्भावस्था के बाद के चरणों में महिला में डिप्रेशन होने की आशंका है। शोधकर्ताओं द्वारा विकसित मॉडल 93 प्रतिशत तक सटीक पाया गया। शोधकर्ताओं ने सभी आंकड़ों का इस्तेमाल करके छह मशीन लर्निंग मॉडल विकसित किए।

By Agency Edited By: Priyanka Kumari Mon, 10 Jun 2024 09:30 PM (IST)
गर्भवती महिलाओं के लिए मददगार साबित होगा ये ऐप, डिप्रेशन से बचाने में करेगा मदद
गर्भवती महिलाओं के लिए मददगार साबित होगा ये ऐप

पीटीआई, नई दिल्ली। गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए मोबाइल एप (Mobile App) सहायक हो सकता है। एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल ऐप यह अनुमान लगाने में मदद कर सकता है कि क्या गर्भावस्था के बाद महिला में डिप्रेशन होने की आशंका है।

इसके लिए शोधकर्ताओं ने विकसित मॉडल 93 प्रतिशत तक सटीक पाया गया।

शोधकर्ताओं ने गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान महिलाओं से सर्वेक्षणों का जवाब देने के लिए कहकर डिप्रेशन विकसित होने में नींद की गुणवत्ता और खाद्य असुरक्षा सहित विभिन्न जोखिम कारकों की पहचान की। इसके लिए रिसर्च टीम ने 944 गर्भवती महिलाओं के जवाब का विश्लेषण किया।

इन महिलाओं ने एक बड़े अध्ययन के हिस्से के रूप में ऐप का इस्तेमाल किया था और अवसाद का कोई इतिहास नहीं था।

कैसे मदद करेगा ये ऐप

गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिलाओं ने जनसांख्यिकी और उनके चिकित्सा इतिहास के साथ-साथ स्ट्रेस और उदासी की भावनाओं के बारे में सवालों के जवाब दिए। इनमें से कुछ ने अपने स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक कारकों, जैसे खाद्य असुरक्षा पर वैकल्पिक प्रश्नों के भी उत्तर दिए। सभी महिलाओं की प्रत्येक तिमाही में एक बार डिप्रेशन की जांच की गई।

शोधकर्ताओं ने सभी आंकड़ों का इस्तेमाल करके छह मशीन लर्निंग मॉडल विकसित किए। एक गर्भवती महिला में अवसाद की भविष्यवाणी करने में सबसे अच्छा 89 प्रतिशत सटीक पाया गया। मशीन लर्निंग एल्गोरिदम एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का एक रूप है जो भविष्यवाणियां करने के लिए पिछले डाटा से सीखता है।

जब शोधकर्ताओं ने स्वास्थ्य संबंधी सामाजिक कारकों पर वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तरों को शामिल किया तो मॉडल की सटीकता 93 प्रतिशत तक बढ़ गई। शोधकर्ता अब इन सर्वेक्षण प्रश्नों को क्लीनिक सेटिंग में एकीकृत करने के तरीके विकसित कर रहे हैं। इसके साथ ही यह पहचान रहे हैं कि चिकित्सक अवसाद के जोखिम के बारे में मरीजों के साथ ये कैसे बातचीत कर सकते हैं। 

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