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    मोबाइल पर बात करने से लेकर लाइव स्ट्रीमिंग तक का सफर, 2G से 5G तक ऐसे बदली इंटरनेट की दुनिया

    By Shivani KotnalaEdited By: Shivani Kotnala
    Updated: Sun, 07 May 2023 04:04 PM (IST)

    Journey Of Internet Technology 2G To 5G इंटरनेट टेक्नोलॉजी का सफर पहली जेनेरेशन से शुरू होकर आज पांचवी जेनेरेशन तक आ पहुंचा है। 5G से पहले आने वाली इंटनेट टेक्नोलॉजी आखिर किन मायनों में रही थी खास। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)

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    Journey Of Internet Technology 2G To 5G, Pic Courtesy- Jagran graphics

    नई दिल्ली, टेक डेस्क। भारत में फास्टेस्ट इंटरनेट टेक्नोलॉजी के नाम पर अब 5G का ही जिक्र होता है। टेलीकॉम कंपनियां रिलायंस जियो, भारती एयरटेल देश के कोने-कोने तक 5G का विस्तार कर रही हैं। लेकिन, एक सवाल आपके जेहन में जरूर आता होगा कि, 5G से पहले जब 4G,3G और 2G का इस्तेमाल होता था तो क्या इंटरनेट फास्ट नहीं हुआ करता था?

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    आखिर इंटरनेट से जुड़े 2G, 3G, 4G, 5G टर्म्स का क्या मतलब है? इस आर्टिकल में आपको इंटरनेट की अलग-अलग टेक्नोलॉजी की खासियतों-खामियों को भी बताने जा रहे हैं-

    क्या है इंटरनेट टेक्नोलॉजी

    आसान भाषा में समझें तो डेटा को सेंड और रिसीव करने के लिए वायरलेस कम्युनिकेशन का तरीका इंटरनेट टेक्नोलॉजी कहलाई जा सकती है। इस टेक्नोलॉजी को समय के साथ अलग- अलग जेनेरेशन के साथ लाया गया।

    1G से 5G तक का सफर

    1G- 2.4 kb per second- 1980-1990

    2G- 64 kb per second- 1991

    3G- 384 kb per second-2 Mb per second- 2001

    4G- 100Mb per second- 2009

    5G-1GB per second- 2019

    इंटरनेट टेक्नोलॉजी में G का क्या मतलब

    सबसे पहले 2G, 3G, 4G, 5G में G के मतलब को लेकर ही बात करते हैं। दरअसल 2G, 3G, 4G, 5G में G का मतलब जेनेरेशन से है। इंटरनेट टेक्नोलॉजी का सफर 2G से 5G तक का रहा। अब आपके जेहन में 1G को लेकर भी सवाल आ रहे होंगे कि आखिर यह सफर 1G से क्यों शुरू नहीं हुआ।

    दरअसल भारत में इंटरनेट की शुरुआत सेकंड जेनेरेशन यानी 2G से हुई। थी। इंटरनेट की पहली जेनेरेशन साल 1980 में आई थी। करीब दस सालों तक इस जेनेरेशन का इस्तेमाल हुआ था। वहीं भारत ने इंटरनेट की दुनिया में साल 1991 से कदम रखा उस दौरान इंटरनेट की सेकंड जेनेरेशन का इस्तेमाल हुआ। 1जी के न आने की एक और वजह नजर आती है। 1जी में कई ऐसी खामियां थीं, जो 2जी में दूर कर दी गई थीं।

    इंटरनेट की पहली जेनेरेशन

    इंटरनेट की पहली जेनेरेशन की बात करें तो यह 2.4 kb per second की स्पीड के साथ आती थी। इस टेक्नोलॉजी में यूजर को केवल वॉइस कॉल की सुविधा मिलती है। इतना ही नहीं, यूजर को इंटरनेशनल कॉलिंग की सुविधा भी नहीं मिलती थी। यह उस समय का बड़ा अविष्कार था, क्योंकि यह सुविधा एनालोग सिग्नल पर आधारित थी।

    इंटरनेट की दूसरी जेनेरेशन

    इसी तरह जब इंटरनेट की दूसरी जेनेरेशन आई तो इसमें पुरानी टेक्नोलॉजी की सारी खामियां दूर हो गईं। इंटरनेट की दूसरी जेनेरेशन की बात करें तो यह 64 kb per second की स्पीड के साथ आई। इस टेक्नोलॉजी में यूजर को वॉइस कॉल के अलावा, एसएमएस-एमएमएस की सुविधा मिलने लगी। यह पहली जेनेरेशन से बेहतर थी क्योंकि सेकंड जेनेरेशन डिजिटल सिग्नल पर आधारित थी, लेकिन 2G टेक्नोलॉजी में वीडियो स्लो चलते थे, यह एक स्लो इंटरनेट टेक्नोलॉजी थी।

    इंटरनेट की तीसरी जेनेरेशन

    इंटरनेट की तीसरी जेनेरेशन जेनेरेशन नई खूबियों के साथ आई। इस टेक्नोलॉजी में यूजर को 384 kb per second से 2 Mb per second की स्पीड मिलने लगी। यह टेक्नोलॉजी जापान में साल 2001 में आ चुकी थी, लेकिन भारत में नई टेक्नोलॉजी की शुरुआत साल 2008 में हुआ।

    तीसरी जेनेरेशन में यूजर को वीडियो कॉलिंग जैसी सुविधा मिलने लगी। यही नहीं, नई जेनेरेशन की कीमत भी पहले के मुताबिक कम थी। हालांकि, यह टेक्नोलॉजी फास्ट तो थी, लेकिन इसमें बैटरी पावर का इस्तेमाल ज्यादा होता था, यह इसकी खामी थी।

    इंटरनेट की चौथी जेनेरेशन

    चौथी जेनेरेशन आई तो यह सबसे बेहतरीन इंटरनेट टेक्नोलॉजी मानी गई। इस टेक्नोलॉजी की शुरुआत साल 2009 में स्वीडन से हुई। वहीं यह टेक्नोलॉजी साल 2012 में भारत में भी आ गई थी। इस टेक्नोलॉजी के साथ हम आज भी काम कर रहे हैं। इस इंटरनेट टेक्नोलॉजी में यूजर को 100Mb per second की स्पीड मिलती है। ऑनलाइन स्ट्रीमिंग से लेकर डेटा ट्रांसफर तक की बेहतरीन सुविधा के साथ आने वाली इस टेक्नोलॉजी ने सबको लुभाया था।

    इंटरनेट की पांचवी जेनेरेशन

    पांचवी जेनेरेशन का इस्तेमाल सबसे पहले साल 2019 में हुआ। भारत में यह टेक्नोलॉजी बीते साल यानी 2022 में ही आई है। इस टेक्नोलॉजी को फास्टेस्ट इंटरनेट टेक्नोलॉजी कहा जाता है।

    इस टेक्नोलॉजी में यूजर को 1GB per second की स्पीड मिलती है। इस टेक्नोलॉजी को डाउनलोडिंग-अपलोडिंग बेहतर करने से लेकर एआई के इस्तेमाल को आसान बनाने में कारगर माना जा सकता है।